पोस्ट विवरण
सुने
धान
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
4 year
Follow

धान का पत्ती लपेटक कीट

धान की फसल को पत्ती लपेटक कीट से बहुत नुकसान होता है। अगर आपकी धान की फसल पर भी हो रहा है इस कीट का प्रकोप तो इससे निजात पाने के लिए इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपनाएं। रोकथाम के उपाय के साथ आप यहां से कीट की पहचान एवं इससे होने वाले नुकसान की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

कीट की पहचान

  • यह कीट धान की पत्तियों पर समूह में अंडे देती हैं।

  • करीब 6 से 8 दिनों में अंडों में से सूंडियां निकलने लगती हैं।

  • इस कीट की सूंडियां शुरुआत में पीले रंग की होती हैं।

  • बाद में इनका रंग हरा हो जाता है और पंखो पर कत्थई रंग की आड़ी-टेढ़ी रेखाएं दिखाई देती हैं।

इससे होने वाले नुकसान

  • यह कीट पहले पत्तियों के मुलायम हिस्सों को खाती हैं।

  • इसके बाद अपनी लार से धागा बना कर पत्तियों को किनारे से मोड़ने लगती हैं।

  • पत्तियों को मोड़ने के बाद यह पत्तियों को अंदर से खुरच कर खाने लगती हैं।

  • इससे पौधों के विकास और फसलों की पैदावार पर प्रतिकूल असर होता है।

बचाव के उपाय

  • जिन पत्तियों पर इनके अंडे हों उन पत्तियों को तोड़ कर अंडों को नष्ट कर दें।

  • खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करना आवश्यक है। ऐसा देखा गया है कि यह कीट पहले खरपतवार पर पनपते हैं फिर धान की फसल पर आक्रमण करते हैं।

  • पौध रोपण के 15-20 दिनों बाद फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत दानेदार का प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम प्रयोग करें।

  • प्रति एकड़ फसल में 200 से 250 लीटर पानी में 150-180  मिलीलीटर लम्ब्डासाइलोंथ्रिन 2.5 प्रतिशत ई.सी मिला कर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ फसल  में 200 लीटर पानी में 250 मिलीलीटर डेल्टामेथ्रिन 2.8 प्रतिशत एस.एल मिला कर छिड़काव करने से भी इस कीट से राहत मिलती है।

यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी तो हमारे इस पोस्ट को लाइक करें, साथ ही अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के द्वारा पूछें।

114 Likes
98 Comments
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ