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धान
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
4 year
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धान का फॉल्स स्मट रोग व इस से बचाव के उपाय

धान की फसल में लगने वाले कई रोगों में से एक है फॉल्स स्मार्ट रोग। इस रोग को हल्दी गांठ रोग और झूठी कंगीयारी रोग के नाम से भी जाना जाता है। फॉल्स स्मट रोग से धान की फसल को बहुत नुकसान होता है। भारत में इस रोग से 25-75 प्रतिशत तक उपज का नुकसान देखा गया है। धान की फसल को इस रोग से बचाने के लिए रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय यहां से देख सकते हैं।

रोग के लक्षण

  • धान की बालियों पर छोटे, नारंगी दाने से दिखाई देने लगते हैं।

  • इस रोग से प्रभावित दानों में पीला हल्दी या काला रंग का पाउडर दिखने लगता है।

  • दानों को छूने पर यह पाउडर हाथ में लग जाता है।

  • इस रोग से प्रभावित होने पर दानों का रंग बदरंग हो जाता है और उनका वजन घट जाता है।

  • इस रोग के लक्षण फूल आने की अवस्था पर दिखाई देते हैं विशेषकर तब जब छोटी बालियां परिपक्व होने लगती हैं

रोकथाम के उपाय

  • बुवाई के लिए रोग से ग्रस्त बीज का प्रयोग न करें।

  • बीज सदैव प्रमाणित श्रोतों से ही खरीदें हो सके तो रोग प्रतिरोधी किस्म का चयन करें ।

  • खेत व खेत की मेड़ों व सिंचाई की नालियों को खरपतवार से मुक्त रखें।

  • इस रोग से बचने के लिए बुवाई से पहले बीज को 52 डिग्री सेंटीग्रेड पर 10 मिनट तक उपचारित करें।

  • इसके अलावा कवकनाशी दवाओं से भी बीज को उपचारित कर सकते हैं।

  • निवारण उपाय के लिए पिकोक्सीस्ट्रोबिन 7.05% एससी, प्रोपिकोनाज़ोल 11.7% एससी जो की बाज़ार में गॅलिलिओ (Dupont) के नाम से उपलब्ध है को 360 मिलीलीटर 200 लीटर पानी में मिलाकर फूल आने की अवस्था पर 10 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।

  • रोग के लक्षण प्रथम दिखने पर भी 350-400 मिली पिकोक्सीस्ट्रोबिन 7.05% एससी, प्रोपिकोनाज़ोल 11.7% एससी (गॅलिलिओ) या 600 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड (ब्लाईटोक्स, ब्लू कॉपर) या 150 ग्राम टेबुकोनाज़ोल 50 % डबल्यूजी , ट्राईफ़्लोक्सिस्ट्रोबिन 25% डबल्यूजी (नेटीओ) का छिड़काव करें।

  • प्रोपिकोनाज़ोलऔर ट्राईसाईक्लाज़ोल नामक रसायनिकों के छिड़काव से भी इस रोग पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।

  • दवाओं का छिड़काव सुबह धूप निकलने से पहले या शाम के समय ही करें।

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