भरपूर पैदावार के लिए गर्मी में पालक की खेती के लिए ऐसे करें खेत तैयार

हरी एवं पत्तेदार सब्जियों में पालक का विशेष स्थान है। आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण यह हमारे शरीर में रक्त की कमी को पूरी करता है। वैसे तो इसकी खेती के लिए ठंड का समय उपयुक्त है। लेकिन हम गर्मी के मौसम में भी पालक की सफलतापूर्वक खेती कर सकते हैं। एक बार बुवाई करने के बाद कई बार पालक की कटाई की जा सकती है। अगर आप भी गर्मी के मौसम में पालक की खेती करना चाहते हैं तो खेत तैयार करने की विधि यहां से देखें।
पालक की खेती का उपयुक्त समय
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पालक की बुवाई मुख्यतः सितम्बर से नवंबर महीने तक की जाती है।
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इसके अलावा इसकी बुवाई वर्षा एवं गर्मी के मौसम में भी की जाती है।
पालक की खेती के लिए खेत की जुताई
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सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से 1 बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार एवं हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
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इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
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जुताई के बाद मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए पाटा लगाना जरूरी है।
खेत तैयार करते समय उर्वरक प्रबंधन
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आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस एवं 24 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
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इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 10 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
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गोबर की खाद के अलावा नीम की खली का भी प्रयोग कर सकते हैं।
पालक की खेती के लिए बुवाई की विधि
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सामान्यतौर पर पालक की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है।
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लेकिन अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए पालक की बुवाई क्यारियों में करें।
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सभी क्यारियों के बीच 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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बीज की बुवाई 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर करें।
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बीज को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बुवाई करें।
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