लाल एवं पीले शिमला मिर्च की खेती | Cultivation of Red and Yellow Bell Peppers
भारत में इन दिनों विदेशी सब्जियों की मांग बढ़ने के कारण लाल एवं पीली शिमला मिर्च यानी बेल पेपर की खेती परंपरागत फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में से एक है।बाजार में इसकी कीमत भी हरी शिमला मीर्च से अधिक होती है। कृषि विशेषज्ञों के द्वारा ग्रीन हाउस में इसकी खेती करने की सलाह दी जाती है। आइए इसकी खेती से जुड़ी कुछ बारीकियों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
लाल एवं पीले शिमला मिर्च की खेती कैसे करें? | How to Cultivate Red and Yellow Bell Peppers
- उपयुक्त जलवायु: ग्रीन हाउस में लाल एवं पीले शिमला मिर्च की खेती के लिए दिन के समय 20-25 डिग्री सेल्सियस और रात के समय 15-20 डिग्री सेल्सियस आदर्श तापमान है। आर्द्रता का स्तर लगभग 60-70% पर बनाए रखा जाना चाहिए।
- भूमि का चयन: शिमला मिर्च को मिट्टी की एक विस्तृत श्रृंखला में उगाया जा सकता है। लेकिन इसकी बेहतर पैदावार के लिए दोमट मिट्टी को आदर्श माना जाता है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0-7.0 के बीच होना चाहिए। मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध होनी चाहिए और उसकी जल-धारण क्षमता भी अच्छी होनी चाहिए।
- बुवाई का समय: ग्रीनहाउस में लाल एवं पीले शिमला मिर्च की खेती वर्ष भर सफलतापूर्वक की जा सकती है। हालांकि, भारत में इसकी बुवाई के लिए ठंड का मौसम सर्वोत्तम माना जाता है। यानी अक्टूबर से फरवरी महीने में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है।
- बीज की मात्रा: लाल और पीली शिमला मिर्च की खेती के लिए बीज की मात्रा ग्रीनहाउस का आकार, बीजों की अंकुरण दर और किस्मों के अनुसार भिन्न हो सकती है। सामान्यतः प्रति एकड़ क्षेत्र में खेती करने के लिए लगभग 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज का चयन करने से पहले उसके अंकुरण दर की जांच करें। पौधों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए विश्वसनीय स्रोत से उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीदें।
- खेत की तैयारी: मिट्टी तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी में पहले से मौजूद खरपतवारों का सफाया करें। इसके बाद जुताई कर के मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बनाएं। बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 10 टन गोबर की खाद और 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें। मिट्टी जांच के अनुसार डीएपी, म्यूरेट ऑफ पोटाश एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करें।
- बुवाई की विधि: सबसे पहले प्रो ट्रे में बीज की रोपाई करें। ट्रे के सभी खानों में 2-3 बीज की बुवाई करें। आप नर्सरी में भी पौधे तैयार कर सकते हैं। इसके लिए कतारों में 4-6 इंच की दूरी पर बीज की बुवाई करें। बीज की बुवाई 1-2 सेंटीमीटर की गहराई में करें और बुवाई के बाद बीज को मिट्टी से ढक दें। ट्रे या नर्सरी में नमी को बनाए रखने के लिए पानी का छिड़काव या हल्की सिंचाई करें। बुवाई के करीब 7-10 दिनों के अंदर बीज अंकुरित हो जाते हैं।
- पौधों की रोपाई की विधि: बीज की बुवाई के करीब 4-6 सप्ताह बाद या पौधों में 4-6 पत्तियां आने के बाद पौधों की रोपाई करें। मिट्टी में नमी की मात्रा को सुनिश्चित करने के लिए पौधों की रोपाई से एक दिन पहले हल्की सिंचाई करें। पौधों की रोपाई कतारों में करें।
- सिंचाई प्रबंधन: ग्रीनहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें। ड्रिप सिंचाई पौधों की जड़ों तक सीधे पानी पहुंचाती है। इसके साथ ही यह विधि वाष्पीकरण के कारण पानी की कमी को कम करते हुए फफूंद जनित रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक है। सिंचाई के हमेशा साफ पानी का प्रयोग करें। सिंचाई के बीच का अंतराल ग्रीन हाउस के तापमान एवं मिट्टी में मौजूद नमी के आधार पर निर्धारित करें। पौधों में फूल और फलों के आने के समय नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई अवश्य करें।
- खरपतवार नियंत्रण: ग्रीनहाउस में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें। इसके लिए आप खुरपी, कुदाल एवं अन्य कृषि यंत्रों का भी सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा मल्चिंग तकनीक का प्रयोग करना भी खरपतवार के विकास को नियंत्रित करने में एक कारगर तरीका है। पुआल, घास, या पत्तियों के अलावा बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक शीट से भी मल्चिंग कर सकते हैं। इन तरीकों को अपनाने के बाद भी यदि खरपतवारों को नियंत्रित करने में कठिनाई हो रही है तो आप रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं के प्रयोग के समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
- रोग एवं कीट प्रबंधन: लाल एवं पीले शिमला मिर्च के पौधों में माहु, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, फल छेदक इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, चूर्णिल आसिता रोग, फ्यूजेरियम विल्ट, फल सड़न रोग एवं झुलसा रोग का प्रकोप अधिक होता है। पौधों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें और किसी भी रोग या कीट के प्रकोप का लक्षण नजर आने पर उचित मात्रा में कीट नाशक या फफूंद नाशक दवाओं का प्रयोग करें। समस्या बढ़ने पर कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।
- फलों की तुड़ाई: पौधों को लगाने के करीब 60 से 70 दिनों के बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। सभी फल एक साथ परिपक्व नहीं होते हैं, इसलिए पूरी तरह तैयार होने के बाद ही फलों की तुड़ाई करें। फलों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने और लम्बे समय तक ताजगी बनाए रखने के लिए फलों की तुड़ाई 2-3 सेंटीमीटर लंबे डंठल के साथ करें।
क्या आपने कभी लाल एवं पीले शिमला मिर्च की खेती की है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: लाल और पीली शिमला मिर्च कैसे उगाएं?
A: भारत में लाल और पीली शिमला मिर्च की खेती सामान्यतः ग्रीन हॉउस में की जाती है। इन विदेशी सब्जियों की खेती के लिए ग्रीन हाउस में तापमान को नियंत्रित किया जाता है। इसके बाद बीज की बुवाई की जाती है।
Q: पीली मिर्च की खेती कैसे की जाती है?
A: भारत में पीली मिर्च की खेती सर्दियों के मौसम में यानी अक्टूबर से फरवरी महीने में की जाती है। इसकी बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए तापमान को 15-25 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखें। इसकी खेती के लिए सबसे पहले नर्सरी में बीज की बुवाई करके पौधे तैयार किए जाते हैं।
Q: पीली शिमला मिर्च को बीज से कैसे उगाएं?
A: पीली शिमला मिर्च उगाने के लिए, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी से भरी अंकुर ट्रे में बीज लगाकर शुरू करें। मिट्टी को नम बनाए रखें। ट्रे में बीज की बुवाई करें और अंकुर लगभग 3-4 इंच तक बढ़ जाने के बाद पौधों का प्रेतारोपण करें। पौधों के बेहतर विकास के लिए नियमित रूप से सिंचाई करते रहें।
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