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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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बैंगन की पत्तियों पर दिखते चांदी जैसे धब्बों से करें कीट की पहचान

तेला बैंगन में पाया जाने वाला एक रस चूसक कीट है, जो पौधों का रस चूसकर फलों, फूलों और पत्तियों को खुरच कर नुकसान पहुंचाते हैं। ये कीट आकार में इतने छोटे होते हैं कि उन्हें खुली नजरों से देख पाना सामान्य तौर पर नामुमकिन ही होता है और फसल में यदि बहुत कम संख्या में हो तो अक्सर नजरअंदाज भी हो जाते हैं। तेला आमतौर पर 1.25 से 1.5 इंच तक लंबे होते हैं। इनके शरीर का रंग पीला या हरा होता है।

तेला बैंगन में फूलों और फलों को प्रभावित करते हैं और उपज को कम करते हैं। कीट का लार्वा और वयस्क नई पत्तियों, फूलों और कई अलग-अलग फसलों के खरपतवारों पर भी अंडे देते हैं और उन्हें अपना घर बनाते हैं। कीट का वयस्क और पंखहीन लार्वा दोनों ही सफेद, पीले और अन्य हल्के रंग के फूलों की ओर आकर्षित होते हैं। इसके अलावा पौधों पर इनका अधिक प्रकोप पौधों की भोजन बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है जिससे पौधे मुरझाकर सूखने लगते हैं।

तेला से होने वाले नुकसान

  • इस कीट से प्रभावित पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं।

  • प्रकोप बढ़ने पर पौधों का विकास रुक जाता है।

  • प्रभावित पौधों के फल का आकार छोटा रह जाता है।

  • इनके प्रकोप से पत्ते किनारों से पीले पड़ जाते हैं तथा नीचे की ओर मुड़ने लगते हैं।

  • संक्रमित पत्तियों की सतह चांदी जैसे रंग की हो जाती है इसलिए इन्हें “सिल्वर लीफ” के नाम से भी जाना जाता है।

कीट नियंत्रण

  • पौधों के बीच में उपयुक्त स्थान रखें।

  • नाइट्रोजन युक्त खाद का उपयोग जरूरत से अधिक न करें।

  • खेत में 4-5 स्टिकी ट्रैप लगाएं।

  • नीम के तेल का छिड़काव भी कारगर साबित हो सकता है।

  • प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर डाइमेथोएट 30% ई.सी मिलाकर छिड़काव करने से भी इस कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है।

  • इसके अलावा आप 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

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