अरहर और मूंगफली की मिश्रित खेती के लाभ | Benefits of Mixed Farming of Pigeon Pea and Groundnut
मिश्रित खेती भारतीय कृषि प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे किसान एक ही समय में एक से अधिक फसलों की खेती कर सकते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि के उपयोग को बढ़ाती है बल्कि खेती को अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाती है। अरहर और मूंगफली की मिश्रित खेती एक लोकप्रिय विकल्प है, क्योंकि ये फसलें एक-दूसरे की वृद्धि और उत्पादकता में सहायक होती हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम अरहर एवं मूंग की मिश्रित खेती की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
अरहर और मूंगफली की मिश्रित खेती क्या है? | What is Mixed Farming of Pigeon Pea and Groundnut?
एक ही खेत में दो या अधिक फसलों की एक साथ खेती करने की प्रक्रिया को मिश्रित खेती कहा जाता है। अरहर एक दलहन फसल हैं और मूंगफली एक तिलहन फसल है। इन दोनों फसलों की मिश्रित खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। इन दोनों फसलें अपनी प्राकृतिक विशेषताएं हैं, जिसके कारण ये एक-दूसरे की मदद करती हैं।
अरहर और मूंगफली की मिश्रित खेती के लाभ | Benefits of Mixed Farming of Pigeon Pea and Groundnut
- मिट्टी की उर्वरक क्षमता में सुधार: अरहर एक दलहन फसल है, जो नाइट्रोजन-स्थिरीकरण प्रक्रिया के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करती है। मूंगफली की जड़ों में भी राइजोबियम बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण में योगदान देते हैं। इन फसलों की संयुक्त खेती से मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।
- पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग: अरहर की गहरी जड़ें होती हैं, जो मिट्टी की गहराई से पोषक तत्वों को ग्रहण कर सकती हैं। वहीं मूंगफली की उथली जड़ें सतह के पास से पोषक तत्वों का उपयोग करती हैं। इस प्रकार, दोनों फसलें भूमि में मौजूद पोषक तत्वों का कुशलतापूर्वक उपयोग करती हैं।
- सिंचाई के समय पानी की बचत: मिश्रित खेती में एक ही खेत में एक साथ कई फसलों की जाती है। जिससे सिंचाई के समय पानी की बचत होती है।
- कीट और रोग नियंत्रण: मिश्रित खेती में विभिन्न प्रकार की फसलों की उपस्थिति कीट और रोगों के प्रसार को कम करने में सहायक साबित हो सकती है। एक साथ अरहर और मूंगफली की खेती कीटों के लिए असमंजस पैदा करता है, जिससे फसलों की सुरक्षा बढ़ती है।
- आर्थिक लाभ: किसान एक ही समय में दलहन और तिलहन दोनों का उत्पादन कर सकते हैं। यह खाद्य सुरक्षा और आय के स्रोत दोनों में वृद्धि करता है। बाजार में अरहर और मूंगफली दोनों की मांग अधिक है, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिलता है।
- जलवायु के प्रति सहनशीलता: अरहर सूखा सहनशील फसल है, जबकि मूंगफली को थोड़ी अधिक नमी की आवश्यकता होती है। यह संयोजन बदलती जलवायु परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता बढ़ाता है।
- भूमि के अधिकतम उपयोग की संभावना: दोनों फसलों की वृद्धि दर और पकने का समय अलग-अलग होता है। इससे किसान एक ही खेत से अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
अरहर और मूंगफली की मिश्रित खेती की प्रक्रिया | Process of Mixed Farming of Pigeon Pea and Groundnut
- खेत की तैयारी: खेत की अच्छी तरह जुताई करें। जुताई के बाद पाटा लगा कर खेत को समतल बनाएं। इसके बाद दोनों फसलों की बुवाई के लिए उपयुक्त दूरी पर कतारें बनाएं।
- बीज का चयन और बुवाई की प्रक्रिया: दोनों फसलों से बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले अरहर और मूंगफली के बीज का चयन करें। बुवाई के समय अरहर की पक्तियों के बीच करीब 18 इंच की दूरी बनाए रखें। अरहर की कतारों के बीच मूंगफली की बुवाई करें। इसे 1:1 अनुपात में उगाया जाना चाहिए।
- सिंचाई: मिट्टी में मौजूद नमी के अनुसार सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक सिंचाई अरहर एवं मूंगफली दोनों फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। ठंड के मौसम में आप 8-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं।
- उर्वरक प्रबंधन: दोनों फसलों से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना जरूरी है। उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच जरूर कराएं। जांच के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें।
- खरपतवार नियंत्रण: दोनों फसलों की वृद्धि के लिए खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। खेत में खरपतवार पनपने पर निराई-गुड़ाई करें। खरपतवारों की समस्या अधिक होने पर उचित मात्रा में रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।
- फसल की कटाई: अरहर की फलियां जब पीली होकर सूखने लगे यानी बुवाई के करीब 90-120 दिनों बाद अरहर की कटाई करें। इसके बाद मूंगफली की कटाई करें। मूंगफली की पत्तियां पीली होकर गिरने लगे तब फसल की कटाई एवं खुदाई की जा सकती है। दोनों फसलों को नुकसान से बचाने के लिए कटाई के लिए उपयुक्त मशीनरी का उपयोग करें।
- भंडारण: खराब होने से बचाने के लिए कटाई के बाद फसलों को सूखे और साफ स्थान पर भंडारित करें।
क्या आपने कभी अरहर और मूंगफली की मिश्रित खेती की है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकारी को अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: मिश्रित खेती क्या है?
A: मिश्रित खेती एक कृषि प्रणाली है जहां एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती एक साथ ही जाती है।
Q: मिश्रित खेती का मुख्य लाभ क्या है?
A: मिश्रित खेती के कई लाभ हैं। इस विधि से खेती करने वाले किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है और खेत में पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इस विधि से खेती करने पर लागत में भी कमी हो सकती है।
Q: मिश्रित खेती कैसे करें?
A: मिश्रित खेती करने के लिए, उपयुक्त फसलों का चयन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए ऐसी फसलों का चयन करें जो एक दूसरे की पूरक हो। फसलों का चयन करने के बाद खेत की तैयार और फसलों के बीच की दूरी का भी विशेष ध्यान रखें। सभी फसलों की बुवाई एवं कटाई का समय भी भिन्न हो सकता है और इसके आधार पर ही बुवाई एवं कटाई करें।
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