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9 Dec
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पालक की सम्पूर्ण खेती (Complete Spinach farming)


पालक (Spinach), जिसे हिंदी में "पालक" कहा जाता है, एक लोकप्रिय सब्जी है। यह आयरन, विटामिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो इसे स्वास्थ्य लाभ के लिए आदर्श बनाते हैं। पालक का सेवन पाचन, त्वचा, बाल, आंखों और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और यह कैंसर-रोधी व एंटी-एजिंग दवाइयों के निर्माण में भी उपयोग होता है। भारत में पालक की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, और गुजरात में की जाती है।

कैसे करें पालक की खेती? (How to cultivate Spinach?)

  • जलवायु (Climate): पालक एक ठंडे मौसम की फसल है और 17-24°C के तापमान में सबसे अच्छा उगती है। यह हल्की ठंढ को सहन कर सकती है, लेकिन उच्च तापमान और सूखे के प्रति संवेदनशील होती है। भारत में इसे अक्टूबर से फरवरी तक सर्दियों में उगाना सबसे प्रभावी है, जब ठंडा और नम वातावरण फसल के विकास के लिए आदर्श होता है।
  • मिट्टी (Soil): पालक के लिए अच्छी तरह से सूखी, जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी आदर्श होती है, जिसका पीएच 6.0-7.5 के बीच होना चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी, जो अच्छी जल-धारण क्षमता वाली हो, में भी पालक की खेती की जा सकती है। तेजाबी और जलजमाव वाली मिट्टी से बचना चाहिए, क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
  • बुवाई का समय (Sowing Time): पालक की बुवाई पूरे साल की जा सकती है, लेकिन सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक होता है। सर्दियों के मौसम में ठंडा और नम वातावरण पालक के विकास के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करता है। मानसून के मौसम (जून से सितंबर) में भी पालक की बुवाई की जा सकती है, लेकिन जलभराव को नियंत्रित करने के लिए अच्छी तरह से सूखी मिट्टी सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • किस्में (Varieties): पालक की विभिन्न किस्में विभिन्न जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त होती हैं। प्रमुख किस्मों में शामिल हैं: DS ऑल ग्रीन, अडवांटा की मुलायम, ईस्ट-वेस्ट ग्रीन फ्लेवर्ड और शाइन ब्रांड की सरिता जैसे ही अन्य कई उन्नत किस्में हैं।
  • बीज की मात्रा और बीज उपचार (Seed Quantity and Treatment): पालक की खेती के लिए बीज की मात्रा 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अनुशंसित है। बुवाई से पहले बीजों को एक कवकनाशी (जैसे थायरम या कैप्टन) से उपचारित किया जा सकता है। बीजों को बुवाई के 24 घंटे पहले कवकनाशी के घोल में भिगोकर बीज जनित रोगों से बचाव किया जा सकता है।
  • खेत की तैयारी (Field Preparation): पालक की बुवाई से पहले खेत की तैयारी महत्वपूर्ण होती है। खेत की जुताई 3-4 बार करें और इसके बाद मिट्टी को सुहागे से समतल करें। बुवाई के लिए लकीरें और कुंड तैयार करें। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद डालें, जैसे गला हुआ गोबर की खाद।
  • खाद और उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): पालक की फसल के अच्छे विकास और पैदावार के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद, प्रति एकड़ 78 किलोग्राम यूरिया, 44 किलोग्राम DAP, 33 किलोग्राम MOP खाद का इस्तेमाल करें। यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के समय डालें और बाकी की यूरिया को दो बराबर भागों में फसल की कटाई के समय डालें। खाद डालने के बाद हल्की सिंचाई करना न भूलें, जिससे उर्वरक अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाए।
  • सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): पालक को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से जब मिट्टी में नमी कम हो। गर्मियों में हर 4-6 दिनों में और सर्दियों में 10-12 दिनों में सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई विधि पालक की खेती के लिए लाभकारी हो सकती है, क्योंकि इससे पानी की बचत होती है और खरपतवारों की वृद्धि कम होती है।
  • खरपतवार प्रबंधन (Weed Management): खरपतवार पालक की फसल के पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। विकास के शुरुआती चरणों में खरपतवारों को हाथ से निराई या शाकनाशी का उपयोग करके नियंत्रित करें। नदीनाशक (जैसे पायराज़ोन) का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक उपयोग करें।
  • रोग और कीट (Pests and Diseases): पालक की फसल विभिन्न हानिकारक कीटों और बीमारियों से प्रभावित हो सकती है। प्रमुख कीटों में चेपा, एफिड्स, लीफ माइनर, स्लग और घोंघे शामिल हैं। बीमारियों में गोल धब्बे, मोज़ेक वायरस, कोमल फफूंदी, और झुलसा शामिल हैं। इनकी पहचान और नियंत्रण के लिए उचित उपायों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
  • कटाई (Harvesting): पालक की कटाई बुवाई के 30-40 दिन बाद की जा सकती है, जब पत्तियां युवा और कोमल हों। कटाई के लिए तीखे चाकू या दरांती का उपयोग करें। पत्तियों को हाथ से या मशीन का उपयोग करके अलग करें। भंडारण के लिए पत्तियों को ठंडी और सूखी जगह पर 2-3 दिन रख सकते हैं। रेफ्रिजरेटर में 0-2 डिग्री सेल्सियस पर एक सप्ताह तक संग्रहीत किया जा सकता है।

क्या आप पालक की खेती करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' कृषि ज्ञान ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: पालक की बुवाई कौन से महीने में होती है?

A: पालक की बुवाई सालभर की जा सकती है, लेकिन सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर तक होता है। सर्दियों में 15-20°C तापमान पालक के लिए आदर्श होता है। मानसून में भी बुवाई की जा सकती है, बशर्ते मिट्टी अच्छी तरह से सूखी हो।

Q: पालक की कटाई कितनी बार की जाती है?

A: पालक की पहली कटाई बुवाई के 30-40 दिनों बाद की जाती है, जब पत्तियां अच्छी तरह से विकसित हो चुकी होती हैं। इसके बाद, हर 15-20 दिनों में नई पत्तियों की कटाई की जाती है, जिससे ताजे पालक की निरंतर आपूर्ति बनी रहती है।

Q: पालक की खेती कहाँ की जाती है?

A: भारत में पालक की खेती विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है, जिसमें उत्तर के राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। पश्चिमी राज्यों में गुजरात और महाराष्ट्र में भी पालक उगाया जाता है। दक्षिणी राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भी इसकी खेती की जाती है। पालक एक ठंडे मौसम की फसल है और यह अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और मध्यम तापमान की परिस्थितियों में अच्छी तरह से उगती है।

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