पोस्ट विवरण
सुने
पिताया फल
फल
बागवानी
बागवानी फसलें
4 Mar
Follow

ड्रैगन फ्रूट की खेती: जानें कुछ बेहतरीन किस्में, खेत की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन | Efficient Cultivation of Dragon Fruit: Verities, Land preparation, Fertilizer

ड्रैगन फ्रूट की खेती: जानें कुछ बेहतरीन किस्में, खेत की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन | Efficient Cultivation of Dragon Fruit: Verities, Land preparation, Fertilizer

ड्रैगन फ्रूट एक कैक्टस समूह का पौधा है, जो अपनी आवश्यकता के अनुसार खुद ही पानी का संचय कर लेता है। यह एक बारहमासी फसल है और पहले ही साल से फलों का उत्पादन शुरू हो जाता है। फलों में कैल्शियम, कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, आदि की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके साथ ही कई गंभीर बीमारियों जैसे की डायबिटीज, कैंसर, गठिया और पेट संबंधी रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए इसका सेवन लाभदायक होता है। भारत में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम में बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जाती है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Dragon Fruit?

  • उपयुक्त जलवायु: ड्रैगन फ्रूट की खेती वर्षा के मौसम के अलावा लगभग सभी मौसम में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए उष्ण जलवायु और 20 से 36 डिग्री सेल्सियस तापनमान सर्वोत्तम है। 40 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक और 0 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान होने पर इसके फूल झड़ने लगते हैं और पौधे पीले पड़ जाते हैं।
  • भूमि का चयन: ड्रैगन फ्रूट की खेती रेतीली दोमट मिट्टी से लेकर दोमट मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए कार्बिनक पदार्थ से भरपूर उचित जल निकास युक्त काली मिट्टी में इसकी खेती करें। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।
  • पौधों की मात्रा: प्रति एकड़ खेत में करीब 110 पौधे लगाए जा सकते हैं।
  • बेहतरीन किस्में: ड्रैगन फ्रूट की मुख्यतः 3 प्रजाति होती है। जिनमें सफेद ड्रैगन फ्रूट, लाल ड्रैगन फ्रूट एवं पीला ड्रैगन फ्रूट शामिल है। सफेद ड्रैगन फ्रूट के फल बाहर से गहरे गुलाबी और अंदर से सफेद रंग के होते हैं। लाल ड्रैगन फ्रूट प्रजाति के फल बाहर एवं अंदर से गहरे गुलाबी रंग के होते हैं। पीला ड्रैगन फ्रूट भारत में बहुत कम देखने को मिलता है। इस प्रजाति के फल बहार से पीले और अंदर से सफेद रंग के होते हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सही किस्मों का चयन करना जरूरी है। इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए व्हाइट ड्रैगन 1, रेड ड्रैगन 1, रॉयल रैड, सिंपल रैड, आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।
  • खेत की तैयारी: खेत को तैयार करने के लिए 2-3 बार जुताई करें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। पौधों के कटिंग की रोपाई के लिए 2 मीटर की दूरी पर 60 सेंटीमीटर चौड़े, 60 सेंटीमीटर लम्बे और 60 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे तैयार करें। पौधों को सहारा देने के लिए खेतब में बांस के खम्बे लगाएं।
  • खेती की विधि: इसकी खेती पौधों की कटिंग लगा कर की जाती है। बीज की बुवाई के द्वारा भी इसकी खेती की जा सकती है। बीज की बुवाई के द्वारा खेती करने पर फल आने में अधिक समय लगता है। इसलिए व्यावसायिक खेती के लिए पौधों की कटिंग लगाना बेहतर है। रोपाई के लिए करीब 20 सेंटीमीटर लंबी कटिंग का प्रयोग करें। ड्रैगन फ्रूट की खेती कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 2 मीटर की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच की दूरी भी 2 मीटर होनी चाहिए।
  • उर्वरक प्रबंधन: पौधों की रोपाई के करीब 6 महीने बाद उर्वरकों का प्रयोग करें। उर्वरकों का प्रयोग पौधों की आयु पर निर्भर करता है। 1 वर्ष के पौधों में प्रति वर्ष 10-15 किलोग्राम गोबर की खाद, 650 ग्राम यूरिया, 1.25 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और 450 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का प्रयोग करें। पौधों की आयु बढ़ने के साथ उर्वरकों की मात्रा भी बढ़ाएं। उर्वरकों के प्रयोग से पहले कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।
  • सिंचाई प्रबंधन: ड्रैगन फ्रूट के पौधों को अन्य फसलों की तुलना में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पौधों की कटिंग की रोपाई के बाद पहली सिंचाई करें। इसके अलावा पौधों में फूल एवं फल आने के समय भी सिंचाई करें। वर्षा होने पर फसल में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। अन्य मौसम में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। सिंचाई के लिए टपक सिंचाई पद्दति (ड्रिप सिंचाई) का उपयोग लाभदायक है।
  • खरपतवार प्रबंधन: ड्रैगन फ्रूट के पौधे के बीच दूरी अधिक होने के कारण खेत में खरपतवारों की समस्या हो सकती है। खरपतवारों से निजात पाने के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट के पौधे के बीच अन्य फसलों की खेती भी लाभदायक होती है। इससे खरपतवारों की समस्या कम होती है।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन: ड्रैगन फ्रूट के पौधों में अन्य पौधों की तुलना में रोग एवं कीटों का प्रकोप कम होता है। लेकिन, इसके पौधों में एंथ्रेक्नोज रोग का प्रकोप की समस्या देखी गई है। ऐसे में इस रोग के लक्षण नजर आने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें।
  • फलों की तुड़ाई: ड्रैगन फ्रूट के पौधों में पहले वर्ष से ही फल आने शुरू हो जाते हैं। सामान्यतः मई-जून महीने में पौधों में फूल खिलने लगते हैं और अगस्त से दिसंबर तक फल लगते हैं। इसकी कटिंग लगाने के करीब 16 महीने बाद पौधों में फल आने लगते हैं। करीब 18 महीने बाद फलों का रंग गुलाबी हो जाता है और फल पक कर तैयार हो जाते हैं। फलों के गुलाबी होने पर इनकी तुड़ाई की जा सकती है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती में आपको किस तरह की समस्याएं आती हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को अभी फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: ड्रैगन फ्रूट कितने साल में फल देता है?

A: ड्रैगन फ्रूट के पौधों को लगाने के 1 वर्ष बाद ही फल आने लगते हैं। फलों को पक कर तैयार होने में करीब 18 महीने का समय लगता है।

Q: ड्रैगन फ्रूट कौन से महीने में लगाया जाता है?

A: ड्रैगन फ्रूट आमतौर पर भारत में गर्मियों के महीनों के दौरान लगाया जाता है, जो मार्च से जून तक होता है। गर्म मौसम और लंबे दिन पौधे के विकास के लिए आदर्श माने जाते हैं। हालांकि, रोपाई का सही समय स्थान और जलवायु के आधार पर अलग हो सकता है।

Q: ड्रैगन फ्रूट किस मिट्टी को पसंद करते हैं?

A: ड्रैगन फ्रूट के पौधे कार्बनिक पदार्थों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद करते हैं। भारी मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। भारी मिट्टी में जल जमाव की स्थिति हो सकती है, जिससे पौधे जड़ गलन की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं।

40 Likes
13 Comments
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ