धान में पीलेपन की समस्या और उसका उचित समाधान

धान में पीलेपन का कारण
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धान में रोपाई के केवल 2 हफ्तों में ही जिंक (जस्ते) की कमी के कारण फसल में पीलेपन की समस्या देखने को मिलती है।
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पौधों में जिंक की कमी के कारण पत्तियां आधार की ओर से पीली पड़ने लगती है। ये हल्के पीले रंग के धब्बे होते हैं, जो बाद में गहरे भूरे रंग में बदल जाते हैं।
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पत्तियों के साथ जिंक की कमी के लक्षण जड़ों में भी देखे जाते हैं। इसके प्रभाव से जड़े भूरी रंग की हो जाती हैं।
जिंक की कमी से होने वाले नुकसान
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जिंक पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी के कारण पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते हैं और उनका विकास रुक जाता है।
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जिंक की अधिक कमी के कारण नई पत्तियां उजली निकलने लगती हैं और पुरानी पत्तियों की शिराओं पर सफेद धब्बे बनने लगते हैं।
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लम्बें समय तक जिंक की कमी के कारण पौधों का विकास रुक जाता है और पौधे बोने ही रह जाते हैं।
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धान की फसल में जिंक की कमी से खेरा रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
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बालियां देर से निकलती हैं एवं फसल पकने में भी समय लगता है।
नियंत्रण के उपाय
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धान की फसल में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए प्रति एकड़ 2 किलोग्राम यूरिया के साथ 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट की मात्रा का छिड़काव 250 लीटर पानी में घोल बनाकर करें।
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3 से 4 किलोग्राम देहात बायो जिंक की मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ खेत के अनुसार करें।
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अधिक प्रभाव होने पर 15 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव करें।
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