अरहर की कुछ प्रमुख किस्में

दलहनी फसलों में अरहर की मांग अधिक होती है, जिससे इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। हमारे देश में दलहन फसलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, और अरहर का इनमें एक विशेष स्थान है। खरीफ मौसम में की जाने वाली अरहर की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसे तुअर दाल के नाम से भी जाना जाता है। अरहर में प्रोटीन, खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, और कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। अरहर की खेती से पहले इसकी कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है, ताकि किसान सही किस्म का चुनाव करके अरहर में बेहतरीन पैदावार प्राप्त कर सकें।
अरहर की उन्नत किस्में (Improved varieties of Pigeon pea)
पूसा 2001:
- वर्ष 2006 में विकसित किया गया।
- खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त।
- बुवाई के 140-145 दिनों बाद फसल पकने लगती है।
- प्रति एकड़ जमीन से 8 क्विंटल फसल प्राप्त होती है।
पूसा 9:
- वर्ष 2009 में विकसित किया गया।
- खरीफ और रबी मौसम के लिए उपयुक्त।
- देर से पकने वाली किस्म।
- प्रति एकड़ जमीन से 8-10 क्विंटल फसल की उपज होती है।
पूसा 992:
- वर्ष 2005 में विकसित किया गया।
- भूरे रंग का, मोटा, गोल और चमकदार दाने वाला।
- 140-145 दिनों में पकने वाली किस्म।
- प्रति एकड़ जमीन से 6.6 क्विंटल फसल प्राप्त होती है।
नरेंद्र अरहर 2:
- बुवाई के लिए जुलाई का महीना सर्वोत्तम।
- देर से पकने वाली किस्म।
- बुवाई के 240-250 दिनों के बाद कटाई की जा सकती है।
- प्रति एकड़ खेत में 12-13 क्विंटल की उपज।
बहार:
- खेती मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, और उत्तर प्रदेश में।
- जुलाई महीना बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
- प्रति एकड़ जमीन से 10-12 क्विंटल तक फसलों की पैदावार।
- पकने में 250-260 दिन का समय।
TJT 501:
- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में उपयुक्त
- 145-155 दिनों में पकता है
- 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज
उपस (UPAS) 120:
- उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त
- 130-140 दिनों में पकता है
- मध्यम ऊंचाई की फसल
- छोटे, हल्के भूरे बीज
- 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज
RVICPH 2671:
- यह पहली सीएमएस आधारित भूरी अरहर की किस्म है।
- इसकी फसल अवधि 164 से 184 दिनों तक होती है।
- इस किस्म की दाल में प्रोटीन की मात्रा 24.7% होती है।
- इसकी औसत उपज 22 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
JKM 189:
- इस किस्म में हरी फलियां और काली धारियों वाला लाल और भूरा बड़ा दाना होता है।
- यह किस्म देर से बुवाई के लिए भी उपयुक्त है।
- इसकी औसत उपज 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
पूसा अगेती:
- इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी और दाना मोटा होता है।
- यह किस्म 150 से 160 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
ICPL 87:
- इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी होती है, सामान्यतः इसकी ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर होती है।
- इसकी अवधि 140 से 150 दिनों की होती है।
- इस किस्म में फलियां मोटी और लंबी होती हैं और गुच्छों में आती हैं तथा एक साथ पकती हैं।
- इसकी औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
ICPL 151:
- यह 125 से 135 दिनों की शीघ्र पकने वाली किस्म है।
- इसका दाना बड़ा और हल्के पीले रंग का होता है।
- इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
ICPL 88039:
- इसकी अवधि 140 से 150 दिनों की होती है।
- इसका दाना भूरे रंग का होता है।
- इसके फसल की ऊंचाई 210 से 225 सेंटीमीटर तक होती है।
- इसकी औसत उपज 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
आईपीए 203:
- इस किस्म में बीमारियां नहीं लगतीं और इस किस्म की बुवाई करके फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता है और साथ में अधिक पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं।
- इसकी औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
- इस किस्म की अरहर की बुवाई जून महीने में कर देनी चाहिए।
पूसा16:
- यह किस्म शीघ्र पकने वाली है, इसकी अवधि 120 दिनों की होती है।
- इस फसल में छोटे आकार का पौधा 95 सेमी से 120 सेमी लंबा होता है।
- इस किस्म की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
इन किस्मों के अलावा और भी अन्य किस्में हैं।
आप अरहर की कौन सी किस्म लगाते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। खेती से सम्बंधित अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: अरहर की बुवाई कब होती है?
A: भारत में अरहर की खेती बारिश के मौसम में किया जाता है, जो जून से जुलाई के बीच होती है। अरहर की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय जुलाई का पहला सप्ताह होता है जब मानसून अच्छी तरह से स्थापित होता है। हालांकि, बुवाई का समय स्थान और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है। कुछ क्षेत्रों में, मिट्टी में नमी की उपलब्धता के आधार पर, अरहर को अगस्त या सितंबर में भी बोया जाता है।
Q: अरहर की पैदावार कितनी होती है?
A: अरहर की पैदावार जलवायु, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई और फसल प्रबंधन जैसे कई कारकों के आधार पर अलग होती है। हालांकि,अरहर की उपज लगभग 6 से 8 टन प्रति एकड़ होती है। अच्छी फसल प्रबंधन प्रथाओं के साथ, उपज को 10-12 टन प्रति एकड़ तक बढ़ाया जा सकता है।
Q: अरहर का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
A: भारत में अरहर का सबसे बड़ा उत्पादक महाराष्ट्र राज्य है। भारत में अन्य प्रमुख अरहर उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
Q: अरहर की खेती कहाँ-कहाँ होती है?
A: अरहर की खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है। यह महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में उगाई जाती है। अरहर का सबसे बड़ा उत्पादक महाराष्ट्र राज्य है। यह भारत में छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है, और इसका उपयोग भोजन, पशु चारा और ईंधन के लिए किया जाता है।
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