भिंडी की फसल में जैविक खाद का प्रयोग

भिंडी की खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में की जाती है। भिंडी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन ए, बी एवं सी तथा थायमिन व रिबोफ्लेविन से युक्त होती है। यह एक सब्जी की फसल है। जिसके कारण भिंडी में अधिक मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि कम अंकुरण और धीमी बढ़वार होने जैसी स्थितियों में फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति की मांग होती है, जिसे जैविक खाद के उपयोग से दूर किया जा सकता है। यह खाद पूरी तरह से प्राकृतिक होती है और इसका फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके साथ ही यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने और मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए भी उपयोगी है। अगर आप भी भिंडी की खेती कर रहे हैं तो, जैविक खाद के चुनाव और सही मात्रा की जानकारी यहां से देखें।
भिंडी के फसल में जैविक खाद
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बुवाई से एक माह पूर्व 16 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ खेत के हिसाब से डालें। गोबर की खाद से मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाती है।
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बुवाई से एक माह पहले 2 से 3 टन नीम की खली का प्रयोग प्रति एकड़ खेत में करें। नीम की खली के प्रयोग से पौधों में रोग और कीटों का प्रकोप नहीं हो पाता है।
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पौधों में फूल आने के समय पर पौधों के पास एक-एक मुट्ठी वर्मीकम्पोस्ट डालें। इससे पौधों को पोषण मिलता है और फूल, फल नहीं झड़ते हैं।
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200 लीटर गोमूत्र को 8 गुणा पतला करके प्रति एकड़ खेत की तैयारी के समय डालें। यह खेत की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखती है।
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प्रति किलोग्राम मूंगफली की खली 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। इससे मिट्टी में पाए जाने वाले खतरनाक कीटाणु खत्म हो जाते हैं।
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