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7 May
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भारतीय परिदृश्य में पशुओं एवं उनकी उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

जलवायु परिवर्तन की समस्या केवल भारत में ही नहीं है, यह एक विश्व स्तरीय समस्या है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार 19वीं सदी की तुलना में धरती का तापमान करीब 2 से 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ गया है। इसके साथ ही वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी करीब 50 प्रतिशत तक बढ़ी है। जलवायु परिवर्तन के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें कुछ प्राकृतिक एवं कुछ मानव जनित कारण शामिल हैं। जिसके दुष्प्रभाव मनुष्यों, पशु-पक्षी, कृषि, आदि सभी पर नजर आते हैं। बात करें कुछ मुख्य कारणों की तो ग्रीन हाउस में कार्बनडाई आक्साइड, मीथेन, आदि हानिकारक गैसों का प्रयोग, कृषि में अधिक मात्रा में कार्बनडाई आक्साइड का प्रयोग, ज्वालामुखी विस्फोट, कारखानों से निकलने वाले हानिकारण गैस, इनमें शामिल हैं। आइए जलवायु परिवर्तन के कारण पशुओं पर होने वाले प्रभाव की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

जलवायु परिवर्तन का पशुओं पर प्रभाव | Impact of climate change on animals

  • जलवायु परिवर्तन की मार से पशु-पक्षी भी अछूते नहीं हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। लगातार बढ़ता तापमान एवं आर्द्रता विभिन्न कीटों के पनपने का मुख्य कारण है। जिसके परिणामस्वरुप पशुओं में कई तरह के रोगों के होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है।
  • कई संकर नस्ल के पशुओं में प्रोटोजोआ रोग जैसे सर्रा एवं बबेसियोसिस बढ़ने का भी खतरा होता है।
  • बढ़ता तापमान एवं वातावरण में आर्द्रता के कारण पशुओं में थनैल रोग, खुरपका-मुंहपका, आदि रोगों के होने की शिकायत भी बढ़ती जा रही है।
  • पीपीआर, बोवाइन वायरल डायरिया से बछड़े-बछिया के अलावा व्यस्क पशु भी प्रभावित हो सकते हैं।
  • बढ़ते तापमान का प्रतिकूल असर पशुओं के विकास एवं उनके यौवन पर भी देखने को मिलता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग के प्रति संकर नस्ल के पशु देसी नस्ल के पशुओं से अधिक संवेदनशील होते हैं।
  • अत्यधिक गर्मी, शीत लहर एवं आवश्यकता से अधिक वर्षा होने पर पशुओं के दूध उत्पादन में 5 से 20 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है।
  • कुछ शोधों के अनुसार गर्मी के तनाव के कारण पशुओं के दूध उत्पादन में 10 से 25 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
  • तापमान में अचानक परिवर्तन से पशुओं की प्रजनन क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है।

जलवायु परिवर्तन से पशुओं पर होने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव | Psychological effects of climate change on animals

  • चयपचय दर कम होने लगती है।
  • पशु तेज गति से सांस लेने लगते हैं।
  • पशुओं को पसीना भी अधिक आता है।
  • बढ़ते तापमान में पानी की आवश्यता के साथ इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की समस्या भी बढ़ जाती है।
  • पशुओं के त्वचा की सतह पर रक्त का तेज प्रवाह होने लगता है। जिससे रक्त वाहिका विस्फर हो जाती है।

जलवायु परिवर्तन से पशुओं को बचाने के कुछ तरीके | Ways to protect animals from climate change

  • आहार एवं पानी : पशुओं के आहार में दाने की मात्रा बढ़ाएं। उनके आहार में हरे चारे को भी शामिल करें। जिंक, कॉपर, कोबाल्ट, मैंग्नीज, सेलेनियम, आदि सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए उचित पशु आहार का चयन करें। पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बाजार में देहात पशु आहार भी उपलब्ध है।
  • रोगों से बचाव : पशुओं को कई तरह जीवाणु, विषाणु, आदि रोगो से बचाने के लिए सही समय पर टीका कारण कराएं। कीटों से बचाने के लिए पशु आवास की खिड़कियों में जाली लगाएं। किसी भी रोग के लक्षण नजर आने पर उसे नजरअंदाज करने की जगह तुतंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें।
  • पशु आवास : बदलते मौसम की मार से पशुओं को बचाने के लिए विभिन्न मौसम में पशु आवास में पंखा-कूलर, हीटर, आदि की व्यवस्था करें।

रखें इन बातों का ध्यान | Keep these things in mind

  • अपने क्षेत्र के अनुसार पशुओं के नस्ल का चयन करें।
  • गर्मी एवं ठंड के प्रति सहनशील नस्ल के पशुओं का पालन करें।
  • पशुओं के स्थानीय नस्लों में सुधार के लिए विशेष प्रजनन विधि को अपनाएं।

पशुओं को मौसम की मार से बचाने के लिए आप क्या तरीके अपनाते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। पशुओं के स्वास्थ्य और उनके आहार से जुड़ी अधिक जानकारियों के लिए 'पशु ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: पशुओं को लू से कैसे बचाएं?

A: पशुओं को लू से बचाने के लिए उन्हें छांव वाले स्थान पर रखें। उनके पीने के लिए स्वच्छ एवं ठंडे पानी की व्यवस्था करें। गर्म हवाओं से बचाने के लिए पशु आवास की खिड़कियों पर बोर लगाएं। पशुओं को ठंडे पानी से नहलाएं। आवश्यकता होने पर पशु आवास में पंखे इत्यादि की व्यस्था करें।

Q: लू लगने के क्या लक्षण है?

A: पशुओं में लू लगने के कई लक्षण होते हैं। जिनमें उच्च शारीरिक तापमान, तेज हृदय गति, कमजोरी, सुस्ती, मांसपेशियों में कंपकंपाहट, आंखों का लाल होना, दस्त, सांसों की गति तेज होना, जैसे लक्षण प्रमुख हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर पशुओं को तुरंत नजदीकी पशुओं के डॉक्टर से दिखाएं।

Q: लू लगने पर तुरंत क्या उपचार करना चाहिए?

A: लू लगने पर पशुओं के शरीर को गीले कपड़े से साफ करें। उनके शरीर में पानी कमी दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। पशुओं को गर्म हवाओं से बचा कर रखें और आवश्यकता होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

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