अनार : फल फटने की समस्या पर नियंत्रण
अनार के फलों में फटने की समस्या अक्सर देखी जाती है। ठंड के मौसम में यह समस्या बढ़ जाती है। बढ़ती ठंड के साथ किसानों के सामने फलों को फटने से रोकना एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है। फलों के फटने से किसानों को मुनाफे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अब सवाल यह उठता है कि फलों को फटने से कैसे रोकें? इस सवाल के जवाब जानने के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
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छोटे आकर के फलों की तुलना में बड़े आकर के फल अधिक फटते हैं। बड़े फलों को फटने से बचाने के लिए समय पर फलों की तुड़ाई कर लें।
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अनार की कुछ किस्में जैसे नासिक, डोलका, जालोर सीडलेस, बेदाना बोसेक फलों के फटने के प्रति प्रतिरोधी हैं। खेती के लिए इन किस्मों का चयन करें।
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तेज हवाओं से फलों को बचाने के लिए उत्तर पश्चिम दिशा में अवरोध लगाएं।
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अनुचित सिंचाई भी फलों के फटने का एक प्रमुख कारण है। आवश्यकता से अधिक या जल्दी-जल्दी सिंचाई न करें। मिट्टी में नमी की कमी होने पर एक नियमित अंतराल पर ही सिंचाई करें।
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फलों को फटने से रोकने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम कैल्शियम और 1 ग्राम बोरॉन मिला कर छिड़काव करें।
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कैल्शियम सल्फेट, जिंक सल्फेट और कॉपर सल्फेट के छिड़काव से फलों को फटने से बचा सकते हैं।
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पोटेशियम सल्फेट का 3 बार छिड़काव करने से भी फलों के फटने की समस्या कम होती है।
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बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के कारण भी फल फट सकते हैं। इस रोग के कारण पत्तियों एवं फलों पर धब्बे नजर आने लगते हैं। कुछ ही समय में पत्तियां एवं फल गलने लगते हैं और रोग बढ़ने पर फलों में दरारें पड़ने लगती हैं। रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित फलों को इकठ्ठा कर के नष्ट कर दें। रोग से प्रभावित पौधों में मैंकोज़ेब 0.25 प्रतिशत का छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है यह पोस्ट फलों को फटने से बचाने के लिए मददगार साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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