चेरी की खेती (Cherry Ki Kheti)
चेरी एक लोकप्रिय गुठलीदार फल है, जिसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। यह फल न केवल अपने स्वाद के लिए बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभों के लिए भी प्रसिद्ध है। चेरी में विटामिन A, विटामिन C, विटामिन B6, मैंगनीज, आयरन, कॉपर, थायमिन, नायसिन और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा, चेरी में एंटीऑक्सीडेंट्स की भी भरपूर मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। इस लेख में, हम चेरी की खेती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें जलवायु, मिट्टी, बुवाई, खाद, सिंचाई, रोग और कीट प्रबंधन शामिल हैं।
कैसे करें चेरी की खेती? (How to cultivate cherry?)
- मिट्टी: चेरी की खेती के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है। आदर्श मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में होना चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी चेरी के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। अत्यधिक जलभराव वाली या अत्यधिक रेतीली मिट्टी चेरी के पेड़ को प्रभावित कर सकती है।
- जलवायु: चेरी की खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके फल देने के लिए 15°C से 25°C तक के तापमान की जरूरत होती है। फूल खिलने के लिए, चेरी के पेड़ों को 7°C से कम तापमान की शीतकालीन निष्क्रियता की आवश्यकता होती है। इसलिए, चेरी की खेती उन क्षेत्रों में की जाती है जहां सर्दी ठंडी और लंबी हो।
- बुवाई का समय: चेरी के पेड़ों को रूटस्टॉक्स पर ग्राफ्टिंग करके प्रचारित किया जा सकता है। रोपण के लिए आदर्श समय दिसंबर से फरवरी तक सर्दियों के महीनों के दौरान है। चेरी के पौधे को फरवरी से मार्च या अक्टूबर से दिसंबर तक सर्दियों के दौरान रोपा जाता है।
- उन्नत किस्में: भारत में चेरी की खेती के लिए कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं: जल्दी तैयार होने वाली किस्में: अर्ली, एल्टन, अर्ली राईवरर्स ब्लेक हार्ट। मध्य समय में तैयार होने वाली किस्में: प्रोलोफिक बेडफोर्ड, वाटरलू। देर से तैयार होने वाली किस्में: इम्परर, फ्रैंसिस, गर्वरनर उड।
- पौधरोपण: बीज से पौध तैयार करना: चेरी के पौधे बीज से तैयार किए जा सकते हैं। बीज पूरी तरह से पके होने चाहिए और उन्हें एक दिन के लिए विशेष विधि से भिगोकर ठंडे और सूखे स्थान पर संग्रहित किया जाता है। बीज अंकुरण के लिए शीतल उपचार की आवश्यकता होती है। बीजों को 24 घंटे के लिए ठंडे और सूखे स्थान पर भिगोकर रखें। बीजों की रोपाई फरवरी, जून, और सितंबर के महीनों में की जाती है। ग्राफ्टिंग विधि: चेरी के पौधे को रूटस्टॉक्स पर ग्राफ्ट करके भी तैयार किया जा सकता है। रोपाई के बाद पौधों को लकड़ी का सहारा देना आवश्यक है। चेरी के तने को तेज सूरज की रोशनी से बचाना चाहिए। तने पर चूने का लेप लगाना या कार्डबोर्ड की पट्टी से ढकना लाभकारी रहेगा।
- पौधरोपण की विधि: चेरी के पौधे लगभग 46 सेमी (18 इंच) ऊंचे होने पर खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। पौधों को 6 इंच ऊंचे और 45-50 इंच चौड़े बेड में लगाएं और तैयार बेड के बीच 18 इंच की दूरी रखें। पंक्तियों से पंक्तियों के बीच 6 से 10 इंच की दूरी रखें। पौधे से पौधे के बीच 1 इंच की दूरी रखें। पौधों की रोपाई ठंडे मौसम में करनी चाहिए। प्रति एकड़ लगभग 200 पौधे लगाने के लिए 4.5 मीटर x 4.5 मीटर की दूरी की आवश्यकता होती है।
- सिंचाई प्रबंधन: चेरी को बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है क्योंकि यह फल जल्दी पककर तैयार हो जाता है। इसलिए इसे सूखी जलवायु में भी उगाया जा सकता है। हालांकि, नमी बनाए रखने के लिए पलवार का उपयोग किया जा सकता है। खट्टी चेरी की किस्मों को कम पानी की आवश्यकता होती है।
- खाद एवं उर्वरक प्रबंधन: चेरी के पौधों को अन्य पौधों की तुलना में अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। स्वस्थ विकास और फल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए फास्फोरस और पोटाश की पर्याप्त मात्रा देना आवश्यक है। चेरी के पौधों में सेब की फसल के लिए प्रयुक्त खाद की मात्रा समान रूप से उपयोग की जाती है, जबकि खट्टी चेरी में अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। प्रति पौधा 217 ग्राम यूरिया, 600 ग्राम डीएपी, और 430 ग्राम एम.ओ.पी. आवश्यक होता है।
- चेरी की खेती में लगने वाले रोग एवं रोकथाम: चेरी पौधों में कई रोग और कीट समस्याएं हो सकती हैं। बैक्टीरियल गमोसिस को रोकने के लिए पतझड़ और वसंत में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें। लीफ स्पाट में पत्तियों पर बैंगनी धब्बे होते हैं, जो सूखकर छेद बनाते हैं। भूरा धब्बा फलो की तुड़ाई के समय होता है, खासकर मीठी और ड्यूक किस्मों में, जिसमें सड़े हुए हिस्सों पर भूरे धब्बे बनते हैं। ब्लैक फ्लाई नए पत्तियों और शाखाओं पर पाया जाता है, जो शहद जैसा पदार्थ छोड़ता है, जिससे फल खराब हो जाता है।
- अंतर फसल: भारत में चेरी की खेती के लिए फलियां, जैसे मटर और सेम, और पत्तेदार सब्जियां, जैसे पालक और सलाद उपयुक्त अंतर फसलों में शामिल हैं।
- तुड़ाई: चेरी के पौधे पौध रोपाई के 5 साल बाद फल देना प्रारंभ करते हैं और 10 साल तक अच्छी उपज देते हैं। यदि पेड़ का अच्छे से ध्यान रखा जाए, तो 50 साल तक फल का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। फल मई के बीच में पकना शुरू कर देते हैं। बिंग और ब्लैक हार्ट किस्मों के फल में फटने की समस्या कम होती है। चेरी की कटाई तब की जाती है जब फल पूरी तरह से परिपक्व हो जाएं, आमतौर पर मई के अंत से जून के प्रारंभ तक।
- उपज: 1 पेड़ से लगभग 15-25 किलो फल की उपज होती है। फल पकने से पहले ही तोड़ लेना चाहिए, नहीं तो पकने के बाद जल्दी खराब हो सकते हैं। मीठी चेरी को ताजा खाया जाता है और खट्टी चेरी को शाक, मुरब्बा, या डिब्बाबंदी के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
चेरी के फायदे ( Benefits of cherries ):
- चेरी में विटामिन A, B, C, थायमिन, कॉपर, एंटीऑक्सीडेंट, पानी, आयरन, नायसिन, मैंगनीज, राइबोफ्लेविन, पोटेशियम, फाइबर, क्यूर्सेटिन, फास्फोरस और बीटा-कैरोटीन जैसे विभिन्न पोषक तत्व होते हैं।
- प्रतिदिन कम से कम 8 चेरी खाने से दिल संबंधी रोगों की संभावना कम होती है।
- चेरी का सेवन अच्छी नींद लाने में मदद करता है, जिससे शरीर और मन दोनों को आराम मिलता है।
- चेरी वजन घटाने में मदद करती है, जिससे शरीर के वजन को संतुलित रखना आसान हो जाता है।
- चेरी शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे आप दिनभर सक्रिय रह सकते हैं।
- चेरी पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करती है, जिससे भोजन का बेहतर पाचन होता है।
- चेरी कैंसर के बढ़ते टिश्यू को रोकने में सहायक होती है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)
Q: चेरी का पौधा कितने दिन में फल देता है?
A: चेरी के पौधे रोपाई के 5 साल बाद फल देना शुरू करते हैं और 10 साल तक अच्छी उपज देते हैं। अच्छे ध्यान से पेड़ 50 साल तक फल दे सकते हैं। फल मई के बीच में पकने लगते हैं, और बिग और ब्लैक हार्ट किस्मों में फटने की समस्या कम होती है। कटाई मई के अंत से जून की शुरुआत तक की जाती है जब फल पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं।
Q: चेरी कब बोई जाती है?
A: चेरी के पेड़ बीज से नहीं बोए जाते, बल्कि ग्राफ्टिंग या रूटस्टॉक्स पर नवोदित करके उगाए जाते हैं। इन्हें लगाने का सही समय पतझड़ (अक्टूबर-नवंबर) और वसंत (फरवरी-मार्च) है। इन मौसमों में हल्का और अनुकूल मौसम पौधों की वृद्धि और विकास के लिए सही होता है।
Q: चेरी की खेती कहाँ-कहाँ होती है?
A: चेरी की खेती मुख्य रूप से उत्तरी राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड में की जाती है। इन राज्यों की उपयुक्त जलवायु और स्थलाकृति चेरी की खेती के लिए अनुकूल हैं।
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