चने में खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Gram)

चना भारत की प्रमुख फसल है, लेकिन खरपतवार इसकी उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। ये अवांछित पौधे चने के पौधों से पोषक तत्व, पानी और धूप छीन लेते हैं, जिससे उनका विकास रुक जाता है और उत्पादन घट जाता है। खरपतवार पौधों को कमजोर कर बीमारियों और कीटों का खतरा बढ़ाते हैं। प्रभावी प्रबंधन के लिए निराई-गुड़ाई, रासायनिक छिड़काव और फसल चक्र जैसे उपाय अपनाना आवश्यक है।
चने में खरपतवार के कारण होने वाले नुकसान (Damage caused by weeds in gram):
खरपतवार चने की फसल के लिए बेहद हानिकारक होते हैं और इनसे कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। ये फसल से पोषक तत्व, पानी और सूरज की रोशनी छीन लेते हैं, जिससे पौधों का विकास प्रभावित होता है।
- पोषक तत्वों की कमी: खरपतवार चने के पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों को सोख लेते हैं, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनका विकास रुक जाता है।
- पानी की कमी: खरपतवार पानी के लिए भी चने के पौधों से प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे फसल को सही मात्रा में पानी नहीं मिल पाता। नतीजतन, पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और उत्पादन घट जाता है।
- बीमारियों और कीटों का प्रकोप: कुछ खरपतवार कीटों और बीमारियों को आकर्षित करते हैं, जो बाद में चने की फसल पर हमला करते हैं और फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
- सूरज की रोशनी की कमी: कुछ खरपतवारों का आकार बड़ा होता है, जिससे वे चने के पौधों तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंचने देते। इससे पौधे सही से प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते और उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है।
- उपज में कमी: खरपतवार की अधिकता के कारण चने के पौधे कमजोर और छोटे रह जाते हैं, जिससे उत्पादन में भारी कमी आती है और किसानों की आय प्रभावित होती है।
चने के प्रमुख खरपतवार: चने की फसल में कई प्रकार के खरपतवार उगते हैं, जो उत्पादन को 40-50% तक कम कर सकते हैं। ये खरपतवार न केवल पौधों के विकास को बाधित करते हैं, बल्कि पैदावार की गुणवत्ता भी गिरा देते हैं। प्रमुख खरपतवारों में हिरनखुरी, गाजरी, प्याजी, जंगली जई, मोथा, बथुआ, सेंजी, और जंगली गाजर शामिल हैं। ये पौधों से पोषक तत्व, पानी और धूप छीन लेते हैं, जिससे चने के पौधे कमजोर होकर उत्पादन में कमी लाते हैं।
चने में खरपतवार नियंत्रण के तरीके (Weed control methods in gram)
- खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए चने की फसल के बाद दूसरे सीजन में गेहूं या मक्का जैसी फसलें लगाने से खरपतवारों को नियंत्रित कर सकते हैं।
- चने के साथ अन्य फसलों की मिलाकर बुवाई करने से खरपतवार के लिए उपलब्ध जगह और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इससे खरपतवारों की वृद्धि और मुकाबला कम होता है।
- उचित समय पर चने की बुवाई करने से पौधों को जल्दी बढ़ने का अवसर मिलता है और खरपतवारों को उगने से रोका जा सकता है। इससे चने के पौधे खरपतवारों से पहले बढ़ जाते हैं।
- निराई-गुड़ाई खरपतवार नियंत्रण की सबसे आसान और पुरानी विधि है। चने में पहली निराई बुवाई के 25 से 30 दिन बाद करनी चाहिए, जब खरपतवार की शुरुआती वृद्धि होती है। उसके बाद 10-15 दिन के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है।
- मल्चिंग में खेत की मिट्टी पर कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थों की परत बिछाई जाती है, जिससे खरपतवारों को उगने से रोका जा सके। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और खरपतवार अंकुरित नहीं होते। मल्चिंग चने की फसल के लिए आदर्श मानी जाती है, क्योंकि यह तापमान और नमी को नियंत्रित करती है।
- समय पर सिंचाई करने से खरपतवारों की संख्या को कम किया जा सकता है। पानी की कमी से खरपतवार तेजी से फैलते हैं, इसलिए नियमित पानी देना आवश्यक है।
- रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन 30% ईसी (दोस्त, पेन्डेक्स, धानुटोप) दवा को 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के पहले या फिर बीजों के अंकुरण के पहले छिड़काव करके खरपतवारों को पनपने से रोका जा सकता है।
- इमाज़ेथापायर 10% एसएल (बीएएसएफ परस्यूट, ग्रासआउट) दवा को 400 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- मेटोलाक्लोर 50% ईसी (यूपीएल एमिकस, SWAL एलिटो) दवा को 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर बुवाई के पहले या अंकुरण से पहले तक छिड़काव करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: खरपतवार नाशक कितने दिन तक काम करता है?
A: खरपतवार नाशक दवाओं का प्रभाव आमतौर पर 2-3 सप्ताह तक रहता है। हालांकि, यह अवधि उपयोग की गई दवा और खरपतवार के प्रकार पर निर्भर करती है। कुछ दवाएं लंबे समय तक प्रभावी रह सकती हैं, लेकिन इसका ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि समय-समय पर दवाओं का उपयोग और सही खुराक बनाए रखना आवश्यक होता है। इसके लिए अनुशंसित निर्देशों का पालन करना चाहिए।
Q: खेत में खरपतवारों को बिना फसल को नुकसान पहुँचाये कैसे हटाया जा सकता है?
A: खेत में खरपतवारों को फसल को नुकसान पहुंचाए बिना हटाने के लिए हाथों से निराई-गुड़ाई, गार्डनिंग टूल्स जैसे कि कुदाल और खरपतवार निकालने वाले उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, जैविक खरपतवार नाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है, जो फसल को नुकसान पहुंचाए बिना खरपतवारों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इन विधियों से खरपतवारों की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
Q: खरपतवारों की समस्या को रोकने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं?
A: खरपतवारों की समस्या को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि खेत की गहरी जुताई, जो खरपतवारों की जड़ों को नष्ट करती है और नए खरपतवारों की वृद्धि को रोकती है। मल्चिंग का उपयोग भी प्रभावी होता है, जो खरपतवारों के अंकुरण को रोकता है और मिट्टी की नमी बनाए रखता है। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन और बुवाई के बाद समय पर रासायनिक खरपतवार नाशकों का छिड़काव खरपतवारों की समस्या को रोकने में सहायक होता है। इन उपायों को अपनाकर खेत में खरपतवारों की समस्या को कम किया जा सकता है और फसल की वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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