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किसान डॉक्टर
30 Jan
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आलू में चेचक रोग पर नियंत्रण के सटीक उपाय

आलू भारतीय किसानों के लिए एक प्रमुख नकदी फसल है। लेकिन कुछ रोगों के कारण फसल बहुत बुरी तरह प्रभावित होती है। इन रोगों में चेचक रोग यानी स्कैब डिजीज भी शामिल है। यह आलू की फसल में होने वाला एक घातक रोग है। यह रोग आलू के कंदों को प्रभावित करता है और इसके कारण किसानों को बाजार में उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो पाता है। यह रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके इस रोग के फैलने के कई कारण हो सकते हैं। बात करें इस रोग पर नियंत्रण की तो इस रोग पर नियंत्रण के लिए अभी तक कोई कोई सटीक उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाने से फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम चेचक रोग के कारण, इसके लक्षण, इससे होने वाले नुकसान और फसल को इससे बचाने के सटीक उपायों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

आलू की फसल में चेचक रोग के कारण | Causes of Scab Disease in Potato

चेचक रोग मुख्य रूप से बैक्टीरिया के कारण होता है। इस रोग के होने और फैलने के कुछ अन्य कारण भी होते हैं।

  • बीज उपचारित न करना: बुवाई से पहले बीजों का उपचार न करना रोग के प्रसार का एक प्रमुख कारण है। इससे बैक्टीरिया बीज के माध्यम से खेत में फैल जाते हैं।
  • रोगग्रस्त कंदों का चयन: बुवाई के लिए चेचक रोग से प्रभावित कंदों का उपयोग करने के कारण यह रोग पूरे खेत में फैल सकता है।
  • लगातार एक ही फसल की खेती: एक ही खेत में बार-बार आलू की खेती करने से मिट्टी में इस रोग के बैक्टीरिया लंबे समय तक जीवित रहते हैं और फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • मिट्टी में कीटाणुओं की उपस्थिति: चेचक रोग के बैक्टीरिया मिट्टी में लंबे समय तक सक्रिय रहते हैं और उपयुक्त परिस्थितियों में फसल को संक्रमित कर देते हैं।

आलू की फसल में चेचक रोग के लक्षण | Symptoms of Scab Disease in Potato

चेचक रोग के लक्षण कंदों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। इन लक्षणों की पहचान करके रोग का प्रारंभिक चरण में पता लगा सकते हैं और अन्य पौधों को प्रभावित होने से बचा सकते हैं।

  • कंदों पर लाल चकते: इस रोग से प्रभावित कंदों पर लाल रंग के धब्बे या चकते उभरने लगते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे बड़े होते हैं और पूरे कंद को ढक सकते हैं।
  • कंदों में छेद: रोग बढ़ने पर कई बार कंदों में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • आकार में विकृति: रोग से प्रभावित कंदों का आकार सामान्य कंदों की तुलना में विकृत हो जाता है। ये कंद बाजार में कम मूल्य पर बिकते हैं।
  • जड़ सड़न: इस रोग से प्रभावित पौधों में कभी-कभी जड़ सड़न रोग के लक्षण नजर आ सकते हैं।
  • उपज में कमी: चेचक रोग के कारण आलू की उपज में काफी कमी हो सकती है।

चेचक रोग से होने वाले नुकसान | Damages Caused by Scab Disease

  • फसल की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
  • उत्पादन में कमी होती है।
  • प्रभावित कंद उपयोग के लायक नहीं रहते हैं।
  • बाजार में कंदों का मूल्य कम हो जाता है।
  • रोगग्रस्त कंदों को लंबे समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता है।

आलू की फसल को चेचक रोग से बचाने के तरीके | Methods to Protect Potato from Scab Disease

  • आलू की फसल को इस रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
  • चेचक रोग से प्रभावित खेत में 3 से 4 वर्षों तक आलू की खेती करने से बचें।
  • इस रोग के प्रति सहनशील किस्मों की बुवाई करें।
  • बुवाई के लिए रोग रहित स्वस्थ बीज (कंदों) का चयन करें।
  • रोग के प्रसार को कम करने के लिए संक्रमित पौधों के हिस्सों को हटा कर नष्ट कर दें।
  • नियमित रूप से फसलों का निरीक्षण करें। इससे रोग की शुरुआत में ही इसे फैलने से रोका जा सकता है।
  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में गोबर की खाद के साथ 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिला कर प्रयोग करें।
  • 83 मिलीलीटर पेनफ्लूफेन 22.43% एफएस (बेयर एमेस्तो प्राइम) फफूंदनाशक के घोल में 800 किलोग्राम आलू के बीज कंदों को 10 मिनट तक डुबो कर रखें। उपचार के बाद कंदों को छांव में सूखा कर बुवाई करें।
  • 20 ग्राम टेबुकोनाजोल 15% + ज़िनेब 57% डब्ल्युडीजी (ग्लोबल क्रॉप केयर गैंगो) से 100 किलोग्राम बीज कंद को उपचारित करें।
  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 100-200 मिलीलीटर पेन्सीक्यूरॉन 22.9% एससी (बायर मोनसेरेन) का प्रयोग करें।

आलू की फसल को चेचक रोग से बचाने के लिए आप क्या करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: आलू में चेचक के लिए क्या करें?

A: आलू की फसल को चेचक रोग से बचाने के लिए इस पोस्ट में बताई गई दवाओं से बीज (कंदों) को उपचारित करें। रोग को फैलने से रोकने के लिए रोग से प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकालें और जला कर नष्ट कर दें।

Q: आलू में कौन सी दवा का छिड़काव करें?

A: आलू की फसल में दवाओं का प्रयोग उसमें होने होने वाले रोगों एवं कीटों के अनुसार करें। कीटों पर नियंत्रण के लिए उचित मात्रा कीटनाशकों का प्रयोग करें। वहीं रोगों पर नियंत्रण के लिए उपयुक्त फफूंदनाशक दवाओं का प्रयोग करें। कुछ मामलों में नीम के तेल का छिड़काव भी लाभदायक साबित होता है।

Q: आलू का मुख्य रोग कौन सा है?

A: आलू की फसलों को प्रभावित करने वाले मुख्य रोग झुलसा है। झुलसा रोग दो प्रकार के होते हैं, अगेती झुलसा रोग एवं पछेती झुलसा रोग। इस रोग के लक्षण नजर आने पर तुरंत कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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