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चारे की फसल
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
4 year
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चारे वाली फसल

पशुओं के भोजन के लिए हरा चारा सबसे जरूरी होता है। हरा चारा न मिले तो दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अप्रैल महीने तक हमें बरसीम , जई (जौ), रिजका आदि का हरा चारा मिल जाता है। लेकिन मई - जून महीने में अक्सर इसकी कमी हो जाती है। ऐसे में किसान आलू , सरसों जैसी फसलों की कटाई के बाद चारे वाली फसलों की खेती कर सकते हैं। हरे चारे के तौर पर किसान कई फसलों का प्रयोग करते हैं। तो चलिए जानते हैं चारे वाली फसलों के बारे में।

  • नेपियर घास : यह पशु पलकों और किसानों के बीच तेजी से प्रचलित हो रहा है। यह दिखने में गन्ने की तरह होता है। इसे लगाने के लगभग 50 दिनों बाद कटाई की जा सकती है। पहली कटाई के बाद हर 35-40 दिन के अंतराल पर  इसकी कटाई कर सकते हैं। इसे एक बार लगा कर 4 से 5 वर्षों तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। प्रति एकड़ जमीन से 300 से 400 क्विंटल हरे चारे की प्राप्ति होती है।

  • ज्वार : उत्तर भारत में इसकी खेती खरीफ मौसम में की जाती है। इसकी बुवाई के लिए अप्रैल से जुलाई का महीना सबसे बेहतर है। इसकी एक बार खेती कर किसान कई बार कटाई कर के चारा प्राप्त कर सकते हैं। बुवाई के करीब 50 से 60 दिनों बाद पहली कटाई की जाती है। इसके बाद हर 25 से 30 दिनों के अंतराल पर 3 - 4 बार कटाई की जा सकती है। प्रति एकड़ जमीन से हर कटाई से लगभग 80-100 क्विंटल हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं।

  • ग्वार फली : प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होने के कारण यह पशुओं के लिए बेहतरीन चारा है। इसकी खेती गर्मी और बारिश दोनों मौसम में की जाती है।   गर्मी की फसल के लिए फरवरी - मार्च में बुवाई की जाती है। वहीं बारिश के मौसम वाली किस्मों की बुवाई जून - जुलाई में करनी चाहिए।

  • लोबिया : इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है। इसके साथ ही यह फॉसफोरस और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। प्रति एकड़ जमीन से औसतन 28 से 32 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है। मार्च - अप्रैल का महीना इसकी बुवाई के लिए सर्वोत्तम है।

  • मक्का : मक्का का चारा मुलायम होता है। चारा के लिए अफ्रीकन टाल, जे 1006 और प्रताप चारा-6 किस्मों की खेती सबसे बेहतर होती है। इसके चारे के लिए अलावा गंगा -11, कम्पोजिट मक्का किस्मों की खेती भी की जा सकती है। हरे चारे के लिए मक्के की कटाई 50 - 55 दिनों में कर लेनी चाहिए। प्रति एकड़ खेत से आप 160 से 180 क्विंटल हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं।

  • बाजरा : हरे चारे के लिए कम्पोजिट बाजरा, जाइन्ट बाजरा, राज-171, नरेन्द्र चारा बाजरा-2, एल-72, एल-74 आदि किस्मों की खेती लाभदायक होती है। मार्च से अप्रैल का महीना इसकी बुवाई के लिए सबसे। प्रति एकड़ भूमि से 160 से 180 क्विंटल हरे चारे की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा बरसीम, रिजका, जई (जौ) और शहतूत को भी हरे चारे के तौर पर प्रयोग किया जाता है।

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