अरबी की खेती (Cultivation of Arbi)
अरबी एक सदाबहार जड़ी-बूटी वाला पौधा है, जो उष्ण और उप-उष्ण क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसकी खेती भारत के विभिन्न राज्यों जैसे पंजाब, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, असम, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना में की जाती है। इस लेख में अरबी की खेती की संपूर्ण जानकारी दी गई है।
कैसे करें अरबी की खेती? (How to Cultivate Arbi?)
मिट्टी (Soil): अरबी की खेती के लिए उपजाऊ और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। बालुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।
जलवायु (Climate): अरबी की खेती उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह होती है। यह फसल गर्मी और सर्दी दोनों मौसम को सहन कर सकती है। अरबी के कंद अधिकतम 35 डिग्री और न्यूनतम 20 डिग्री तापमान में अच्छे से वृद्धि करते हैं। अधिक तापमान पौधों के लिए हानिकारक होता है। पौधे बारिश और गर्मियों के मौसम में तेजी से विकसित होते हैं, जबकि सर्दियों में पाला पौधों की वृद्धि रोक देता है।
बुवाई का समय (Sowing Time): अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है। खरीफ सीजन में बुवाई जुलाई महीने में की जाती है और फसल दिसंबर से जनवरी के महीने में तैयार होती है। रबी मौसम में बुवाई अक्टूबर महीने में करी जाती है और फसल अप्रैल से मई में तैयार होती है।
बुवाई का तरीका (Sowing Method): अरबी के बीज कंद के रूप में बोए जाते हैं। बुवाई के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जाती हैं:
- खेत में मेड़: मेड़ को 45 सेमी की दूरी पर बनाकर, कंदों की बुवाई दोनों किनारों से 30 सेमी की दूरी पर करें। बुवाई के बाद कन्दों को अच्छी तरह से मिट्टी से ढक दें।
- क्यारियों में बुवाई: समतल खेत में 45 सेमी की पंक्ति से पंक्ति की दूरी रखते हुए क्यारियों को तैयार करें। पौधों की दूरी 20 सेमी और कंदों की 6-7.5 सेमी की गहराई पर बुवाई करें।
- 1 एकड़ के लिए 300-400 किलोग्राम कंद की आवश्यकता होती है
उन्नत किस्में (Improved Varieties): अरबी की विभिन्न उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं: पंचमुखी, सफेद गौरिया, सहस्रमुखी और सी-9 सलेक्शन। इसके अलावा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इंदिरा अरबी - 1 और नरेंद्र अरबी-1 भी अच्छे उत्पादन वाली किस्में हैं।
खेत की तैयारी (Field Preparation): अरबी की बुवाई के लिए खेत की तैयारी महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
- जुताई: खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करें।
- खाद का प्रयोग: 15-20 दिन पहले खेत में 100-150 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं।
रोपाई की विधि (Transplanting Method): अरबी की खेती प्रायः समतल क्यारी विधि से की जाती है। 8 से 10 सेमी गहरी नाली 50 सेमी की दूरी पर बनाई जाती है। नालियों में 30 सेमी की दूरी पर अरबी के कंदो की रोपाई की जाती है। यह विधि बलुई दोमट भूमि के लिए सर्वोत्तम है। पौधे की वृद्धि के साथ मेड़ वाली मिट्टी को नालियों में डालते जाएं और बाद में अरबी की फसल पर मिट्टी चढ़ा दें।
रोपाई का समय, दूरी एवं बीज दर (Transplanting Time, Distance, and Seed Rate): अरबी की रोपाई दो मौसमों में की जाती है:
- ग्रीष्मकालीन रोपाई: फरवरी माह में, ऐसे क्षेत्रों में जहाँ सिंचाई का उत्तम प्रबंध हो।
- वर्षा कालीन रोपाई: जून माह में, इस मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि पानी की पूर्ति वर्षा से हो जाती है।
अरबी की रोपाई प्रायः कंदों से की जाती है। 20 से 25 ग्राम के कंद सबसे उपयुक्त पाए गए हैं। पंक्ति और पौधों के बीच 45×20 सेमी की दूरी पर रोपाई करने की अनुशंसा की गई है। रोपाई से पूर्व खेत में 5-6 सेमी गहराई वाली नालियों को निश्चित दूरी पर बना कर रोपाई करें। एक एकड़ खेत की रोपाई हेतु 4 से 5 क्विंटल कंदों की आवश्यकता पड़ती है।
उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): उचित पैदावार के लिए अरबी के खेत को मृदा परीक्षण के अनुसार खाद और उर्वरक का प्रयोग करें:
- रोपाई के समय 45 किग्रा यूरिया, 35 किग्रा एम.ओ.पी और 125 किग्रा एस.एस.पी. का इस्तेमाल करें। रोपाई के 35-45 दिन बाद 45 किग्रा यूरिया का इस्तेमाल करें।
- नाइट्रोजन और पोटाश की पहली मात्रा आधार के रूप में बुवाई के पहले दें। रोपण के एक माह पश्चात नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा का प्रयोग करें।
- अरबी की अच्छी उपज हेतु 7 से 8 टन/एकड़ कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद का उपयोग करें।
- नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की 40:20:20 किग्रा./एकड़ की दर से उर्वरक व्यवहार करें।
- जुताई के समय कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद को खेत में डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- रोपाई के पूर्व, अंतिम जुताई के समय फास्फोरस की पूरी मात्रा को नत्रजन और पोटाश के दो बराबर भागों में बांटे।
- पहला भाग खेत में मिलाकर रोपाई करें।
- दूसरा भाग बुवाई के 60 दिन बाद मिट्टी चढ़ाते समय टॉप ड्रेसिंग के रूप में उपयोग करें।
सिंचाई (Irrigation): अरबी के पौधों को उनकी वृद्धि और विकास के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है:
- खरीफ सीजन: पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। यदि कंदों की बुवाई बारिश के मौसम में की गई है, तो अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। यदि बारिश समय पर नहीं होती, तो 20 दिन के अंतराल में पानी दें।
- रबी सीजन: गर्मी के मौसम में पौधों को 7-8 दिन के अंतराल में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
खरपतवार प्रबंधन (Weed Management): खरपतवार नियंत्रण के लिए अरबी के खेत की समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें:
- पहली निराई: खेत की बुवाई के 30-35 दिनों के पश्चात करें।
- दूसरी निराई: 60-65 दिन पश्चात करें। निराई-गुड़ाई के दौरान पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाएं।
रोग और कीट प्रबंधन (Disease and Pest Management)
- रोग:
- पत्ता झुलसा रोग: इस बीमारी का हमला मुख्यतः बारिश की ऋतु में होता है। इससे पत्तों पर पानी के गोल धब्बे बन जाते हैं, जो सूखने के बाद पीले और गहरे जामुनी रंग के हो जाते हैं।
- बोबोन वायरस: यह वायरस द्वारा फैलने वाली बीमारी है। इससे झुर्री और विशाल पंख वाला चितकबरा रोग बन जाता है।
- चितकबरा रोग: यह वायरस द्वारा होने वाला रोग है, जो चूसक कीटों के कारण होता है। इससे पत्तों पर अलग-अलग तरह के धब्बे बने हुए दिखाई देते हैं।
- गांठों का गलना: इसके मुख्य लक्षण पत्तों का छोटे रह जाना, शिखर से मुड़ जाना, पीला पड़ना और धब्बे पड़ जाना है। इससे पौधे का विकास रुक जाता है।
- कीट: अरबी पर कीटों का हमला बीजों पर होता है, जो बीज उत्पादन को नुकसान पहुंचाते हैं।
कटाई (Harvesting): अरबी की बुवाई के 175-200 दिन में पककर तैयार हो जाती है। कंदों को पूरी तरह पकने के बाद ही बाजार में भेजने और एकत्रित करने के लिए खोदना चाहिए। अरबी के किस्मों और खेती की तकनीक के आधार पर इसकी उपज 150-180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
भंडारण (Storage): कटाई के बाद कंदों को धूप में सुखाकर भंडारण के लिए तैयार किया जाता है। अरबी का भाव बाजार में समय और मांग के अनुसार बदलता रहता है। एक अच्छा भाव मिलने पर प्रति एकड़ 1.5-2 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।
आप अरबी की खेती कैसे करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इस लेख में आपको खाद एवं उर्वरक की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है और ऐसी ही अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो इसे अभी लाइक करें और अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा जरूर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: अरबी कौन से महीने में लगाई जाती है?
A: अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है। खरीफ सीजन में बुवाई जुलाई महीने में की जाती है और फसल दिसंबर-जनवरी के महीने में तैयार होता है।रबी मौसम में बुवाई अक्टूबर महीने में करी जाती है और फसल अप्रैल से मई में तैयार होती है।
Q: अरबी की खेती कितने दिन में तैयार होती है?
A: अरबी की खेती की विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि अरबी की किस्म, मिट्टी का प्रकार, जलवायु और खेती के तरीके। अरबी का रोपण के बाद परिपक्वता तक पहुंचने में लगभग 6 से 8 महीने लगते हैं।
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