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30 Apr
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भिंडी में फल छेदक कीट के लक्षण एवं प्रबंधन | Symptoms and Management of Fruit Borer in Okra

भिंडी में फल छेदक कीट के लक्षण एवं प्रबंधन | Symptoms and Management of Fruit Borer in Okra

भिंडी की फसल को फल छेदक कीट के प्रकोप से भारी क्षति पहुंचती है। वर्षा ऋतु में इस कीट का प्रकोप अधिक होता है। भिंडी की खेती किए जाने वाले लगभग सभी क्षेत्रों में फल छेदक कीट का प्रकोप होता है। कई बार फल छेदक कीटों के प्रकोप के कारण भिंडी की उपज में भारी कमी देखी जा सकती है। अगर आप भी कर रहे हैं भिंडी की खेती और फल छेदक कीट से हैं परेशान तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप इस कीट के प्रकोप से होने वाले नुकसान के साथ इन पर नियंत्रण के तरीकों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

भिंडी की फसल में फल छेदक कीट की कैसे करें पहचान? | How to identify fruit borer in okra crop?

  • फल छेदक कीट आकार में छोटे होते हैं और व्यस्क कीटों के शरीर पर पंख होते हैं।
  • मादा कीट फलों में छेद करके उसके अंदर अंडे देती है।
  • कई बार पत्तियों की निचली सतह पर भी अंडों के समूह देखे जा सकते हैं।
  • पतंगे यानी व्यस्क कीट शाम के समय भिंडी के पौधों के आसपास उड़ते हुए देखे जा सकते हैं।

भिंडी की फसल में फल छेदक कीट से होने वाले नुकसान | Damage caused by fruit borer in okra crop

  • शुरुआत में इस कीट की इल्लियां पौधे के कोमल तने में छेद करने लगती हैं।
  • जिससे तना एवं पौधों का ऊपरी भाग धीरे-धीरे सूखने लगता है।
  • पौधों में फल आने के बाद ये कीट फलों में छेद करने लगते हैं और उसके अंदर के भाग को खाते हैं।
  • प्रभावित फलों का आकार विकृत हो जाता है, जिससे फल टेढ़े-मेढ़े नजर आने लगते हैं।
  • प्रभावित भिंडी के फल उपयोग के योग्य नहीं रहते हैं।
  • इस कीट का प्रकोप बढ़ने पर फल एवं फूल विकसित होने से पहले ही झड़ने लगते हैं।
  • प्रभावित पौधे मुरझाने लगते हैं

भिंडी की फसल को फल छेदक कीट के प्रकोप से बचाने के तरीके | Ways to protect okra crop from fruit borer

  • गहरी जुताई: भिंडी की बुवाई से पहले खेत में गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद कीट नष्ट हो जाते हैं।
  • खरपतवार प्रबंधन: कभी-कभी कीट मुख्य फसल से पहले खरपतवारों पर पनपते हैं। इसके बाद वे मुख्य फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं। इसलिए खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण की उचित व्यवस्था करें।
  • प्रभावित हिस्सों की कटाई: इस कीट को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित हिस्सों को पौधों से अलग कर के नष्ट कर दें।

भिंडी की फसल में फल छेदक कीट पर नियंत्रण की जैविक विधि | Organic method of controlling fruit borer in okra crop

  • फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग: फल छेदक कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 6 से 8 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। नर कीट इसकी तरफ आकर्षित हो कर फंस जाते हैं। जिससे इनकी वृद्धि पर रोक लगाई जा सकती है।
  • नीम के तेल का छिड़काव: फल छेदक कीट पर नियंत्रण के लिए नीम के तेल का छिड़काव एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम के तेल को मिला कर छिड़काव करें।

भिंडी की फसल में फल छेदक कीट पर नियंत्रण की रासायनिक विधि | Chemical method of controlling fruit borer in okra crop

इस कीट पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।

  • 150-200 लीटर पानी में 80-100 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एंटोकिल) मिला कर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें ।
  • प्रति एकड़ खेत में छिड़काव के लिए 150-200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर क्लोपाइरीफोस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी  (देहात सी-स्क्वायर) का प्रयोग करें।
  • 150-200 लीटर पानी में 100 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी (देहात इल्लीगो) मिला कर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • 150-200 लीटर पानी में 150 मिलीलीटर इमामेक्टिन डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) मिला कर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में छिड़काव के लिए 150-200 लीटर पानी में 80-100 मिलीलीटर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% w/w एस सी (एफएमसी कोराजन) का प्रयोग करें।
  • 150-200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर नोवलूरॉन 5.25% + इंडोक्साकार्ब 4.5% w/w एस सी (अडामा प्लेथोरा) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

भिंडी की फसल में फल छेदक कीटों पर नियंत्रण के लिए आप किसी विधि का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों के प्रकोप से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करके आप इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: भिंडी के कीट कौन-कौन से हैं?

A: भिंडी की फसल में कई तरह के कीटों का प्रकोप होता है। जिनमें तना एवं फल छेदक कीट, माहू, सफेद मक्खी, मकड़ी, मिली बग, लीफ माइनर कीट, निमाटोड, दीमक, हरा तेला, आदि कुछ प्रमुख कीट हैं।

Q: भिंडी के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक कौन सा है?

A: भिंडी की फसल में विभिन्न प्रकार के कीटों का प्रकोप होता है। इनमें से कुछ कीट पौधों एवं पत्तियों का रस चूसते हैं, वहीं कई ऐसे कीट भी हैं जो पौधों के तने और जड़ों को काट कर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। सभी कीटों के लिए बाजार में अलग-अलग कीटनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। भिंडी की फसल के लिए अच्छे कीटनाशक का चयन कीटों के अनुसार ही करें।

Q: कीट और रोग प्रबंधन कैसे किया जाता है?

A: फसलों में कीट और रोग प्रबंधन के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। जिनमें से प्रतिरोधी किस्मों का चयन, खेत की गहरी जुताई, जैविक एवं रासायनिक दवाओं का प्रयोग, स्टिकी ट्रैप और फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग, प्रकाश प्रपंच का प्रयोग, खरपतवारों पर नियंत्रण, पौधों के प्रभावित हिस्सों को अलग करके नष्ट करना, आदि कुछ प्रमुख तरीके हैं।

Q: भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है?

A: भिंडी कई बीमारियों के लिए अतिसंवेदनशील है। लेकिन भारत में भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी येलो वेन मोज़ेक वायरस (वाईवीएमवी) को माना जाता है। सफेद मक्खियों के द्वारा यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। पत्तियों का पीलापन और मुड़ना, पौधों के विकास में रुकावट, उपज में कमी होना, इस रोग के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। भारत में भिंडी उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा है, और इससे किसानों को महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हो सकता है।

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