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अनार हस्त बहार प्रक्रिया से पाएं भरपूर पैदावार

अनार में वर्ष में तीन बार फूल आते है, जिसे बहार कहते हैं। जून-जुलाई महीने में मृग बहार, सितम्बर-अक्तूबर महीने में हस्त बहार और फरवरी-मार्च महीने में अम्बे बहार में पौधों में फूल लगते हैं। यदि एक ही पौधे से वर्ष में 3 बार फल लिए जाएं तो फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है। इसलिए व्यवसायिक रूप से वर्ष में केवल एक ही फल यानी बहार ली जाती है। सिंचाई की सुविधा नहीं होने पर मृग बहार से फसल ली जाती है और सिंचाई सुविधा होने पर अम्बे बहार से फसल ली जाती है।

हस्त बहार

हस्त बहार में सितम्बर से अक्टूबर में फूल आते हैं और मार्च से अप्रैल में फल तैयार होते हैं। फूलों का विकास ठंडे और सूखे हवामान में होने से रोग और कीटों का प्रकोप कम होता है। फलों का विकास अच्छा होता है। जिससे बाजार भाव अच्छे मिलते हैं।

हस्त बहार प्रक्रिया के समय रखें इन बातों का ध्यान

  1. हस्त बहार प्रक्रिया से भरपूर पैदावार लेने के लिए मृग बहार और अम्बे बहार के समय पौधों में लगे फूलों को पौधे से झाड़ दें। इस प्रक्रिया को बहार नियंत्रण करना कहा जाता है।
  2. बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए पौधों में फूल आने से करीब 45 से 60 दिनों पहले सिंचाई का कार्य बंद करें। जिससे पौधा अपनी पत्तियां गिराना प्रारम्भ कर देता है।
  3. पौधों में 80 से 85 प्रतिशत पत्तियां गिरने के बाद पौधों की हल्की कटाई-छटाई करें।
  4. इसके बाद पौधों के आस-पास हल्की गुड़ाई कर के उर्वरक डालें और सिंचाई करें।
  5. बेक्टेरियल ब्लाइट रोग से प्रभावित क्षेत्रों में हस्त बहार लेना उचित रहता है।

अनार के पौधों से आप किस समय फल लेते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

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