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5 July
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सीताफल में बहार प्रबंधन | Bahar Management in Custard Apple


सीताफल, जिसे शरीफा या कस्टर्ड सेब के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक लोकप्रिय फल है। यह अपने मीठे और मलाईदार स्वाद के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। सीताफल न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, पोटेशियम और फाइबर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। सीताफल भारत के कई राज्यों में उगाया जाता है, जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं।

सीताफल में बहार प्रबंधन के लिए इन सुझावों को अपनाएं | Follow these tips to manage bahar in custard apple

सीताफल एक उष्णकटिबंधीय फल है और इसे गर्म और शुष्क जलवायु में उगाया जा सकता है। सीताफल के पेड़ आमतौर पर 5-10 मीटर ऊंचे होते हैं और इनमें हरी-भरी पत्तियां और गहरे भूरे रंग की छाल होती है। इसके फल गोल या अंडाकार होते हैं और इनका रंग हरा या भूरा होता है। फल का गूदा नरम, मलाईदार और मीठा होता है। सीताफल के बीज काले और चमकदार होते हैं।

  • सीताफल के पेड़ की कटाई-छंटाई: मई के महीने में कटाई के बाद, प्राकृतिक जल दबाव देना चाहिए, उर्वरक और गोबर की खाद का उपयोग मानसून की शुरुआत में यानी जून और जुलाई के महीनों में करना चाहिए। इसके साथ ही कमजोर और रोगग्रस्त शाखाओं को पौधे से अलग कर दें और सर्दी के मौसम में पेड़ों की छंटाई करें ताकि नई शाखाएं उग सकें। पौधे लगाने के बाद नियमित रूप से उसकी देखभाल करनी चाहिए। जल तनाव मिट्टी के प्रकार के आधार निर्भर करता है, और जल तनाव की अवधि 30-55 दिन तक होती है। जब 30-50 पत्तियों का झड़ना होता है तो यह जल तनाव की स्थिति दर्शाती है इसलिए जल तनाव की स्थिति शुरू होने से 20 दिन पहले शाखाओं की कटाई कर देनी चाहिए। छंटाई करते समय ध्यान रखना चाहिए कि तने पर 50-60 सेंटीमीटर छोड़ दें और शाखा को अधिक ऊंचाई तक न बढ़ने दें, इसके अलावा चारों ओर 3-4 अच्छी शाखाओं को बढ़ने देना चाहिए, जिससे पौधे की अच्छी संरचना बनती है। सीताफल में फल मुख्यतः नई शाखाओं पर लगते हैं। अत: अधिक संख्या में नई शाखाएँ विकसित करने के लिए पुरानी, सूखी तथा उलझी हुई शाखाओं को काट देना चाहिए। साथ ही पौधों की थालियों में समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण करते रहना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।
  • सीताफल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन: सीताफल के पेड़ों को सही समय पर आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए सर्दियों के मौसम में गाय के गोबर या खाद जैसे जैविक उर्वरक का उपयोग करें। सीताफल के पूर्ण विकसित पेड़ में 20 कि.ग्रा. गोबर की खाद, 40 ग्रा. नाइट्रोजन, 60 ग्रा. फास्फोरस और 60 ग्रा. पोटाश प्रति पेड़ प्रति वर्ष देना चाहिए।
  • सीताफल में  सिंचाई: बहार के मौसम में पेड़ों को पर्याप्त पानी प्रदान करें ताकि फलों का बेहतरीन विकास हो सके। सीताफल के पौधों को गर्मियों में पानी देना आवश्यक होता है। इसलिए 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिये। वर्षा की समाप्ति के बाद एक या दो सिंचाई करने से फलों का आकार बड़ा होता है।
  • सीताफल में कीट और रोग प्रबंधन: किसी भी कीट या रोग के संक्रमण के लिए नियमित रूप से पेड़ों की निगरानी करें और उन्हें नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय करें।
  • सीताफल की कटाई: सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करने के लिए अक्टूबर से दिसम्बर का महीना सबसे उत्तम माना गया है, यानि फूल आने के 150 दिन बाद फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। तुड़ाई करने के लिए फल को हाथ से तोड़कर या चाकू से काटा जा सकता है।

सीताफल के फल जब कुछ कठोर हों तभी लेना चाहिए क्योंकि पेड़ पर काफी दिनों तक लगे रहने पर वे फट जाते हैं। अत: इसकी तुड़ाई के लिये उपयुक्त अवस्था का चुनाव करना चाहिये। इसके लिये जब फलों पर दो उभारों के बीच रिक्त स्थान बढ़ जाए तथा उनका रंग परिवर्तित हो जाए तब समझ जाना चाहिये कि फल पकने की अवस्था में हैं। कच्चे फल नहीं तोड़ना चाहिये क्योंकि ये फल ठीक से पकते नहीं हैं और उनमें मिठास की मात्रा भी कम हो जाती है।

  • सीताफल का भंडारण: सीताफल के फल को कमरे के तापमान पर कुछ दिनों तक संग्रहित किया जा सकता है। फल को रेफ्रिजरेटर में भी संग्रहित किया जा सकता है, जहां यह एक हफ्ते तक ताजा रह सकता है।
  • सीताफल के औषधीय लाभ:
  • पाचन तंत्र के लिए अच्छा: सीताफल में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  • कब्ज को दूर करता है: सीताफल में फाइबर कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
  • रक्तचाप को नियंत्रित करता है: सीताफल में पोटेशियम होता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: सीताफल में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

सीताफल की सबसे उत्तम किस्म कौन सी है? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' बागवानी फसलें ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: सीताफल का पेड़ कितने दिन में फल देता है?

A: पौधा लगाने के तीसरे वर्ष से यह फल देना प्रारंभ कर देता है। एक 4-5 वर्ष पुराने पौधे में 50-60 फल लगता है जबकि पूर्ण विकसित पौधे से 100 फल तक उपज मिलता है।

Q: सीताफल कब बोया जाता है?

A: सीताफल की बुआई की बात करें तो साल में दो समय इसकी बुआई उचित मानी जाती है। जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च के बीच बुआई करना सीताफल के लिए अच्छा होता है।

Q: सीताफल कैसे लगाया जाता है?

A: सीताफल के पौधे लगाने के लिए गर्मियों में 4&4 मी. के अंतराल पर 60&60 सेमी चौड़े और 80 सेमी गहरे गड्ढे की खुदाई करें। तत्पश्चात् प्रत्येक गड्ढे में 10 किलो ग्राम अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद/ केंचुआ की खाद के साथ प्रति गड्ढा 100 ग्रा।

Q: सीताफल के बीज का क्या करें?

A: सीताफल के बीजों में मौजूद पोशक तत्व इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं. इसके बीज वजन कम करने में भी फायदेमंद हैं। सीताफल के बीज खून बढ़ाने में भी मदद करते हैं। अगर सीताफल के बीजों का पाउडर बनाकर सेवन किया जाए तो कैंसर और डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।




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