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27 June
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चेरी टमाटर की खेती | Efficient Cultivation of Cherry Tomato

चेरी टमाटर की खेती ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस से लेकर खुले क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। सामान्य टमाटर की तुलना में चेरी टमाटर की कीमत 4 से 5 गुणा अधिक होती है। यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। लाल एवं पीले रंग के ये रसीले टमाटर सामान्य टमाटर की तुलना में आकार में बहुत छोटे होते हैं। अधिक मुनाफा कमाने के लिए अगर आप भी करना छह रहे हैं चेरी टोमैटो की खेती तो इसकी खेती से जुड़ी जानकारियों के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

चेरी टमाटर  की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Cherry Tomatoes?

  • उपयुक्त जलवायु: चेरी टमाटर के पौधों को विकास के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इसलिए भारत में चेरी टमाटर की खेती गर्मियों के मौसम में की जाती है। इसकी खेती के लिए ऐसे स्थान का चयन करें जहां प्रति दिन 6-8 घंटे धूप आती है। वातावरण में आर्द्रता अधिक होने पर पौधों में फफूंद जनित रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • भूमि का चयन: कार्बनिक पदार्थों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में चेरी टमाटर के पौधों का बेहतर विकास होता है। इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी एवं दोमट मिट्टी आदर्श मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 6.8 के बीच होना चाहिए।
  • खेती का समय: चेरी टमाटर की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है। हालांकि अधिक ठंड में बीज के अंकुरण में समस्या आती है। इसलिए इसकी खेती गर्मी के मौसम में प्रमुखता से की जाती है। बुवाई के लिए फरवरी और मार्च का महीना सर्वोत्तम है।
  • बीज की मात्रा: चेरी टमाटर की खेती के लिए आवश्यक बीज की मात्रा विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। जिनमें खेती की जाने वाली भूमि का क्षेत्रफल, बीज अंकुरण दर, पौधों के बीच की दूरी और बुवाई की विधि, आदि शामिल है। सामान्य तौर पर, भारत में प्रति एकड़ खेत में चेरी टमाटर की खेती के लिए करीब 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। किसी विश्वसनीय स्रोत से उच्च गुणवत्ता वाले चेरी टमाटर के बीज खरीदें। बीज रोग मुक्त होने चाहिए और उच्च अंकुरण दर होनी चाहिए।
  • बेहतरीन किस्में: इसकी बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए आप आइरिस लाल चेरी टमाटर के बीज, आइरिस पीले चेरी टमाटर के बीज, का चयन कर सकते हैं।
  • मिट्टी की तैयारी: खेत तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी में पहले से मौजूद खरपतवारों का सफाया करें। इसके बाद जुताई कर के मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बनाएं। बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें। इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 10 टन एफवाईएम, 60 किलोग्राम डीएपी, 45 किलोग्राम पोटाश का म्यूरेट, 50 किलोग्राम माध्यमिक पोषक मिश्रण और 10 किलोग्राम सूक्ष्म पोषक मिश्रण का प्रयोग करें।
  • बुवाई की विधि: सबसे पहले प्रो ट्रे या नर्सरी में बीज की रोपाई करें। ट्रे के सभी खानों में 2-3 बीज की बुवाई करें। बीज की बुवाई 1-2 सेंटीमीटर की गहराई में करें और बुवाई के बाद बीज को मिट्टी से ढक दें। बुवाई के करीब 7-10 दिनों के अंदर बीज अंकुरित हो जाते हैं। अंकुरित पौधे जब जमीन की सतह से 10-15 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ जाए या जब पौधों में जब 3-4 पत्तियां निकल जाए तब मुख्य खेत में पौधों की रोपाई करनी चाहिए। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 35-48 इंच की दूरी होनी चाहिए। वहीं सभी पौधों के बीच 22-30 इंच की दूरी बनाए रखें।
  • सिंचाई प्रबंधन: चेरी टमाटर के पौधों को स्वस्थ विकास और फल उत्पादन बनाए रखने के लिए नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है। पानी की आवश्यकता विकास के चरण, मौसम की स्थिति और मिट्टी के प्रकार के आधार पर भिन्न होती है। पौधों में फूल और फल आने के समय सिंचाई के द्वारा मिट्टी में नमी बनाए रखना आवश्यक है। चेरी टमाटर के पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे कारगर विधि है। यह पानी के संरक्षण, खरपतवार के विकास को कम करने और मिट्टी के कटाव को रोकने में सहायक है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें। इसके लिए आप खुरपी, कुदाल एवं अन्य कृषि यंत्रों का भी सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा मल्चिंग तकनीक का प्रयोग करना भी खरपतवार के विकास को नियंत्रित करने में एक कारगर तरीका है। पुआल, घास, या पत्तियों के अलावा बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक शीट से भी मल्चिंग कर सकते हैं। इन तरीकों को अपनाने के बाद भी यदि खरपतवारों को नियंत्रित करने में कठिनाई हो रही है तो आप रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं के प्रयोग के समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन: चेरी टमाटर के पौधे एफिड्स, सफेद मक्खी, एवं झुलसा रोग के प्रति अति संवेदनशील होते हैं। इसके साथ ही इसके पौधों में आर्द्र गलन रोग, फल सड़न रोग, फल छेदक कीट, आदि का प्रकोप भी अधिक होता है। पौधों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें और किसी भी रोग या कीट के प्रकोप का लक्षण नजर आने पर उचित मात्रा में कीट नाशक या फफूंद नाशक दवाओं का प्रयोग करें। समस्या बढ़ने पर कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।
  • फलों की तुड़ाई: पौधों की रोपाई के करीब के 60-70 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। चेरी टमाटर के फलों के पकने पर इसकी तुड़ाई करनी चाहिए। पौधों में लगे सभी फल एक साथ नहीं पकते हैं। इसलिए हर 2-3 दिन के अंतराल पर फलों की तुड़ाई करें। फलों को खींच कर तोड़ने से फल क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए फलों को तने से घुमा कर काटा जाना चाहिए।

क्या आपने कभी चेरी टमाटर की खेती की है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: चेरी टमाटर की खेती कब की जाती है?

A: इसकी खेती के लिए गर्मी का मौसम उपयुक्त है। बीज की बुवाई के लिए फरवरी और मार्च का महीना सबसे उपयुक्त है।

Q: क्या हम भारत में चेरी टमाटर उगा सकते हैं?

A: हां, भारत में चेरी टमाटर की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। कई राज्यों में किसानों के बीच यह फसल काफी प्रचलित है और इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा भी प्राप्त हो रहा है।

Q: टमाटर कितने दिन में फल देने लगता है?

A: पौधों की रोपाई के करीब 60-70 दिनों बाद फल पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

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