धान की रोपाई से पहले पौधों में लगने वाले रोग से ऐसे करें बचाव

बीजों की बुआई के लगभग 20 से 25 दिनों के बाद ही धान के पौधे रोपाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। धान एक संवेदनशील फसल है और नर्सरी से रोपाई के बाद भी पौधों में बीमारियों का खतरा बना रहता है। इनमें से कई रोग मृदा जनित होते हैं, जो मिट्टी में उपस्थित फफूंद के कारण देखे जाते हैं और पौधों की जड़ों में चिपककर पौधों को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। रोग से बचने और धान की स्वस्थ और गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने के लिए पौधों का उपचार किया जाना आवश्यक होता है। जिससे जुड़ी अधिक जानकारी आप नीचे देख सकते हैं।
रोपाई के दौरान ध्यान देने वाली बातें
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नर्सरी से पौधों को निकालने से एक दिन पहले खेत की अच्छी तरह से सिंचाई करें।
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धान की किस्मों के अनुसार सही समय पर पौधों को खेत से निकालें।
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रोपाई से पहले कमजोर, रोग युक्त तथा अन्य किस्मों के पौधों को अलग कर दें।
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निकाले गए पौधों को बंडल में बांध दें।
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एक स्थान पर 2 से 3 पौधे ही लगाएं।
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रोपाई से पहले 2 से 3 बार खेत में गहरी जुताई करें।
पौधों का उपचार
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8 से 10 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा की मात्रा खेत की जुताई के समय डालें। इससे मृदा जनित रोगों में कमी आएगी।
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5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन और 40 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 20 लीटर पानी के साथ घोल तैयार करें और इसमें पौधों की जड़ों को 15 से 20 मिनट डुबोकर रख दें।
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