अनार की बेहतरीन किस्में
देश के साथ विदेशी बाजार में भी अनार की बढ़ती मांग और इससे होने वाले मुनाफे के कारण किसानों का अनार की खेती के लिए रुझान भी बढ़ रहा है। इसकी खेती के लिए किस्मों का चयन सावधानी से करें। अनार की कुछ किस्में और उनकी विशेषताएं यहां से देख सकते हैं।
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गणेश : इस किस्म को वर्ष 1936 में विकसित किया गया था। वर्ष 1970 में इसका नाम एलन डी से बदल कर गणेश कर दिया गया। इस किस्म के एक फल का वजन 200 से 300 ग्राम होता है। खाने में मीठे, रसदार और स्वादिष्ट इसके दानों का रंग हल्का गुलाबी होता है। प्रति पौधा 8 से 12 किलोग्राम फल की प्राप्ति होती है।
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भगवा : इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके फल कम फटते हैं। यह देखने में बहुत आकर्षक और चमकदार होता है। इसके बीज लाल , नरम और मीठे होते हैं। प्रत्येक फल का वजन 250 से 300 ग्राम होता है। निर्यात की दृष्टि से यह बेहतरीन किस्म है।
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जोधपुर रेड : इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में की जाती है। अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म के पौधे बड़े होते हैं , साथ ही फलों में फटने की समस्या भी कम होती है। दानों में 60 से 65 प्रतिशत रस भरे होते हैं।
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आरक्ता : इस किस्म के फलों का आकर बड़ा होता है। इसके दाने मुलायम, लाल और मीठे होते हैं। प्रति पौधा 30 से 35 किलोग्राम फलों की पैदावार होती है।
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सिंदूरी : इस किस्म को वर्ष 2008-09 में विकसित किया गया। इसकी विशेषता यह है कि पौधे 3 वर्ष के होने के बाद फल लगना शुरू हो जाता है। इसके फल देखने में जितने आकर्षक होते हैं , खाने में उतने ही स्वादिष्ट भी होते हैं।
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