कपास में पोषक तत्वों की कमी के नुकसान और उपचार (Damage and treatment of nutrient deficiency in cotton)
कपास की फसल में पोषक तत्वों की कमी से विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं, जो फसल की गुणवत्ता और उपज पर प्रभाव डालती हैं। पोषक तत्वों की कमी को पहचानना और सही समय पर उपचार करना आवश्यक है ताकि फसल की वृद्धि और उत्पादन को अधिकतम किया जा सके। इस लेख में, हम कपास में पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों और उनके उपचार पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
कपास में पोषक तत्वों की कमी से दिखने वाले लक्षण (Symptoms visible due to nutrient deficiency in cotton)
नाइट्रोजन (N):
- नाइट्रोजन की कमी सबसे पहले कपास के पौधों की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देती है, जो हरे से हल्के हरे और फिर पीली हो जाती हैं।
- पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है, जिससे वे छोटे और कमजोर हो जाते हैं।
- नई पत्तियाँ हल्के हरे रंग की होती हैं, जबकि पुरानी पत्तियां सूख कर गिर सकती हैं।
- शाखाओं की संख्या कम हो जाती है, जिससे पौधे घने नहीं हो पाते।
- नाइट्रोजन की कमी से फलने-फूलने की क्षमता घट जाती है, जिससे कपास के बीज कोष कम बनते हैं और उपज में कमी आती है।
- बीज और फाइबर की गुणवत्ता भी नाइट्रोजन की कमी से प्रभावित होती है, जिससे बाजार मूल्य घट सकता है।
नियंत्रण:
- नाइट्रोजन की कमी दूर करने के लिए जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करें, इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
- 5 मिलीलीटर मल्टीप्लेक्स लिक्विड-N प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर स्प्रे करें, इससे पत्तियों को तुरंत नाइट्रोजन मिलती है।
- यूरिया खाद का सही मात्रा में उपयोग करें, अत्यधिक या कम मात्रा में उपयोग से बचें।
- फूल खिलने के 2-3 सप्ताह बाद नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें और पत्तों पर भी छिड़काव करें।
- अनुशंसित मात्रा में DAP का प्रयोग करें, जिससे नाइट्रोजन और फास्फोरस दोनों की पूर्ति होती है।
- NPK (19:19:19 या 20:20:20) का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर स्प्रे करें।
- नाइट्रोजन की कमी के लक्षणों को समय पर पहचानें और उचित उपाय करें, इससे कपास की उपज और गुणवत्ता में सुधार होगा।
फास्फोरस (P):
- पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, जिससे उनकी वृद्धि धीमी होती है।
- पुरानी पत्तियां गहरे हरे से लाल-बैंगनी रंग की हो जाती हैं।
- पौधों की परिपक्वता में देरी होती है और तने कमजोर हो सकते हैं।
- फूलों की संख्या कम हो जाती है, उपज घटती है, और फल की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- पत्तियों के निचले हिस्से पर गहरे बैंगनी रंग का विकास होता है और गंभीर मामलों में नीले-भूरे रंग की चमक दिखाई देती है।
नियंत्रण:
- फास्फोरस युक्त उर्वरकों जैसे सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) और DAP का उपयोग करें।
- मिट्टी के pH को संतुलित करें और एन.पी प्लस या मल्टी पीके का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- जैविक खाद जैसे सड़ी हुई गोबर की खाद और फास्फो बैक्टीरिया युक्त जैव उर्वरक का प्रयोग करें।
- बुवाई या रोपण के समय फास्फोरस युक्त उर्वरकों को मिट्टी में मिलाएं।
- MKP (Mono Potassium Phosphate)-00:52:34 का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिड़काव करें।
पोटेशियम (K):
- पत्तियां पीली हो जाती हैं और किनारों पर जलने जैसे निशान दिखाई देते हैं, जिसे "टिप बर्न" कहा जाता है।
- पत्तियां मुड़ जाती हैं और धीरे-धीरे सूखने लगती हैं।
- पत्तियों की शिराएं हरी रहती हैं, जबकि बाकी पत्तियां पीली हो जाती हैं।
- पत्तियों के बीच पीला पड़ने की प्रक्रिया (क्लोरोसिस) स्थाई हो जाती है, और पत्तियां पूरी तरह पीली हो जाती हैं।
- सूखी या अम्लीय मिट्टी में पोटेशियम की कमी के लक्षण अधिक स्पष्ट दिखाई देते हैं।
नियंत्रण:
- खेत में पोटेशियम की कमी को पूरा करने के लिए पोटेशियम युक्त उर्वरकों का सही समय पर उपयोग करें।
- पौधों में पोटेशियम की कमी को दूर करने के लिए पोटाश घोल का छिड़काव करें।
- पौधों को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित खाद का उपयोग करें, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हों।
- अम्लीय मिट्टी में सुधार करके उसे पौधों के लिए उपयुक्त बनाएं। इसके लिए उचित मात्रा में चूना मिलाकर पीएच स्तर को संतुलित करें।
- सूखे के समय पौधों को आवश्यक मात्रा में पानी दें ताकि पोटेशियम की कमी को दूर किया जा सके।
- MKP (मोनो पोटेशियम फॉस्फेट) - 00:52:34: 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर स्प्रे करें।
- SOP (पोटेशियम सल्फेट) - 00:00:50 + 17.5% S: 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें।
सल्फर (Sulphur):
- सल्फर की कमी से पौधों की नई पत्तियां पीली-हरी हो जाती हैं और उनका विकास सही से नहीं होता।
- सल्फर की कमी के कारण पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है।
- बिनौले का आकार और वजन कम हो जाते हैं, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित होती है।
- सल्फर की कमी से बीजों में तेल की मात्रा भी घट जाती है।
नियंत्रण:
- सल्फर युक्त उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।
- सल्फर का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिड़काव करें।
- फेरस सल्फेट (FeSO4) का प्रयोग 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें।
- सल्फर 90% WDG का उपयोग फसल और सब्जियों के लिए 3-6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- बेंटोनाइट सल्फर का प्रयोग 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़काव करें।
मैग्नीशियम (Magnesium):
- कपास के पौधों में मैग्नीशियम की कमी सबसे पहले निचली पत्तियों पर दिखाई देती है। हरी पत्तियां बैंगनी रंग की हो जाती हैं।
- बीच की और पुरानी पत्तियां लाल रंग की हो जाती हैं, जिससे पौधे की सेहत पर असर पड़ता है।
- मैग्नीशियम की कमी के कारण पौधा छोटा रह जाता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है।
- पौधे की उपज कम हो जाती है, जिससे उत्पादन में कमी आती है।
नियंत्रण:
- मैग्नीशियम सल्फेट का खेत में छिड़काव करें: मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए 25 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- हर 15 दिनों के अंतराल पर मैग्नीशियम सल्फेट का छिड़काव करें ताकि पौधों में मैग्नीशियम की कमी न होने पाए।
क्या आप कपास की फसल लगाते है और कपास में पोषक तत्वों की कमी से परेशान हैं? अपना अनुभव और जवाब हमें कमेंट करके जरूर बताएं, और इसी तरह फसलों से संबंधित अन्य रोचक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल {Frequently Asked Questions (FAQs)}
Q: कपास में पोटाश कब देना चाहिए?
A: कपास में पोटाश को सामान्यतः बुवाई के समय और फूलों की अवस्था के दौरान देना चाहिए। इसे अच्छे गुणवत्ता वाले लिंट और उच्च उपज सुनिश्चित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। पोटाश की कमी से पत्तियों का रंग पहले गहरा हरा होता है, फिर मध्य शिरा भूरा-बैंगनी हो जाती है और अन्य शिराएं पीली हो जाती हैं।
Q: कपास में मैग्नीशियम कमी के क्या लक्षण हैं?
A: कपास में मैग्नीशियम की कमी के लक्षणों में ऊपरी पत्तियों के बीच में पीले धब्बे और पत्तियों की शिराओं के बीच में हरे रंग की कमी शामिल हैं। इससे पत्तियां जल्दी मुरझा जाती हैं और झड़ जाती हैं। मैग्नीशियम की कमी से पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है और उपज में कमी हो सकती है।
Q: कपास में सल्फर क्या काम करती है?
A: कपास में सल्फर का काम पौधों में प्रोटीन और एंजाइमों के निर्माण में सहायक होना है। सल्फर की कमी से नई पत्तियों का रंग पीला हो जाता है और बिनौले का आकार तथा तेल की मात्रा घट जाती है। सल्फर की उचित मात्रा से पौधों की सामान्य वृद्धि और बेहतर गुणवत्ता की फसल सुनिश्चित की जा सकती है।
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