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किसान डॉक्टर
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आलू के प्रमुख रोगों का प्रबंधन

आलू की फसल में कई तरह के रोगो के होने की संभावना बनी रहती है। अगेती झुलसा रोग, पछेती झुलसा रोग, कंद गलन रोग, चेचक रोग, ब्लैक हार्ट रोग, मोजेक वायरस रोग, आदि कुछ ऐसे प्रमुख रोग हैं जिनके कारण किसानों काफी नुकसान उठाना पड़ता है। आइए आलू के कुछ प्रमख रोगों के प्रबंधन पर जानकारी प्राप्त करें।

  • अगेती झुलसा रोग: आल्टनेरिय सोलेनाई नामक कवक के कारण होने वाले इस रोग से आलू की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं। पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार भी बढ़ने लगते हैं। प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं। तनों पर भी भूरे एवं काले धब्बे उभरने लगते हैं। कंदों का आकार छोटा रह जाता है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 600-800 ग्राम प्रोपिनेब 70% डब्ल्यू.पी. (देहात जिनैक्टो) का प्रयोग करें।
  • पछेती झुलसा रोग: फाइटोपथोरा नामक कवक के कारण होने वाले इस रोग में पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं। पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद नजर आने लगते हैं। कंदों का आकार छोटा रहने के कारण पैदावार कम होती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 600-800 ग्राम मैंकोजेब 75% डब्ल्यू.पी. (देहात DeM-45) का प्रयोग करें। प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) का प्रयोग करें।
  • चेचक रोग: यह बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक घातक रोग है। इस रोग के होने पर आलू के कंदों पर लाल रंग के चकते उभरने लगते हैं। कंदों का आकार विकृत हो जाता है और कंदों में छेद भी नजर आने लगते हैं। फसल को इस रोग से बचाने के लिए चेचक रोग से प्रभावित खेत में 3 से 4 वर्षों तक आलू की खेती करने से बचें। इसके साथ ही बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या पेन्सीक्यूरॉन 22.9 एससी (मॉनसीरेन - बायर क्रॉपसायन्स) 350 मिलीलीटर मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर बीज 15 मिनिट तक उसमें डुबोएं और छांव में सूखाकर बिजाई के लिए उपयोग करें।

आलू की फसल में रोगों पर नियंत्रण के लिए किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें।

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