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4 Oct
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ब्रोकली की खेती कैसे करें | Broccoli Cultivation

ब्रोकली गोभी वर्गीय सब्जियों में से एक है। इसके पौधे और फूल देखने में फूलगोभी की तरह होते हैं। इसके फूलों का रंग हरा, पीला और बैंगनी होता है। जिनमें हरे रंग की ब्रोकली सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसमें विटामिन सी, विटामिन के, कैल्शियम, आयरन, और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक होते हैं। भारत में ब्रोकली की खेती लोकप्रिय हो रही है और वर्तमान में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जा रही है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी इसकी खेती की जा रही है। इसकी खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आप इस पोस्ट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

ब्रोकली की खेती कैसे करें? How to cultivate Broccoli

  • ब्रोकली की खेती के लिए उपयुक्त समय: ब्रोकली की खेती के लिए सबसे अच्छा समय शरद ऋतु और सर्दियों का होता है। उत्तर भारत में, ब्रोकली की बुवाई का सही समय सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है। वहीं, दक्षिण भारत में यह नवंबर से जनवरी के बीच किया जा सकता है। बीज के अंकुरण एवं पौधों के उचित विकास के लिए 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना बेहतर है।
  • उपयुक्त जलवायु : ब्रोकली की खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक सर्दी ब्रोकली की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। अधिक तापमान होने पर पौधों के विकास पर असर होता है साथ ही पत्ते पीले होने लगते हैं। दिन का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15-18 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।
  • उपयुक्त मिट्टी: ब्रोकली की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जैविक पदार्थों की प्रचुरता होनी चाहिए, जो पौधों के अच्छे विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सके। हल्की रचना वाली मिट्टी में जैविक खाद मिलाकर इसकी खेती की जा सकती है।
  • बीज की सही मात्रा: प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 120 से 150 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है, फिर पौधों को खेत में रोपा जाता है। नर्सरी में बीजों को करीब 1 से 1.5 सेंटीमीटर गहराई पर बोया जाता है।
  • खेत की तैयारी एवं उर्वरक : खेत तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार गहरी जुताई करें। इसके बाद कल्टीवेटर या देशी हल से 2-3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी व खेत को समतल बना लें। प्रत्येक जुताई के बाद खेत में नमी की मात्रा संतुलित रखने के लिए हल्की सिंचाई करें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे पानी का ठहराव न हो सके। अंतिम जुताई के समय खेत में जैविक खाद या 80-100 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 80-100 किलोग्राम यूरिया, 60-70 किलोग्राम डीएपी और 20-30 किलोग्राम एमओपी खाद मिलाएं। पौधों की रोपाई के लिए खेत में क्यारियां बना लें।
  • पौधों की रोपाई: बीज की बुवाई के करीब 25-30 दिनों के बाद मुख्य खेत में पौधों की रोपाई की जा सकती है। पौधों की रोपाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 18-24 इंच की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच की दूरी 18 इंच होनी चाहिए। पौधों की रोपाई के लिए शाम का समय सबसे बेहतर होता है इसलिए पौधों की रोपाई शाम के समय करें। रोपाई करते समय रोग से प्रभावित एवं कमजोर पौधों को निकाल कर फेंक दें और स्वस्थ पौधों का चयन करें।
  • सिंचाई प्रबंधन: ब्रोकली की फसल में सिंचाई की की आवृत्ति मिट्टी में मौजूद नमी की मात्रा के अनुसार तय की जाती है। पौधों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। पौधों के विकास की शुरुआती अवस्था में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। सामान्य तौर पर 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है। फसल की कटाई के करीब 2 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर दें, जिससे पौधे में नमी की मात्रा नियंत्रित रहे और फसल की गुणवत्ता बेहतर हो। पौधों को कई घातक रोगों से बचाने के लिए सिंचाई के दौरान खेत में जल जमाव न होने दें।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार ब्रोकली की फसल के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं, क्योंकि वे पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। खरपतवार पर नियंत्रण के लिए कुछ समय के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करते रहें। पौधों के आसपास मल्चिंग का उपयोग करके भी खरपतवारों की वृद्धि को रोका जा सकता है। जैविक खेती में, जैविक खरपतवारनाशक का उपयोग भी किया जा सकता है। खरपतवारों की समस्या बढ़ने पर आप रासायनिक शाक नाशक दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • रोग एवं कीट नियंत्रण: ब्रोकली की फसल को कई रोग और कीट प्रभावित कर सकते हैं। जिनमें आल्टरनेरिया ब्लाइट, क्लब रूट, एफिड्स, डायमंड बैक मॉथ आदि कुछ प्रमुख हैं। पौधों को इन रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए फसलों का लगातार निरीक्षण करें। इससे शुरुआती चरण में ही रोगों एवं कीटों को रोका जा सकता है। आवश्यकता के अनुसार आप खेत में रासायनिक फफूंद नाशक दवाओं एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। पौधों को नुकसान से बचाने के लिए दवाओं की मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • फसल की कटाई: ब्रोकली के फूल जब पूर्ण रूप से विकसित हो जाए तब फसल की कटाई की जाती है। फसल को तैयार होने में लगने वाला समय उसकी किस्मों और जलवायु पर निर्भर करता है। सामान्यतः ब्रोकली की कटाई रोपाई के 60-70 दिनों के बाद की जाती है। कटाई के समय फूलों को पौधे से काटकर अलग कर लिया जाता है। प्रति एकड़ खेत से लगभग 5 से 6 टन ब्रोकली की पैदावार होती है। इससे आप दोबारा फसल प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस बात को ध्यान में रखें कि पौधों में दोबारा आने वाले फूलों का आकार छोटा होता है।

आप ब्रोकली की फसल के साथ अन्य किन फसलों की खेती करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि सम्बन्धी अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: ब्रोकली कब और कैसे लगाएं?

A: ब्रोकोली एक ठंडे मौसम की फसल है जिसे भारत में अक्टूबर से दिसंबर के महीनों के दौरान लगाया जा सकता है। आखिरी ठंड की तारीख से 6-8 सप्ताह पहले बीज को घर के अंदर शुरू करना सबसे अच्छा है और फिर मिट्टी का तापमान लगभग 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने पर उन्हें बाहर रोपाई करें।  ब्रोकोली 6.0 से 7.0 के बीच पीएच के साथ अच्छी तरह से सूखा, उपजाऊ मिट्टी पसंद करती है और अच्छी तरह से बढ़ने के लिए लगातार नमी की आवश्यकता होती है।

Q: ब्रोकली उगाने में कितने दिन लगते हैं?

A: नर्सरी में बीज की बुवाई के बाद पौधों को तैयार होने में करीब 30 दिनों का समय लगता है। वहीं मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के करीब 60-70 दिनों बाद पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

Q: भारत में ब्रोकली कहां उगती है?

A: भारत में तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में इसकी व्यावसायिक खेती की जाती है।

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