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9 Oct
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अजवाइन की खेती | Ajwain Cultivation

अजवाइन जिसे कैरम सीड्स भी कहा जाता है, एक महत्त्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इसकी गिनती कुछ प्रमुख मसालों में भी की जाती है। इसकी खेती पत्तियों के साथ दानों के लिए भी की जाती है। इसके दानों से निकलने वाले तेल से औषधियां तैयार की जाती हैं। इसका उपयोग विभिन्न रोगों जैसे अपच, पेट दर्द, और सर्दी-जुकाम आदि के उपचार में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा बनी रहने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम अजवाइन की खेती की बुवाई से लेकर कटाई तक की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

अजवाइन की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Ajwain (Carom seeds)

    • अजवाइन की खेती के लिए उपयुक्त समय: उत्तर भारतीय क्षेत्रों में अजवाइन की खेती सितम्बर-अक्टूबर महीने में की जाती है। इस मौसम में तापमान सामान्यतः ठंडा रहता है, जो अजवाइन के बीज के अंकुरण और पौधे के विकास के लिए अनुकूल होता है। हालांकि, बहुत अधिक ठंड और पाले से बचाव करना चाहिए, क्योंकि यह फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ क्षेत्रों में इसकी बुवाई जुलाई से अगस्त महीने के बीच भी की जाती है।
    • उपयुक्त जलवायु: अजवाइन की खेती के लिए मध्यम शुष्क और गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल 15-17 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी तरह से विकसित होती है। सामान्यत: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अजवाइन की खेती अच्छी तरह से की जा सकती है।
    • उपयुक्त मिट्टी: इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली एवं कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। इसके अलावा हल्की बलुई दोमट मिट्टी और और गहरी उपजाऊ मिट्टी में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। मिट्टी का पी.एच. स्तर 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए। जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में बेहतर उपज प्राप्त होती है।

  • बेहतरीन किस्में: अजवाइन की पैदावार इसकी किस्मों पर भी निर्भर करती है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आप गुजरात अजवाइन-1, अजमेर अजवाइन-1, अजमेर अजवाइन-2, प्रताप अजवाइन-1 आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।

  • खेत तैयार करने की विधि: अजवाइन की खेती के लिए खेत की तैयारी महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए और पौधों की जड़ों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करने के बाद खेत में पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर दें।
  • बीज की मात्रा: प्रति एकड़ भूमि में इसकी खेती के लिए 1 से 2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज के चयन के समय  ध्यान रखें कि बीज कसी रोग से प्रभावित न हों। स्वस्थ बीज का चयन करें और बुवाई से बीज को उपचारित करें।
  • बुवाई की विधि: अजवाइन की बुवाई के लिए पंक्तियों में की जाती है। सभी पंक्तियों के बीच 12 इंच की दूरी होनी चाहिए। वहीं पौधों से पौधों के बीच 8-12 इंच की दूरी बनाए रखें। बीज की बुवाई अधिक गहराई में न करें। इससे बीज अंकुरित होने में कठिनाई हो सकती है।
  • सिंचाई प्रबंधन: अजवाइन की फसल के लिए जल निकासी की अच्छी व्यवस्था आवश्यक होती है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद की जाती है। इसके बाद सिंचाई मौसम और मिट्टी के अनुसार की जाती है। अजवाइन की फसल में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है, लेकिन मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है।
  • खरपतवार नियंत्रण: अजवाइन की खेती में खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खेत में खरपतवारों की समस्या होने पर पौधों के का विकास प्रभावित हो सकता है और उपज एवं गुणवत्ता में कमी हो सकती है। छोटे क्षेत्रों में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए अंकुरण के 20-25 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। बड़े क्षेत्रों में इस विधि को आप खुरपी, कुदाल जैसे छोटे कृषि उपकरणों के द्वारा कर सकते हैं। खेत में खरपतवारों की समस्या अधिक होने पर उचित मात्रा में रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं का इस्तेमाल करें।
  • रोग एवं कीट नियंत्रण: अजवाइन की फसल में आमतौर पर झुलसा रोग, तना गलन रोग और माहू कीट का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। फसल को इन रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए लगातार निरीक्षण करते रहें। इससे शुरूआती अवस्था में ही इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। रोगों एवं कीटों पर नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की परामर्श के अनुसार रासायनिक दवाओं का प्रयोग करें।
  • फसल की कटाई: फसल को तैयार होने में करीब 140 से 150 दिनों का समय लगता है। जब पौधों के पत्ते और तने पीले होने लगते हैं और बीजों का रंग हरा से भूरा होने लगे तब फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। कटाई के बाद पौधों को कुछ दिनों तक धूप में सूखने दें। जब पौधे पूरी तरह सूख जाएं, तब बीजों को मड़ाई करके अलग किया जाता है।

क्या आप औषधीय फसलों की खेती करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकारी को अन्य किसान मित्रों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: अजवाइन कितने दिन में उगती है?

A: अजवाइन के बीज को अंकुरित होने आमतौर पर लगभग 14 से 21 दिनों का समय लगता है। अंकुरण का समय बीज की गुणवत्ता, मिट्टी की स्थिति और अन्य पर्यावरणीय कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है। वहीं इसे कटाई के लिए तैयार होने में करीब 140 से 150 दिनों का समय लगता है।

Q: अजवाइन का पौधा कब लगाया जाता है?

A: भारत में अजवाइन आमतौर पर अक्टूबर से फरवरी तक वर्ष के ठंडे महीनों के दौरान लगाया जाता है। ठंडे तापमान में इसके पौधों का विकास अच्छी तरह होता है।

Q: अजवाइन कहाँ पैदा होती है?

A: अजवाइन भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में उगाई जाती है। जिनमें अमेरिका, चीन, स्पेन, इटली, फ्रांस, मिस्र और मैक्सिको, आदि देश शामिल हैं। बात करें भारत की तो, यहां इसकी खेती मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी इसकी खेती की जाती है।

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