बीज उपचार और पौधे तैयार करने की जबरदस्त विधि से धान की खेती में बनें माहिर

भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन कई बार रोग या कीटों के प्रकोप के कारण फसलों की उपज पर बुराप्रभाव पड़ता है। इसलिए, फसल को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए बुवाई में उपचारित बीज का उपयोग अतिआवश्यक है। इसके साथ ही, नर्सरी में रोप तैयार करने की विधि की उचित जानकारी नहीं होने के कारण भी किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
कैसे करें बीज का उपचार?
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बीजों को उपचारित करने के लिए 2 ग्राम एग्रीमाइसीन या 3 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन प्रति लीटर पानी में मिला कर घोल तैयार करें।
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इस घोल में स्वस्थ बीज को 8 घंटे के लिए डाल कर रखें।
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20 किलोग्राम बीज उपचारित करने के लिए 25 लीटर घोल की आवश्यकता होगी।
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इस विधि से उपचारित की गई बीजों में जड़ गलन रोग, पत्ती झुलसा रोग, झोंका आदि रोगों के होने की संभावना कम रहती है।
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इसके अलावा 1 किलोग्राम बीज को 2-3 ग्राम बाविस्टिन फफूंदनाशक से भी उपचारित किया जा सकता है।
नर्सरी में किस तरह करें धान के रोप तैयार?
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नर्सरी में मिट्टी की अच्छी जुताई करके भुरभुरी बना लें। भुरभुरी मिट्टी में बीज के अंकुरण एवं जड़ों के विकास में आसानी होती है।
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स्वस्थ पौधों के लिए नर्सरी में अच्छी तरह सड़ी हुई विघटित गोबर की खाद मिलाएं।
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इसके बाद बीज की रोपाई के लिए नर्सरी में क्यारियां तैयार करें।
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क्यारियों के ऊपरी हिस्सों में बीज की बुवाई करें। इससे रोप को निकालने के समय जड़ों को नुकसान नहीं होता।
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बीज की बुवाई के बाद नर्सरी में भुरभुरी मिट्टी व गोबर की खाद डालें। इसके अलावा आप चाहें तो बीज को पुआल से भी ढक सकते हैं।
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नर्सरी में आवश्यकता से अधिक मात्रा में बीज की बुवाई करने से बचें। अधिक मात्रा में बीज की बुवाई करने से पौधे कमजोर हो जाते हैं और पौधों में सड़ने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
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मिट्टी में नमी की मात्रा बनाए रखने के लिए फव्वारा विधि या कैन का इस्तेमाल कर सिंचाई करें।
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नर्सरी से पौधों को निकालने से 5-6 दिन पहले प्रति 100 वर्ग मीटर जमीन में 460 ग्राम यूरिया का छिड़काव करें।
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बीज की बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद पौधे मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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