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17 Sep
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बैंगन: अधिक उत्पादन के लिए करें इन पोषक तत्वों का इस्तेमाल | Boost Brinjal Yield with Essential Nutrients

बैंगन की खेती कई राज्यों में में बड़े पैमाने पर की जाती है। बैंगनी, हरे, सफेद, जैसे कई रंग एवं आकार के बैंगन की मांग भी अधिक होती है। इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफा का सौदा साबित होती है। बैंगन की फसल में पौधों की स्वस्थ वृद्धि और अच्छी पैदावार के लिए विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अगर इन पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, तो पौधों में विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं जो पौधों की वृद्धि में रुकावट का कारण बनते हैं और उपज को भी प्रभावित कर सकते हैं। आज के इस पोस्ट में हम बैंगन के पौधों में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं उनकी पूर्ति के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

बैंगन की पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण | Symptoms Due to Nutrient Deficiency in Brinjal Plants

  • नाइट्रोजन की कमी के लक्षण: नाइट्रोजन पौधों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। यह पौधों में प्रोटीन और क्लोरोफिल के निर्माण के लिए आवश्यक है। पौधों में नाइट्रोजन की कमी बहुत अधिक होने पर पत्तियां पीली-सफेद रंग की हो जाती हैं। पौधे के ऊपरी भाग में नई पत्तियां हल्के रंग की हो जाती हैं और उनका आकार भी छोटा रह जाता है। पत्तियां कमजोर हो कर समय से पहले गिरने लगती हैं। तुरंत समाधान के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम यूरिया मिला कर छिड़काव करें। समस्या दूर होने तक हर 15 दिनों के अंतराल पर इस प्रक्रिया को करते रहें।
  • फास्फोरस की कमी के लक्षण: फास्फोरस पौधों में ऊर्जा के संचरण और जड़ों के विकास के लिए आवश्यक होता है। यह फलों और बीजों के निर्माण में भी मदद करता है। इसकी कमी के कारण बैंगन के पौधों की पुरानी पत्तियां बैंगनी या गहरे हरे रंग की हो जाती हैं। जड़ें कमजोर हो जाती हैं और पौधों का विकास धीमा हो जाता है। फल पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं। फास्फोरस की कमी से पौधे की प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे पौधे रोगों और कीटों की चपेट में आसानी आ सकते हैं। पौधों में इसकी कमी दूर करने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम मोनो अमोनियम फॉस्फेट (देहात न्यूट्रीवन MAP 12:61:00) का प्रयोग करें।
  • पोटेशियम की कमी के लक्षण: पोटेशियम पौधों के पानी और पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। यह पौधे के संपूर्ण स्वास्थ्य और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी होने पर पत्तियों के किनारे जले हुए से नजर आते हैं। पत्तियां किनारों से भूरी या पीली हो कर मुड़ने लगती हैं। पौधों के विकास में बाधा आती है और फल की गुणवत्ता में गिरावट आती है। इसकी कमी के कारण बैंगन के फल कठोर एवं खुरदुरे हो सकते हैं। जिससे बाजार में इसकी मांग कम हो जाती है या इसकी बिक्री पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। पौधों में फूल आने के समय इसकी कमी के लक्षण ज्यादा नजर आते हैं। पौधों में पोटेशियम की कमी दूर करने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम पोटेशियम सल्फेट 00:00:50 (देहात न्यूट्रीवन SOP -00:00:50 +17.5% S) का छिड़काव करें।
  • कैल्शियम की कमी के लक्षण: कैल्शियम पौधों में कोशिका की संरचना को बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। यह पौधों के ऊतकों की मजबूती और उनकी वृद्धि में भी योगदान करता है। इसकी कमी होने से पौधों की नई पत्तियां विकृत हो जाती हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है। फलों के विकास में समस्या होती है, जिससे बैंगन में 'ब्लॉसम एंड रॉट' जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस कारण फलों के निचले हिस्से पर काला, सड़ा हुआ धब्बा उभरने लगता है। तना एवं पौधे कमजोर हो जाते हैं। पौधों में कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम ‘देहात न्यूट्रीवन कैल्शियम नाइट्रेट विथ बोरोन’ का प्रयोग करें। इसमें 14.5% नाइट्रोजन, 17% कैल्शियम और 0.3% बोरोन की मात्रा होती है।
  • मैग्नीशियम की कमी के लक्षण: मैग्नीशियम क्लोरोफिल के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाता है, जो पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक है। इसकी कमी के कारण बैंगन की पुरानी पत्तियां पीली होने लगती हैं, जबकि नसें हरी बनी रहती हैं। पत्तियां धीरे-धीरे गिरने लगती हैं। पौधों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और फल छोटे और कमजोर हो जाते हैं। मैग्नीशियम की कमी दूर करने के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 25 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट (देहात न्यूट्रीवन MgSO4) का प्रयोग करें।
  • आयरन की कमी के लक्षण: आयरन पौधों में क्लोरोफिल निर्माण और एंजाइम की गतिविधि के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह पौधों की सामान्य वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। इसकी पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है। पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है। आयरन की कमी ज्यादा होने पर पत्तियों में पीलेपन की समस्या होती है। पौधों में आयरन और सल्फर की कमी दूर करने के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम फेरस सल्फेट (देहात न्यूट्रीवन FeSo4) का प्रयोग करें।
  • मैंगनीज की कमी के लक्षण: मैंगनीज पौधों में एंजाइम के कार्य और प्रकाश संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह पौधों की सामान्य विकास प्रक्रिया में सहायक होता है। इसकी कमी के कारण भी इंटरवेनल क्लोरोसिस दिखाई देता है, लेकिन यह आयरन की कमी से थोड़ा अलग होता है। इसमें पत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो धीरे-धीरे गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं। पत्तियों का हरा रंग कम हो जाता है और पत्तियां कमजोर होकर गिरने लगती हैं। पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और उनकी उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। इसकी कमी दूर करने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम मैंगनीज सल्फेट का प्रयोग करें।
  • जिंक की कमी के लक्षण: जिंक पौधों में हार्मोन संतुलन और एंजाइम गतिविधि के लिए आवश्यक होता है। यह पौधों की वृद्धि में सहायक होता है। इसकी कमी की प्रारंभिक अवस्था में नई पत्तियां पीली हो जाती हैं और परिपक्व यानी पुरानी पत्तियों की ऊपरी शिराओं के बीच की सतह पर गड्ढे बन जाते हैं। पत्तियों की सतह पर धब्बे या पीले धब्बे दिखाई देते हैं। पौधों में शाखाओं की संख्या में कमी आती है। इसकी कमी होने पर प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम ‘देहात न्यूट्रीवन Zn 12%’ का प्रयोग करें।
  • बोरोन की कमी के लक्षण: बोरोन पौधों में कोशिका विभाजन के साथ फूलों और फलों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी के कारण बैंगन के फलों का आकार छोटा रह जाता है। इसके साथ ही फलों के वजन में भी कमी आती है। बोरोन की कमी फलों के फटने और समय से पहले गिरने का कारण भी बनता है। बैंगन के पौधों में बोरोन की कमी दूर करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 250 ग्राम डाईसोडियम ओक्टाबोरेट टेट्राहाइड्रेट- बी-20% (देहात न्यूट्रीवन DOT) का प्रयोग करें।

बैंगन के पौधों में पोषक तत्वों का प्रयोग

  • सल्फर, बोरोन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए पौधों की रोपाई से पहले प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम कैल्शियम बोरेट (देहात न्यूट्रीवन कैल्शियम बोरेट) का प्रयोग करें।
  • पौधों में आयरन और सल्फर की कमी दूर करने के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम फेरस सल्फेट (देहात न्यूट्रीवन FeSo4) का प्रयोग करें।
  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 25 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट (देहात न्यूट्रीवन MgSO4) का प्रयोग करें।
  • बैंगन के पौधों में ज़िंक की कमी पूरी करने के लिए प्रति लीटर पानी में 1-2 ग्राम 'देहात न्यूट्रीवन जिंक ऑक्साइड' का प्रयोग करें।
  • पौधों के बेहतर विकास के लिए प्रति लीटर पानी में 2-3 मिलीलीटर 'देहात न्यूट्रीवन बूस्ट मास्टर' का प्रयोग करें।
  • पौधों में फूलों एवं फलों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 'देहात न्यूट्रीवन फ्लॉवरिंग स्पेशल फर्टिलाइजर' का प्रयोग करें।

आवश्यकता से अधिक मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करने से होने वाले नुकसान

  • पौधों की असंतुलित वृद्धि: आवश्यकता से अधिक मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करने से पौधों का असंतुलित विकास होता है। कुछ मामलों में पोषक तत्वों का असंतुलन भी हो जाता है। अधिक मात्रा में फॉस्फोरस का उपयोग जिंक और आयरन की कमी का कारण बन सकता है। वहीं नाइट्रोजन की अधिकता से पत्तियां बड़ी और गहरे हरे रंग की हो सकती हैं लेकिन फलों के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
  • मिट्टी की गुणवत्ता पर असर: लगातार अधिक मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना और उर्वरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधियां कम हो जाती हैं। इसके साथ ही मिट्टी की अम्लता में परिवर्तन हो सकता है और पीएच स्तर असंतुलित हो जाता है।
  • फलों और फूलों की गुणवत्ता में कमी: अधिक मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करने के कारण फलों का आकार असंतुलित हो सकता है और उनका स्वाद भी खराब हो सकता है। कुछ मामलों में ये फलों और फूलों के गिरने का कारण भी बन सकता है।
  • लागत में वृद्धि: आवश्यकता से अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से फसल को नुकसान होने के साथ कृषि में होने वाली लागत में भी बढ़ोतरी होती है।
  • जल प्रदूषण और मिट्टी विषाक्तता: आवश्यकता से अधिक उर्वरक पौधे ग्रहण नहीं कर पाते हैं और सिंचाई या वर्षा के दौरान पानी के साथ बहकर नीचे चले जाते हैं। ये नदियों या पानी के अन्य स्रोतों में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। वहीं कई बार कुछ पोषक तत्व मिट्टी में जमा हो कर मिट्टी को विषाक्त बना सकते हैं।

बैंगन की फसल में आप किन पोषक तत्वों का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: बैगन में कौन सा खाद डालें?

A: बैंगन के पौधों में संतुलित मात्रा में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद के अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम का प्रयोग करें। कृषि विशेषज्ञों की परामर्श के अनुसार आप कैल्शियम, आयरन, जिंक, बोरोन, जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

Q: बैंगन के पौधे से अधिक उपज कैसे प्राप्त करें?

A: बैंगन के पौधे से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। जिनमें सही समय पर पौधों की रोपाई, सही समय पर सिंचाई, उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण, आदि शामिल है।

Q: बैंगन के पौधों के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

A: बैंगन के पौधों के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। इसके अलावा मिट्टी जांच के आधार पर आप सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

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