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अजवाइन : फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों एवं कीटों पर नियंत्रण
अजवाइन : फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों एवं कीटों पर नियंत्रण
अजवाइन की खेती मुख्यतः ठंड के मौसम में की जाती है। इसके पौधे कुछ हद तक पाला को भी सहन कर सकते हैं। अजवाइन में कई तरह के औषधीय तत्व पाए जाते हैं। पेट संबंधी रोगों में इसका सेवन बहुत कारगर साबित होता है। लेकिन कई बार कुछ रोगों एवं कीटों के कारण फसल को भारी क्षति पहुंचती है। जिसका सीधा असर पैदावार एवं फसल की गुणवत्ता पर होता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम अजवाइन की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों एवं कीटों पर नियंत्रण पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
अजवाइन की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग
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छाछया रोग : इस रोग को पाउडरी मिल्डयू रोग भी कहा जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर सफेद रंग के पाउडर की तरह पदार्थ उभरने लगते हैं। कुछ समय बाद पत्तियां सूख कर गिरने लगती हैं। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।
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जड़ गलन रोग : कई बार खेत में जल जमाव होने पर भी जड़ गलन रोग की समस्या होने लगती है। इससे बचने के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से उपचारित करें। थीरम के अलावा आप बुवाई से पहले बीज को केप्टान से भी उपचारित कर सकते हैं।
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महू : यह कीट पौधों का रस चूस कर फसल को नुकसान पहुंचते हैं। यह कीट आकार में छोटे होते हैं। समूह में होने के कारण यह कम समय में ही फसलों को अधिक प्रभावित कर सकते हैं। इस कीट का प्रकोप होने पर प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिलाकर छिड़काव करें।
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अजवाइन की खेती की अधिक जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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