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आम : फसल में मंजर आने से पहले अपनाएं ये कृषि कार्य

कौन भला अच्छी गुणवत्ता के साथ ही अधिक उत्पादन प्राप्त नहीं करना चाहता और यह चाहत तब और अधिक बढ़ जाती है जब बात बागवानी फसलों की आती है। देश में फलों का राजा कहे जाने वाला “आम”, फलने के अपने शुरुआती विकास चरण में बस पहुंचने वाला है। किसान भाइयों ने भी बगीचे में इस दौरान किए जाने वाले कृषि कार्य जैसे खाद एवं सिंचाई प्रबंधन करना शुरू कर दिया है।

मंझर आने से लेकर फल बनने तक के समय में फसल की काफी महत्वपूर्ण और बुनियादी आवश्यकताएं होती हैं। साथ ही यदि सही खाद प्रबंधन शुरुआत में न अपनाएं जाए तो यह छोटे व पतले फलों के होने का भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

बागवानी में लागत सामग्री की मात्रा सामान्यत: पौधों की उम्र के अनुसार दी जाती है। बगीचे में किसान अधिकतर पर्णीय छिड़काव को ही प्राथमिकता देते हैं। पर्णीय छिड़काव एक कारगर तकनीक है, जिससे उत्पाद की कम खपत के साथ प्रभावी परिणाम प्राप्त होते हैं।

आम के पेड़ों पर फरवरी से मार्च के मध्य में बौर का आना आरम्भ हो जाता है। बगीचे में यह समय देखरेख एवं खाद प्रबंधन की दृष्टि से मुख्य माना गया है। खाद की मात्रा पूरी तरह से वृक्ष की उम्र पर निर्भर करती है लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्व लगभग प्रतिवर्ष समान ही दिए जाते हैं।

सूक्ष्म पोषक तत्व

अन्य फसलों की तरह ही फूल आने के समय पर सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन आम के फूलों के झड़ने से लेकर फलों के झड़ने तक को बचाता है। इसके अलावा ये तत्व फूलों के गुच्छों में से खराब फूलों को हटाकर केवल अच्छी गुणवत्ता के फूलों के विकास में भी मदद करते हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण फलों की प्राप्ति होती है। आम की फसल में सामान्यतः जिंक, कॉपर एवं बोरॉन की प्रमुखता देखी गयी है, जिनकी पूर्ति के लिए 50 ग्राम जिंक सल्फेट की मात्रा, 50 ग्राम कॉपर सल्फेट और 20 ग्राम बोरेक्स प्रति साल प्रति पेड़ की दर से आप दे सकते हैं।

बूस्ट मास्टर

बूस्ट मास्टर समुद्री शैवाल से बनाया गया एक खाद है, जो परागण एवं फल बनने के प्रक्रिया में मदद करता है। इसके अलावा जड़ों के विकास, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ बूस्ट मास्टर फसल में पोषक तत्वों के अवशोषण में भी मदद करता है।

एनपीके 9:27:18

यह एक फसलों में फूल बनने के समय पर उपयोग होने वाला उर्वरक है, जो सल्फर और बोरॉन के गुणों के साथ आता है। उर्वरक फूलों एवं फलों को गिरने से बचाता है। फसल में 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से इसका पर्णीय छिड़काव किया जा सकता है।

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