बरसीम की खेती से अधिक पैदावार लेने के लिए करें इस तरह सिंचाई

उत्तर भारत में बरसीम की खेती पशुओं के हरे चारे के लिए की जाती है। इसको खाने से पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है। इसके साथ ही यह फसल किसानों के हरे चारे की समस्या को भी कम करती है। यह फसल पूरे शीतकालीन और गर्मी की शुरुआत तक हरा चारा देती है। इसलिए ज्यादातर किसान पशुओं के आहार के लिए इसकी खेती करते हैं। किन्तु कई बार देखने को मिलता है कि किसानों को इसकी सिंचाई की सही जानकारी नहीं होती है। जिससे किसान कई बार अधिक पानी देते हैं और फसल सड़-गल जाती है। वहीं कम मात्रा में पानी देने पर फसल सूख जाती है। दोनों ही तरीकों से पानी देने पर फसल का उत्पादन अच्छे से नहीं हो पाता है। इसलिए किसानों को इसकी सिंचाई के बारे में सही जानकारी होना बहुत आवश्यक है। अगर आपको भी इसकी सिंचाई की सही जानकारी लेनी है तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए ही है। इससे आप बरसीम में सिंचाई करने की सही विधि जान सकते हैं और अपनी फसल से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
बरसीम की फसल में सिंचाई का प्रबंधन
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बरसीम की सिंचाई भूमि पर निर्भर करती है। अगर आपने बरसीम की रोपाई सूखी भूमि पर की है तो फसल में पहली सिंचाई अंकुरण के तुरंत बाद करें।
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समतल भूमि में रोपाई की है तो क्यारियों में सिंचाई धीमे बहाव से करनी चाहिए। तेज बहाव से सिंचाई करने पर बीज बहकर किनारे की तरफ इकठ्ठे हो जाएंगे।
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पानी भर कर बुआई कर रहे हैं तो बुआई के कुछ दिन बाद ही दूसरी हल्की सिंचाई करें।
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गर्मियों के मौसम में एक सप्ताह के अंतराल पर फसल में सिंचाई कर देनी चाहिए।
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हरे चारे की प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करें। यह फसल की अच्छी वृद्धि एवं अधिक उपज के लिए आवश्यक है।
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सर्दी के मौसम में इसकी फसल में 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए।
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फसल में एक बार में लगभग 5 सेंटीमीटर से ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए।
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बरसीम की खेती के लिए सिंचाई और जल निकास की समुचित व्यवस्था होना आवश्यक है।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और बरसीम की खेती में सही से सिंचाई कर फसल का अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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