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29 May
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मेंहदी की खेती (Cultivation of Mehndi)


मेंहदी, एक बहुमूल्य जड़ी बूटी वाला एक बहुवर्षीय पौधा है, जिसे व्यावसायिक रूप से पत्ती उत्पादन के लिए लगाया जाता है। इनके पत्तों का इस्तेमाल चर्म रोग की दवा के रूप में किया जाता है। मेंहदी शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसकी एक बार खेती करने पर कई सालों तक लाभ ले सकते हैं। मेहंदी की खेती पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होती है इसलिए इसे घर, कार्यालय और उद्यानों में सुंदरता के लिए लगाया जाता है।

कैसे करें मेंहदी की उन्नत खेती? (How to do advanced cultivation of henna?)

जलवायु : मेंहदी को गर्म और शुष्क जलवायु पसंद है। यह इसे भारत के अधिकांश हिस्सों में उगाने के लिए उपयुक्त बनाती है। मेहंदी की खेती के लिए 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है।

मिट्टी : मेंहदी विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा सकती है, जैसे: रेतीली मिट्टी और दोमट मिट्टी। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.0 के बीच सबसे अच्छा होता है।

बुवाई का समय : मेंहदी की खेती साल भर कर सकते हैं, पर मानसून के मौसम जून से जुलाई और वसंत यानी फरवरी से मार्च के मौसम में उत्तम मानी जाती है।

बीज की मात्रा : मेंहदी की खेती के लिए 500-600 ग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल किया जाता है।

उन्नत किस्में : भारत में मेंहदी की अभी तक कोई आधिकारिक उन्नत किस्म नहीं है। अनुसंधान संस्थानों ने अधिक उपज देने वाले पौधों की पहचान की है। स्वस्थ, चौड़ी और घनी पत्तियों वाले स्थानीय पौधों के बीज से पौध तैयार करें। कुछ उन्नत किस्में हैं जैसे: एस 8, एस 22, सलेम मेहंदी।

खेत की तैयारी :

  • बारिश से पहले मेड़बंदी करें इससे जल संरक्षण और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद होती है।
  • खेत से सभी अवांछनीय पौधों और खरपतवार को उखाड़ कर हटा दें।
  • लेजर लेवलर की सहायता से खेत को समतल करें, जिससे जल निकासी में सुधार हो और फसल की वृद्धि में सहायता मिले।
  • डिस्क और कल्टीवेटर से जुताई करके भूमि को भुरभुरा बनाएं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े।
  • अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 10-15 टन सड़ी देशी खाद और 250 किलो जिप्सम मिट्टी में मिला दें, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और पौधों की बेहतर वृद्धि में मदद मिले।

पौध तैयारी और पौध रोपण:

  • मेहंदी के बीज बहुत कठोर और चिकना होता है, और सीधे बोने पर उसका अंकुरण कम होता है। इसलिए, बीजों को बोने से एक सप्ताह पहले बोर या कपड़े में भरकर पानी में भिगो देना चाहिए, और पानी को हर दिन बदलते रहना चाहिए।
  • जुलाई से अगस्त महीने में, जब पौधा 40 सेमी या उससे अधिक बड़ा हो जाए, तब नर्सरी से उखाड़ कर पौधों की जड़ों को 7 से 8 सेंटीमीटर लंबाई में काट लें और ऊपर से थोड़ी-थोड़ी शाखाएं काटकर कर रोपें। ध्यान रखें, बुवाई से पहले पौधों को उपचारित किया जाना चाहिए।
  • बुवाई के लिए, खेत में 50 सेंटीमीटर के अंतराल से कतार खोदें और पौधों को 30 सेंटीमीटर की दूरी पर और 10 से 15 सेंटीमीटर गहराई में रोपें। अगर पौधा कमजोर है, तो एक गड्ढे में 2 पौधे रोपें।

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन :

  • खेत की अंतिम जुताई के समय, प्रति हेक्टर 5 से 8 टन सड़ी गोबर खाद और खेती के लिए हैरो से एक समान मिलाएं।
  • खड़ी फसल में, प्रति हेक्टेयर 60 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस की दर से उपयोग करें।
  • फास्फोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा पहली बरसात के बाद निराई-गुड़ाई के समय भूमि में मिलाएं।
  • बची हुई नाइट्रोजन को बारिश होने के 25 से 30 दिन बाद देना चाहिए।
  • हर साल, मेहंदी के खेतों में पहली निराई-गुड़ाई के समय, पौधों की कतारों के दोनों तरफ 40 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए।

खरपतवार प्रबंधन : खरपतवारों को प्राकृतिक तरीकों से नियंत्रित करने के लिए मल्चिंग करें यह न केवल खरपतवारों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि मिट्टी की नमी को बनाए रखने और मिट्टी के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। फसल चक्र अपनाएं और मैनुअल निराई-गुड़ाई करें।

रोग और कीट प्रबंधन : मेंहदी के पौधे विभिन्न कीटों और बीमारियों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, जिनमें एफिड्स, स्पाइडर माइट्स, व्हाइटफ्लाइज, पाउडर फफूंदी और रूट रोट शामिल हैं। ये कीट और रोग फसल की उपज और गुणवत्ता को काफी नुकसान पहुंचाते हैं यदि ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है।

कटाई : मेहंदी की कटाई सितंबर-अक्टूबर में की जाती है। इसमें 12-13 कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। फसल को 18-20 घंटे तक खुला छोड़ा जाता है और फिर ढेरी बनाई जाती है। इससे मेहंदी की गुणवत्ता में सुधार होता है।

उपज : मेहंदी की पहली उपज केवल 5-10% होती है। फसल का पूरा उत्पादन 3-4 साल के बाद शुरू होता है। अच्छे प्रबंधन के साथ, प्रति वर्ष 15-20 क्विंटल सूखी पत्तियों का उत्पादन होता है।

क्या आप भी मेंहदी की खेती करना चाहते हैं ? अगर हाँ तो हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: किस राज्य में मेहंदी की खेती की जाती है?

A: भारत में मेहंदी की खेती राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में करते हैं। राजस्थान के सोजत शहर, गुजरात के कच्छ और बनासकांठा जिले और हरियाणा के सिरसा और फतेहाबाद जिले में मेहंदी की खेती करते हैं।

Q: मेंहदी की बुवाई का सही समय क्या है?

A: मेंहदी के बीज बोने का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान जून से अगस्त तक होता है। मेंहदी के बीज को अंकुरित होने के लिए गर्म और नम वातावरण की आवश्यकता होती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में बीज बोना और बीज अंकुरित होने तक मिट्टी को नम रखना महत्वपूर्ण है। एक बार जब रोपाई 3-4 इंच की ऊंचाई तक बढ़ जाती है, तो उन्हें 6.0-7.5 के पीएच के साथ अच्छी तरह से सूखा मिट्टी में उनके अंतिम स्थान पर प्रत्यारोपित किया जा सकता है।

Q: मेहंदी की कटाई कब की जाती है?

A: मेहंदी की कटाई दो बार साल में होती है, मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर महीनों में। इस समय पर पौधों की पत्तियां परिपक्व होती हैं और मेहंदी की उच्च गुणवत्ता वाले पाउडर के लिए प्राप्त किया जा सकता है।

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