अकरकरा(औषधीय फसल): बस आठ महीनों में ही पाएं बंपर मुनाफा

अकरकरा मूल रूप से अरब देश की एक औषधीय फसल है और कई प्रकार की दवाओं में प्रयोग होने के कारण इसकी खेती भारत सहित कई अन्य देशों में तेजी से फैल रही है। इसके अलावा फसल केवल 6 से 8 महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाती है, जो पारंपरिक फसलों की खेती कर रहे किसानों के लिए इसे अधिक उपयोगी बनाती है।
अकरकरा की विशेषता
अकरकरा कम मेहनत एवं कम समय में अधिक लाभ देने वाली फसल है। फसल पर कम या अधिक तापमान जैसे कारक प्रभावी नहीं होते हैं, जिसके कारण देश के लगभग सभी हिस्सों में इसकी खेती की जा सकती है। इसके अलावा एक औषधीय फसल होने के कारण अकरकरा में रोग एवं कीटों का प्रभाव भी बहुत कम देखने को मिलता है। इसकी खेती करने वाले किसानों के अनुसार फसल में अभी तक किसी भी प्रकार का कोई खतरनाक रोग देखने को नहीं मिला है।
अकरकरा के औषधीय गुण
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इस औषधि को चबाने से दांत, मसूड़ों के दर्द एवं मुंह से आने वाली बदबू से राहत मिलती है।
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औषधी स्पर्म काउंट बढ़ाने एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।
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लकवा, अल्सर और मिर्गी जैसी बड़ी खतरनाक बीमारियों के इलाज में भी अकरकरा प्रभावी है।
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बार-बार हिचकी आना एवं हकलाने जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए अकरकरा का प्रयोग किया जा सकता है।
अकरकरा की खेती
अकरकरा की खेती बीज और पौधे दोनों प्रकार में की जा सकती है। नर्सरी में बीज की बुवाई नवंबर अंत तक पूरी कर ली जाती है, जिसके बाद दिसंबर में पौधे मुख्य खेत में रोपाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। पौधों की रोपाई मेड पर की जाती है, जिनके बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर और जमीन से रोपाई 2 से 3 सेंटीमीटर गहरी होनी चाहिए। फसल के बेहतर अंकुरण के लिए बुवाई एवं रोपाई के बाद पौधों में सिंचाई की जानी आवश्यक है, साथ ही फसल में अंकुर आने तक एक हल्की नमी की आवश्यकता हमेशा ही बनी रहती है। सिंचाई करते समय किसानों को यह ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि फसल में अधिक जलभराव जैसी स्थिति फसल में पौधों को सड़ा सकती है अतः मिट्टी में केवल नमी बनाने हेतु ही सिंचाई करें। अकरकरा की खेती में रोगों का प्रभाव कम देखा जाता है, लेकिन खरपतवार की समस्या फसल से होने वाली आय का एक बड़ा कारण जरूर बन सकती है। फसल में खरपतवार के नियंत्रण के लिए रोपाई से 20 दिनों के भीतर पहली निराई गुड़ाई करनी चाहिए इसके बाद आवश्यकता दिखने पर समय-समय पर फसल में निराई गुड़ाई की जानी चाहिए।
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समय के साथ किसानों के बीच औषधीय फसलों का चलन तेजी से बढ़ रहा है और किसान पारंपरिक खेती के मुकाबले इन फसलों से अधिक आय भी कमा रहा हैं। ऐसे में बहुत कम समय में तैयार हो जाने वाली अकरकरा की खेती आप किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है। यदि आप भी औषधीय फसलों की खेती कर अधिक आय कमाना चाहते हैं, तो अपने क्षेत्र के अनुसार बेहतरीन औषधीय फसलों की जानकारी के लिए अभी कॉल करें टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर और चुने अपने खेत के अनुसार एक मुनाफेदार औषधीय फसल।
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