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कृषि ज्ञान
3 July
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अंजीर की खेती (Cultivation of Figs)


भारत में अंजीर की खेती व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अंजीर के फल की उच्च मांग और उसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण किसान भाई इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, फाइबर, और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद है। अंजीर के फल को ताजा या सूखा करके उपयोग में लाया जा सकता है, और इसका आयुर्वेदिक दवाओं में भी उपयोग होता है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, और गुजरात समेत उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में अंजीर की व्यापारिक खेती प्रमुख है।

कैसे करें अंजीर की खेती? (How to do fig cultivation?)

मिट्टी: अंजीर की खेती करने के लिए उपजाऊ दोमट भूमि की जरूरत होती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 अच्छी मानी जाती है।

जलवायु: अंजीर की खेती करने के लिए शुष्क और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। अंजीर के फल की अच्छी पैदावार पाने के लिए 25 से 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है।

बुवाई और बीज की मात्रा:

  • अंजीर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त का महीना होता है, जब बारिश होती है। इस मौसम में पौधों की रोपाई करने से उनके विकास में तेजी आती है।
  • सबसे पहले, अंजीर के पौधे की नर्सरी तैयार करें। आप अपने पास की नर्सरी से भी उन्नत किस्म के पौधे खरीद सकते हैं।
  • एक एकड़ में करीब 100 पौधों की जरूरत होती है, लगभग 2 महीने बाद ये कलमें रोपाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
  • पौधों के बीच की दूरी 5 मीटर रखें, 1-2 सेमी मोटाई और 15-20 सेमी लंबाई की दृढ़ लकड़ी की कलमें (कटिंग) तैयार करें और इन कलमों को नर्सरी में लगाएं। बेड का आकार 15 सेमी × 15 सेमी होना चाहिए।
  • मुख्य क्षेत्र में पौधों को 6 मीटर × 6 मीटर की दूरी पर लगाएं। यह दूरी पौधों को पर्याप्त जगह और पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करती है।

उन्नत किस्में: अंजीर की कई प्रमुख किस्में हैं जो विभिन्न विशेषताओं के साथ उपलब्ध हैं। पंजाब अंजीर के फल बड़े और पीले रंग के होते हैं, जबकि पुणे अंजीर के फल मध्यम आकार के और पीले रंग के होते हैं। मार्शलीज अंजीर हाइब्रिड किस्म है जिसके फल का भंडारण अधिक समय तक संभव होता है। पुणेरी अंजीर के फल स्वादिष्ट और जामुनी रंग के होते हैं। इन किस्मों में से प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ हैं और उन्हें उनकी उपयुक्तता और विकास के लिए चुना जा सकता है।

खेत की तैयारी: अंजीर की खेती में भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। सबसे पहले खेत से फसलों के अवशेष हटाने के लिए कल्टीवेटर की मदद से खेत की 2 से 3 बार तिरछी जुताई करके फसल अवशेष को हटा लें। इसके बाद खेत की मिट्टी को रोटावेटर की मदद से भुरभुरी बना लें। फिर खेत को पाटा लगाकर समतल बना लें। इन गड्ढों में अंजीर के पौधे की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें।

सिंचाई: अंजीर की खेती में पौधे की सिंचाई मौसम के चक्र के अनुसार की जाती है। अगर आपने बारिश के मौसम में जुलाई और अगस्त में रोपण किया है, तो आपको सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ेगी। सर्दियों के मौसम में, प्रत्येक 14 से 20 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में, अंजीर के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, और इसे हर सप्ताह में दो बार सिंचाई जानी चाहिए। बारिश के मौसम में, अगर पौधों को समय पर पूरी तरह से सिंचाई नहीं की गई होगी, तो उसकी आवश्यकता अनुसार सिंचाई की जानी चाहिए।

पौधों की देखभाल: अंजीर के पौधों से अधिक फल का उत्पादन प्राप्त करने के लिए पौधे की देखभाल करना काफी महत्वपूर्ण होता है। पौधों को खेत में लगाने के एक साल बाद, पहली बार उनकी छंटाई कर दें। इस दौरान, पौधों पर 1 मीटर की ऊंचाई तक कोई भी नई शाखा नहीं बनने देनी चाहिए। अगर कोई अत्यधिक लंबी शाखा हो, तो उसे काट दें, जिससे पौधा धना हो सके और नए शाखे उत्पन्न हो सकती हैं। अंजीर के पौधों की छंटाई का पहला चरण फल आने के बाद, हर साल गर्मियों के मौसम में करना चाहिए। इससे पौधों की बढ़वार में सुधार होता है और फलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।

उर्वरक प्रबंधन:

  • अंजीर में 1 से 2 साल के पौधों के लिए FYM खाद 15 किग्रा, यूरिया 163 ग्राम प्रति पौधा, DAP खाद 248.7 ग्राम प्रति पौधा और MOP  खाद को 100.3 ग्राम एक पौधे में देना चाहिए।
  • 3 साल से बड़े पौधे में  FYM (एफवायएम) 25 किग्रा, यूरिया 320 ग्राम, डीएपी 500 ग्राम, एमओपी 200 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण: अंजीर की खेती में खरपतवार होने की स्थिति में निराई-गुड़ाई करने की आवश्यकता होती है। सामान्यतः, अंजीर की खेती में दो बार निराई-गुड़ाई करना पर्याप्त होता है।

फलों की तुड़ाई: अंजीर के पौधों से फलों की तुड़ाई केवल फल पूरी तरह से पकने के बाद की जानी चाहिए। कच्चे फलों को तोड़ने से फल अच्छी तरह से पकते नहीं हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता में कमी आ सकती है और बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

उत्पादन और लाभ: अंजीर के पौधों की खेती से विभिन्न किस्मों के आधार पर अलग-अलग प्राप्तियां होती हैं। एक एकड़ में लगभग 100 अंजीर के पौधे लगाए जा सकते हैं और प्रत्येक पौधे से लगभग 180 से 360 फल प्रति पेड़ फल प्राप्त होता है। अंजीर के फल गुणवत्ता के हिसाब से 500 से 800 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं। इस हिसाब से, एक किसान अंजीर की 1 हेक्टेयर खेती से सालाना 25 से 30 लाख रुपये तक कमा सकता है।

आप अंजीर की खेती कैसे करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इस लेख में आपको खाद एवं उर्वरक की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है और ऐसी ही अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो इसे अभी लाइक करें और अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा जरूर करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: अंजीर का पौधा कितने दिन में फल देता है?

A: अंजीर के पौधे का फलाने में लगने वाला समय कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे पौधे की उम्र, मौसम की परिस्थितियाँ और वार्षिक रूप से अंजीर की विविधता। सामान्य रूप से, अंजीर के पौधे रोपाई के बाद 1-2 साल के भीतर फल देने लगते हैं। पूर्ण उत्पादन तक इसमें 3-4 साल लग सकते हैं।

Q: अंजीर के पौधे कब लगाएं?

A: अंजीर के पौधों की रोपाई के लिए बारिश के मौसम जुलाई से अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त होता है। आप नर्सरी से तैयार पौधे लें या खुद की नर्सरी में उन्नत किस्म का पौधा उगाए। एक हेक्टेयर में लगभग 250 पौधे रोपें, और पौधों के बीच 5 मीटर की दूरी रखें।

Q: अंजीर के पेड़ सबसे अच्छे कहां उगते हैं?

A: अंजीर के पेड़ गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में सबसे अच्छे उगते हैं। वे भारतीय महाद्वीप के अनेक हिस्सों में पाए जाते हैं, जैसे कि महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक। इन्हें अच्छी उर्वरता, नियमित छंटाई, और उच्च जल निकासी वाली मिट्टी में उगाएं।

Q: अंजीर कैसे उगाए जाते हैं?

A: अंजीर पौधे को कटिंग या ग्राफ्टिंग के माध्यम से उगाया जा सकता है। इसके लिए उचित रूप से तैयार किए गए पौधे का उपयोग करें और उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगाएं। अंजीर आमतौर पर गर्मियों के महीनों में काटे जाते हैं, जब फल पूरी तरह से पक चुके होते हैं।

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