बरसीम की उन्नत किस्में

पशुओं के लिए स्वादिष्ट एवं पौष्टिक चारा प्राप्त करने के लिए बरसीम की खेती की जाती है। इसकी खेती सीतोष्ण जलवायु में की जाती है। इसकी खेती करने से पहले कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। इस पोस्ट में बताई गई किस्मों की खेती कर के आप बरसीम की बेहतर उपज प्राप्त कर सकेंगे।
कुछ उन्नत किस्में
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पूसा ज्वाइंट : अधिक ठंड एवं पाले वाली जगहों पर खेती करने के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इसके फूलों का आकर बड़ा होता है। प्रति एकड़ भूमि से 36 टन तक हरे चारे का उत्पादन होता है
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वरदान : इस किस्म की खेती उत्तर भारत के राज्यों में अधिक की जाती है। फसल की बुवाई के बाद 4 से 5 बार इसकी कटाई की जा सकती है। प्रति एकड़ खेत से 32 से 40 टन तक हरे चारे की प्राप्ति होती है।
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जवाहर बरसीम 1 : यह वर्षा एवं ठंड के मौसम में खेती करने के लिए उपयुक्त किस्मों में से एक है। पौधों की ऊंचाई 1 से 1.5 फीट होती है। रोपाई के लगभग 40 से 50 दिनों बाद पहली कटाई की जा सकती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर प्रत्येक कटाई से करीब 7 टन उत्पादन होता है।
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बी एल 42 : इस किस्म की खेती ठंड के साथ गर्मी के मौसम में भी की जा सकती है। अगेती पैदावार प्राप्त करने के लिए यह उपयुक्त किस्म है। बुवाई के 40 दिनों बाद पहली कटाई कर सकते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 52 टन तक हरे चारे की उपज होती है।
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जे एच बी 146 : इस किस्म को बुंदेलखंड बरसीम 2 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म के पौधों में 20 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है। बुवाई के 45-50 दिनों बाद यह पहली कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर प्रत्येक कटाई से करीब 8 टन उत्पादन होता है। इसकी 4 से 5 बार इसकी कटाई की जा सकती है।
इन किस्मों के अलावा भारत में बरसीम की कई अन्य किस्मों की खेती भी की जाती है। जिसमे बी एल 1, मेस्कावी, बी एल 10, जे एच टी बी 146, बी बी 3, जवाहर बरसीम 2, एचएफबी 600, पूसा गैंट, खादरावी, बी ए टी- 678, टाइप 529, आदि कई किस्में शामिल हैं।
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