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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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आलू में समय रहते पहचानें, बोरॉन की कमी के लक्षण

अन्य पोषक तत्वों की भांति बोरॉन भी पौधे के जीवन चक्र को पूरा करने के लिए एक बुनियादी जरूरत है। ये तत्व पौधों की जड़ों द्वारा मिट्टी से अवशोषित किए जाते हैं और जाइलम कोशिका के द्वारा पौधे के प्रत्येक भाग तक पहुंचाए जाते हैं। बोरॉन पौधों के फूल में परागण, फल व दाना बनने जैसी क्रियाओं में भाग लेता है। इसके अलावा यह आलू जैसी फसल में कंदों को चमकदार एवं फटने से बचाने के लिए भी एक आवश्यक तत्व के रूप में उपयोगी है। बोरॉन का छिड़काव करने से आलू के कंदों का बेहतर विकास होता है।

फसल में बोरॉन की कमी के लक्षण

  • आलू की बाहरी सतह में कठोरता आने लगती है और कंद फटने लगते हैं।

  • फल कम बनते हैं एवं जो बनते हैं उनके विकास में बाधा आती है।

  • बोरॉन की अधिक कमी के कारण आलू में स्थूल रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।

  • पत्तियां मोटी एवं मुड़ी हुई हो जाती है।

  • पत्तियों का रंग पीला एवं लाल होने लगता है।

  • पौधा झाड़ीनुमा एवं कंद का आकार छोटा हो जाता है।

बोरॉन की पूर्ति

  • बुवाई से पहले मिट्टी की जांच कर खेत में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति अवश्य कर लें।

  • बुवाई के समय खेत में गोबर की खाद की उचित मात्रा डालें।

  • खेत में यूरिया के अधिक प्रयोग से बचें।

  • बुवाई के करीब 40 एवं 60 दिनों बाद क्रमशः फसलों में दो बार “डॉट (डाई सोडियम ऑक्टा बोरेट टेट्रा हाइड्रेट)” @ 1-1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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आलू की फसल में होने वाली समस्याएं एवं पोषक तत्वों के प्रयोग की अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर 1800 1036 110 पर संपर्क कर कृषि विशेषज्ञों से मुफ्त सलाह प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।


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