बोरॉन और कैल्शियम की उचित मात्रा से बढ़ाए तरबूज का उत्पादन

रबी की फसल की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं। ऐसे में किसान तरबूज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तरबूज की फसल 90 से 100 दिनों के अंतराल में पक कर तैयार हो जाती है। यह कम लागत में उगाई जाने वाली एक फसल है। जिसकी मांग बढ़ते तापमान के साथ निरंतर रूप से बढ़ती है। तरबूज में मुख्यतः बोरॉन और कैल्शियम की कमी से पैदावार पर असर देखने को मिलता है। बोरॉन और कैल्शियम की कमी से पौधों को उचित रूप से पोषण नहीं मिल पाता है। जिसके कारण फल, फूल झड़ने और पौधे का विकास रुकने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अगर आप भी तरबूज की खेती कर रहे हैं तो पौधों के लिए उपयोगी बोरॉन और कैल्शियम की मात्रा की जानकारी यहां से देख सकते हैं।
बोरॉन और कैल्शियम की कमी से होने वाले नुकसान
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बोरॉन की कमी तरबूज में दरारों का कारण बनती है।
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शुरुआती दौर में फसल में बोरॉन और कैल्शियम की कमी से फल नहीं बन पाते हैं।
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पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है।
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पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है।
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नई कलियां बननी बंद हो जाती हैं।
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कैल्शियम की कमी फलों की चमक को प्रभावित करती है।
तरबूज की फसल में उपयोगी बोरॉन और कैल्सियम की मात्रा
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फसल में फल बनते समय 4 से 5 किलोग्राम कैल्शियम के साथ 1 किलोग्राम बोरॉन का छिड़काव प्रति एकड़ के अनुसार करें।
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पहले छिड़काव के 7 से 8 दिन बाद एन पी के खाद 0:0:50 का प्रयोग 2 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार करें।
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कैल्शियम नाइट्रेट की 5 किलोग्राम प्रति एकड़ मात्रा का प्रयोग 36 से 45 दिनों के भीतर दो बार करें।
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देहात नियोबोर का छिड़काव 3 से 4 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार करें।
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