बाजरा की खेती में उचित खाद प्रबंधन (Fertilizer management in millet cultivation)

बाजरा एक मोटे अनाज वाली फसल है, जिसकी खेती शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। कई क्षेत्रों में बाजरा की खेती पशुओं के लिए हरे और दानेदार चारे के रूप में भी की जाती है। इसके बावजूद, अधिक जल ग्रहण करने वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए उचित नहीं मानी जाती है। बाजरा भारत में ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल का एक उत्कृष्ट स्रोत होने के कारण एक स्वास्थ्यवर्धक आहार माना जाता है। भारत में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर-प्रदेश, और हरियाणा बाजरा के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
कैसे करें बाजरे में उचित खाद प्रबंधन? (How to do fertilizer management in millet?)
- गोबर की खाद का प्रयोग: खेत की तैयारी करते समय 2 से 3 टन प्रति एकड़ पूरी तरह से विघटित गोबर की खाद को खेत में अच्छी तरह से मिला लें। यह मिट्टी की संरचना और जल धारण क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- प्रारंभिक उर्वरक प्रबंधन: वर्षा आधारित फसल के लिए, खेत की तैयारी के समय 16 किलोग्राम नाइट्रोजन और 16 किलोग्राम फास्फोरस प्रति एकड़ की दर से डालें। इससे पौधों को शुरुआती वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
- खेत को खाली छोड़ना: बुवाई से पहले खेत को लगभग 15 से 20 दिन तक खाली छोड़ दें। इससे मिट्टी में अवांछित खरपतवार और कीट नष्ट हो जाते हैं।
- उर्वरक मिश्रण: बुवाई के समय एक एकड़ में 20 किलोग्राम यूरिया, 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) और 34 किलोग्राम डायमोनियम फॉस्फेट (DAP) मिलाएं। यह संयोजन पौधों की स्वस्थ और मजबूत वृद्धि सुनिश्चित करता है।
- निराई-गुड़ाई: बुवाई के लगभग एक महीने बाद फसल में निराई-गुड़ाई करें। यह खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी के वातन के लिए महत्वपूर्ण है।
- नमी बनाए रखना: उचित नमी होने पर फसल में 20 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करें। इससे पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन मिलती है, जो उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक है।
- सिंचित क्षेत्र के लिए उर्वरक प्रबंधन: सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों के लिए, बुवाई के एक महीने बाद 24 किलोग्राम नाइट्रोजन और 16 किलोग्राम फास्फोरस प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। यह सुनिश्चित करता है कि पौधों को उनके विकास के महत्वपूर्ण चरणों में आवश्यक पोषक तत्व मिलें।
- मिट्टी की जांच: उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी और अतिरिक्तता का पता चलता है, और आप उचित उर्वरक प्रबंधन कर सकते हैं।
- जिंक का प्रयोग: जिंक की कमी वाली जमीन में जिंक हेप्टा हाइब्रिड 21% @ 10 किलोग्राम प्रति एकड़ या जिंक सल्फेट मोनोहाईब्रिड 6.5 किलोग्राम/एकड़ का प्रयोग करें। इससे पौधों को आवश्यक जिंक मिलता है, जो उनकी वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है।
- पोटाश का प्रयोग: मिट्टी की जांच के बाद पोटाश तत्व (एम ओ पी) का प्रयोग करें। पोटाश पौधों की प्रतिरोधक क्षमता और जल धारण क्षमता को बढ़ाता है।
- यूरिया की मात्रा कम करना: जब DAP 27 किलोग्राम/एकड़ और 55 किलोग्राम/एकड़ जोड़ा जाता है, तो यूरिया की मात्रा 10-10 किलोग्राम/एकड़ तक कम करें। यह संतुलित पोषण सुनिश्चित करता है और पोषक तत्वों की अधिकता को रोकता है।
आप बाजरे में बेहतर पैदावार के लिए कौनसे उर्वरकों के प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: बाजरा में कौन से कीट लगते हैं?
A: बाजरा की फसलें विभिन्न कीटों से प्रभावित हो सकती हैं जो उपज में कमी का कारण बनता है। बाजरा फसलों को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख कीटों में शामिल हैं: स्टेम बोरर, शूट फ्लाई, आर्मीवर्म, एफिड्स और थ्रिप्स। इन कीटों को सही समय पर रोकना चाहिए नहीं तो यह फसल को काफी हानि पहुंचाते हैं।
Q: बाजरा की खेती का समय क्या है?
A: बाजरे की बुवाई का उचित समय बाजरे के बीज और उस क्षेत्र के आधार पर भिन्न होता है जहां इसकी खेती की जाती हैं। आम तौर पर, बाजरा मानसून के मौसम के दौरान बोया जाता है, जो जून में शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। भारत के उत्तरी राज्यों में, मानसून की बारिश की शुरुआत के बाद जुलाई के महीने में बाजरा (बाजरा) बोया जाता है। भारत के दक्षिणी राज्यों में जून या जुलाई के महीने में बोया जाता है।
Q: बाजरा के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
A: बाजरे की खेती के लिए लगभग हर प्रकार की मिट्टी उचित मानी जाती है। जैसे की रेतीली दोमट मिट्टी, लाल मिट्टी, काली मिट्टी, और लेटराइट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। बाजरा को लेटराइट मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, जो तटीय क्षेत्रों में आम हैं। ये मिट्टी अच्छी तरह से सूखा होती है और अच्छी उर्वरता होती है, लेकिन मिट्टी की संरचना में सुधार के लिए उन्हें अतिरिक्त कार्बनिक पदार्थों की आवश्यकता हो सकती है।
Q: बाजरा मिट्टी की उर्वरता कैसे सुधारते हैं?
A: बाजरा खेती में मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना वास्तव में महत्वपूर्ण है। इसे बनाए रखने के लिए, कुछ तरीके हैं जो बाजरे की मिट्टी को स्वस्थ और पोषण से भरपूर बनाते हैं। बाजरा की खेती में निरंतर वायुमंडलीय नाइट्रोजन को बनाए रखने के लिए किस्मों का चयन एक महत्वपूर्ण पहलू है। अधिक से अधिक बायोमास का उत्पादन करके, खेत को कार्बन से भरपूर बनाना भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, फसल चक्र और एलेलोपैथिक गुणों का उपयोग खेत की स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है। इस प्रकार, बाजरा की खेती एक संतुलित और सतत मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने का महत्वपूर्ण तरीका है।
Q: 1 एकड़ में कितना बाजरा बोया जाता है?
A: सबसे पहले बाजरे की बुवाई के लिए अच्छी किस्मों की बिजाई करते हैं उसके लिए 1.5 किलो बीज का प्रयोग प्रति एकड़ करें। अगर बिजाई अच्छी तरह तैयार की ज़मीन में और एकसार की जाती है तो बिजाई की मात्रा 1 किलोग्राम तक कम हो सकती है।
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