अनार में तैलीय धब्बा रोग के लक्षण एवं प्रबंधन (Symptoms and management of oily spot disease in pomegranate)

अनार के फलों पर तैलीय धब्बे बरसात के मौसम में फसल के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। ये धब्बे फल की बाहरी त्वचा पर होते हैं और फलों के सड़ने का कारण बनते हैं। शुरुआती अवस्था में ये धब्बे काले से भूरे रंग के होते हैं और बाद में पत्तियों व तनों पर भी फैल सकते हैं। अधिक पके फलों पर संक्रमण तेजी से दिखता है। यह रोग फसल में 90 प्रतिशत तक नुकसान कर सकता है। जीवाणु छिड़काव, सिंचाई के पानी और पेड़ों पर लगे पुराने घाव के माध्यम से तेजी से फैलते हैं।
अनार में ऑयली स्पॉट रोग के लक्षण (Symptoms of oily spot disease in pomegranate)
- संक्रमण के 2 से 3 दिनों के भीतर फलों पर गीले जीवाणुओं से घिरे हुए काले से भूरे धब्बे या घाव नजर आते हैं।
- अनार के फलों में धब्बों का आकार बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे फलों में दरार आ जाती है। इस रोग से अनार की पैदावार में 90% तक नुकसान कर सकता है।
- यह रोग 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तेजी से फैलता है और अगस्त से अक्टूबर जैसे महीनों तक फसल में बना रह सकता है।
- प्रारंभिक रूप में, फलों में 2-3 दिनों के अंदर भूरे-काले रंग के पानी वाले धब्बे/ बैक्टीरिया से घिरे हुए धब्बे उभर आते हैं।
- एडवांस स्टेज में एल/वाई या स्टार जैसा आकार फलों पर उभर आता है और फल सड़ा हुआ नजर आने लगता है।
- यह रोग फूलों, पत्तों और टहनियों को भी प्रभावित करने लगता है।
- अनुकूल स्थितियों में, धब्बों का आकार बढ़ने लगता है, असीमित घेरों के साथ गहरे भूरे धब्बे उभरने लगते हैं, जिससे फलों में दरार आ जाती है।
अनार में तैलीय धब्बा रोग बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थितियां:
- गर्म और आर्द्र मौसम में इस रोग का फैलाव सबसे ज्यादा ज्यादा होता है।
- मानसून के दौरान यह रोग अधिक होता है।
- यह रोग संक्रमित पौधे के मलबे पर जीवित रहता है। जो हवा, बारिश और सिंचाई के पानी से पौधों तक फैलता है।
- कभी-कभी यह रोग नर्सरी स्टॉक और छंटाई के उपकरण से फैल सकता है।
- मौसम समाप्त होने और पत्तियों के गिरने के बाद भी जीवाणु जीवित रहते हैं।
अनार में तैलीय धब्बा रोग का नियंत्रण :
- अनार की बुवाई हमेशा हल्के से मध्यम मिट्टी में करनी चाहिए जिसकी गहराई 45 सेंटीमीटर से कम होनी चाहिए।
- अनार की बुवाई 4.5 से 3 मीटर की दूरी पर करनी चाहिए, पौधरोपण के लिए सेहतमंद और रोग मुक्त पौधों का चुनाव करना चाहिए।
- रोग के प्रति सहनशील किस्मों की खेती करें।
- जैविक खादों का उपयोग करें, इससे मिट्टी की अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में सहायक होता है।
- पोषक तत्वों के प्रबंधन के लिए मिट्टी का परीक्षण अवश्य करें।
- खेत में स्थित अवशेषों को नष्ट कर दें इसके लिए खेतों में साफ़-सफाई रखनी चाहिए और संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए।
- खेती के उपकरणों का प्रयोग करने से पहले उपचारित करें और संक्रमण रहित करें।
- छंटाई के बाद बोर्डो मिक्सचर (बी.एम.) 1% का प्रयोग करें।
- अनार में ड्रिप सिंचाई पद्धति का प्रयोग करें, इसी प्रकार इस बात का भी ध्यान रखें कि बागान में पानी जमा न हो।
- रोग पर नियंत्रण के लिए प्रोपिनेब 70% WP (देहात- ज़िनेक्टो) 600-800 ग्राम प्रति एकड़ की दर से फसल में प्रयोग करें।
- कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP का प्रयोग 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से कर भी इस रोग पर नियंत्रण पा सकते हैं।
- अनार के छटाई के बाद, पांच सौ ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और बीस मिलीलीटर स्टिकर (लोके) को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। प्रूनिंग और अन्य उपकरणों को कीटाणु रहित करके उपयोग करें। इसके लिए सभी सामग्रियों को 1.5% सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल में 10 से 15 मिनट तक भिगोकर उपयोग करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: अनार में फलों का फटने का रोग किसकी कमी के कारण होता है?
A: अनार फल फटने का रोग बोरॉन की कमी से होता है। बोरान की कमी से अनार के फल फट सकते हैं और फट सकते हैं। भारत में, अनार की खेती में बोरान की कमी एक आम समस्या है, खासकर क्षारीय मिट्टी में। इस रोग की रोकथाम के लिए किसान मिट्टी में बोरॉन उर्वरक या पौधों पर पर्ण स्प्रे बोरॉन लगा सकते हैं। अनार के पौधों की स्वस्थ वृद्धि और विकास सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों का सही संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
Q: अनार का मुख्य रोग क्या है?
A: अनार का एक प्रमुख जीवाणु रोग बैक्टीरियल ब्लाइट है, विकास के चरणों के दौरान फलों को संक्रमित करने वाले रोगजनकों को नियंत्रित करने के लिए फफूंद नाशक का प्रयोग करना चाहिये।
Q: अनार कितने साल फल देता है?
A: अनार के पौधे आमतौर पर रोपण के तीसरे वर्ष से फल देना शुरू करते हैं, और उपज धीरे-धीरे बढ़ती है। चरम उत्पादन अवधि आमतौर पर पांचवें और दसवें वर्ष के बीच होती है, और पौधे उचित देखभाल और प्रबंधन के साथ 20 साल या उससे अधिक समय तक फल देने में सक्षम रह सकते हैं।
Q: अनार का पौधा कौन से महीने में लगाया जाता है?
A: अनार का पौधा सबसे अच्छा मानसून के मौसम में लगाया जाता है, जो जून से सितंबर तक चलता है। इस समय पौधों को पर्याप्त पानी और उचित मौसम मिलता है, जिससे उनकी स्थापना और विकास में मदद मिलती है।
Q: अनार की फसल में कौन-कौन से रोग लगते हैं?
A: अनार के पौधों को प्रभावित करने वाली मुख्य बीमारी बैक्टीरियल ब्लाइट है। इसके लक्षणों में पत्ती के धब्बे, टहनी का झुलसा और फलों का सड़न शामिल है, जिससे उपज को काफी नुकसान हो सकता है। इस रोग के प्रबंधन के लिए रोग मुक्त पौधों का उपयोग करना, अच्छी बाग स्वच्छता बनाए रखना और उपयुक्त कवकनाशी का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
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