जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' के लाभ एवं तैयार करने की विधि | Benefits and Preparation Method of Organic Pesticide 'Brahmastra'
जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' के लाभ एवं तैयार करने की विधि | Benefits and Preparation Method of Organic Pesticide 'Brahmastra'
फसलों में थ्रिप्स, सफेद मक्खी, माहू, जैसिड, जैसे रस कीटों का प्रकोप अधिक होता है। आकार में छोटे और समूह में होने के कारण यह बहुत कम समय में फसल को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। इन कीटों से छुटकारा दिलाने के लिए बाजार में कई तरह के कीटनाशक उपलब्ध हैं। लेकिन इनमें मौजूद रसायन खेत की मिट्टी एवं पर्यावरण के बहुत हानिकारक साबित होते हैं। ऐसे में गौ मूत्र एवं अन्य प्राकृतिक उत्पादों से तैयार जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' एक बेहतर विकल्प बन कर उभर रहा है।
रस चूसक कीटों से होने वाले नुकसान | Damage caused by sucking pests
- रस चूसक कीट पौधों की कोमल शाखाएं, फूल, कोमल फलियों एवं पत्तियों का रस चूसते हैं।
- रस चूसक कीट से प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं।
- कई बार प्रभावित पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं।
- इन कीटों के प्रकोप के कारण पौधों के विकास में बाधा आती है।
- पौधे मुरझा कर सूखने लगते हैं।
- फसल की पैदावार में भारी कमी आती है।
रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods for controlling sucking pests
- स्टिकी ट्रैप का प्रयोग: सफेद मक्खी, माहू, जैसे उड़ने वाले रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए खेत में स्टिकी ट्रैप लगान लाभदायक साबित होता है। प्रति एकड़ खेत में 4-6 स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें। कुछ दिनों के अंतराल पर खेत में लगे हुए स्टिकी ट्रैप का निरीक्षण करते रहें और आवश्यकता होने पर इन्हें बदल दें।
- फेरोमेन ट्रैप का प्रयोग: कीटों पर नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप यानी गंधपाश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें नर कीटों को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरह के ल्योर का इस्तेमाल किया जाता है। नर कीट इसमें लगे ल्योर की तरफ आकर्षित हो कर फंस जाते हैं। जिससे कीटों की संख्या में वृद्धि पर रोक लगाया जा सकता है।
- रासायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रयोग: कीटों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की रासायनिक दवाएं उपलब्ध हैं। कीटों पर नियंत्रण के लिए ये एक आसान तरीका है, लेकिन लम्बे समय तक इसके प्रयोग से इनमें मौजूद हानिकारक रसायनों के कारण खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होने लगती है। इसके अलावा रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से कृषि में होने वाली लागत में भी वृद्धि होती है।
- जैविक कीटनाशकों का प्रयोग: फसल को नुकसान पहुंचाने वाले रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। किसान बहुत कम लागत में घर में आसानी से जैविक कीटनाशक तैयार कर सकते हैं। इनके प्रयोग से खेत की मिट्टी, पौधों एवं हमारे स्वास्थ्य पर किसी तरह का हानिकारक प्रभाव भी नहीं होता है।
क्या है ब्रह्मास्त्र? | What is Brahmastra?
ब्रह्मास्त्र प्राकृतिक तत्वों से तैयार किया जाने वाला एक तरह का जैविक कीटनाशक है, जिसे आसानी से घर में तैयार किया जा सकता है। फसलों में इसका प्रयोग थ्रिप्स, सफेद मक्खी, माहू, जैसिड, जैसे रस कीटों पर नियंत्रण के लिए बहुत कारगर होता है।
फसलों में जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' प्रयोग करने के लाभ | Benefits of using organic pesticide 'Brahmastra' in crops
- ये कीटों पर नियंत्रण के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
- प्राकृतिक होने के कारण इसके इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर प्रतिकूल असर नहीं होता है।
- कृषि में होने वाली लागत में कमी आती है।
- हानिकारक रासायनिक उत्पादों के इस्तेमाल में कमी आती है।
- फसलों की उपज एवं गुणवत्ता बढ़ती है।
- जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' का इस्तेमाल पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित है।
जैविक कीटनाशक ‘ब्रह्मास्त्र’ बनाने के लिए आवश्यक सामग्री | Ingredients required to prepare organic pesticide 'Brahmastra'
- गोमूत्र- 10 लीटर
- नीम के पत्ते (पीसकर)- 5 किलोग्राम
- सफेद धतूरे के पत्ते (पीसकर)- 2 किलोग्राम
- सीताफल के पत्ते (पीसकर)- 2 किलोग्राम
- करंज- 2 किलोग्राम
- अमरूद के पत्ते- 2 किलोग्राम
- आरंडी के पत्ते- 2 किलोग्राम
- पपीते के पत्ते- 2 किलोग्राम
- साफ कपड़ा (तैयार सामग्री छानने के लिए)
- गौमूत्र एवं पत्तियों को उबलने के लिए एक बड़ा बरतन
जैविक कीटनाशक ‘ब्रह्मास्त्र’ बनाने की विधि | Process of preparing organic pesticide 'Brahmastra'
- जैविक कीटनाशक ‘ब्रह्मास्त्र’ बनाने के लिए सबसे पहले नीम, सफेद धतूरा, सीताफल, करंज, अमरूद, आरंडी, पपीता में से किसी भी 5 पौधों की पत्तियों को ऊपर बताई गई मात्रा के अनुसार लें।
- इन पत्तियों को गोमूत्र में मिला कर अच्छी तरह उबालें।
- करीब 4 उबाल आने के बाद इस मिश्रण को ठंडा होने दें।
- 48 घंटे रखने के बाद उबले हुए मिश्रण को किसी साफ कपड़े से छान लें। जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' तैयार है।
- कीटों पर नियंत्रण के लिए 100 लीटर पानी में 2-3 लीटर 'ब्रह्मास्त्र' मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें।
- इस मिश्रण को 6 महीने तक भंडारित रखा जा सकता है।
क्या आपने कभी फसलों में जैविक कीटनाशक ‘ब्रह्मास्त्र’ का इस्तेमाल किया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'देसी जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें। यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: जैविक कीटनाशक क्या हैं?
A: जैविक कीटनाशक प्राकृतिक सामग्री जैसे जानवरों, पौधों, बैक्टीरिया और कुछ खनिजों से प्राप्त पदार्थों से तैयार किए जाते हैं, जिनका उपयोग कृषि में कीटों और रोगों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इन्हें रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में एक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प माना जाता है।
Q: घर पर जैविक कीटनाशक कैसे तैयार करें?
A: प्रकृति सामग्रियों के द्वारा घर पर आसानी से कई तरह के जैविक कीटनाशक तैयार किए जा सकते हैं। जिनमें नीम का तेल, लहसुन से तैयार स्प्रे और मिर्च से तैयार किया गया स्प्रे आदि शामिल हैं। चींटियों, एफिड्स और कैटरपिलर जैसे कीटों को दूर भगाने के लिए 2 बड़े चम्मच मिर्च पाउडर को 1 लीटर पानी और लिक्विड डिश वॉशर की कुछ बूंदों के साथ मिला कर छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा साबुन और पानी के घोल का इस्तेमाल कर के भी घुन, एफिड और सफेद मक्खियों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
Q: सर्वाधिक प्रचलित जैविक कीटनाशक कौन सा है?
A: जैविक कीटनाशकों में सबसे ज्यादा नीम के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। नीम के तेल के बढ़ते इस्तेमाल के कारण आज कई बड़ी कंपनियां नीम के तेल से बने उत्पादों की बिक्री कर रही हैं।
Q: जैविक और सिंथेटिक कीटनाशकों में क्या अंतर है?
A: जैविक कीटनाशक पौधों, बैक्टीरिया और कवक जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं, और कृषि में कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये कुछ विशेष कीटों को नष्ट करते हैं या दूर भगाते हैं। वहीं सिंथेटिक कीटनाशकों को रासायनिक रूप से प्राप्त किया जाता है और कीटों को मारने या नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सिंथेटिक कीटनाशकों से लाभकारी कीट, मधुमक्खियों, पक्षियों और पशुओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। दूसरी तरफ जैविक कीटनाशक सिंथेटिक कीटनाशकों की तुलना में पर्यावरण और लाभकारी कीट, मधुमक्खियों, पक्षियों आदि के लिए कम हानिकारक माने जाते हैं।
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