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30 Sep
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धनिया की खेती (cultivation of coriander)


धनिया (Coriander) एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है जो भारत में विभिन्न राज्यों में उगाई जाती है। यह न केवल अपने हरी पत्तियों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसके सूखे दानों का उपयोग भी मसाले के रूप में किया जाता है। धनिया की खेती करने से पहले इसके विभिन्न पहलुओं को समझना आवश्यक है ताकि फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार हो सके। यहां पर धनिया की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी दी गई है, जिसमें मिट्टी, जलवायु, बुवाई का समय, बीज उपचार, खेत की तैयारी, खाद और उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई, खरपतवार प्रबंधन, रोग और कीट प्रबंधन, और कटाई की प्रक्रिया शामिल है।

कैसे करें धनिया की उन्नत खेती? (How to do better cultivation of coriander?)

मिट्टी: धनिया की खेती के लिए आदर्श मिट्टी दोमट, मटियार, और कछारी मिट्टी होती है। इस मिट्टी में जल निकासी की अच्छी क्षमता होनी चाहिए और इसकी पीएच मान 7 से कम या 7 के आस-पास होना चाहिए। खेत का चयन करते समय यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पर्याप्त जीवांश और जल धारण क्षमता हो, ताकि पौधों को अच्छे से पोषण मिल सके और फसल की गुणवत्ता बनी रहे।

जलवायु: धनिया के लिए शुष्क और ठंडा मौसम आदर्श होता है। बीज अंकुरण के लिए 25-26°C तापमान उत्तम है। पाला रहित मौसम में पौधों में फूल और दाना बनते हैं। ठंडी जलवायु, तेज धूप, और ऊंची भूमि पर धनिया की गुणवत्ता में सुधार होता है और अधिक वाष्पशील तेल प्राप्त होता है।

बुवाई का समय: धनिया की बुवाई साल में कभी भी की जा सकती है केवल मार्च से मई के महीने को छोड़कर।

बीज दर: धनिया की बुवाई के लिए उचित बीज की मात्रा जरूरी है। सिंचित खेतों में प्रति एकड़ 4.5 किलोग्राम और वर्षा आधारित क्षेत्रों में 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। सही बीज दर से फसल का स्वस्थ विकास और ज्यादा उपज पायी जा सकती है।

बीज उपचार: बीजों को बोने से पहले उपचारित करना महत्वपूर्ण है। बीजों को 2 भागों में बांट लें और प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन से उपचारित करें। अतिरिक्त रूप से, प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेंडाजिम या थिरम से भी उपचारित किया जा सकता है। उपचारित बीजों को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें, जिससे अंकुरण में आसानी हो और पौधों का विकास बेहतर हो सके।

उन्नत किस्में: धनिया की बेहतर उपज के लिए शाइन - रुचि इम्पोर्टेड F1, नामधारी - सुरभि धनिया, आईरिस - हाइब्रिड धनिया बीज, ऊर्जा - इम्पोर्टेड US 363, जेन्टेक्स - किरण इम्पोर्टेड धनिया, किस्मों का चयन करें।

खेत की तैयारी: खेत की तैयारी के लिए पहले एक बार गहरी जुताई करें, फिर 2 बार आड़ी-तिरछी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके। धनिया की बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रखी जानी चाहिए। यह उचित अंतर फसल के स्वस्थ विकास, अच्छी वायु संचार और उच्च उपज के लिए आवश्यक है, जिससे पौधों को पोषण, जल और रोशनी मिलती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन:

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 टन गोबर की खाद मिलाएं और अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 26 किलोग्राम यूरिया , 34 किलोग्राम डी.ए.पी , और 13 किलोग्राम एम.ओ.पी. खाद मिलाएं। खाद को खेत की सतह पर अच्छे से फैलाएं और हल्की जुताई करें ताकि उर्वरक मिट्टी में समा जाए। इसके अलावा यूरिया को दो भागों में देना चाहिए पहले बुवाई के समय और दूसरा बुवाई के 60 दिन बाद देना चाहिए। साथ ही, खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि अधिक पानी इकट्ठा न हो और फसलों की जड़ों को नुकसान न पहुंचे।
  • 19:19:19 (NPK): बुवाई के 15 से 20 दिन बाद, धनिया की फसल के लिए इस उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। यह उर्वरक पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश प्रदान करता है, जिससे पौधों की वृद्धि और विकास में सहायता मिलती है।
  • 12:61:00 (Super Phosphate): बुवाई के 25 से 30 दिन बाद इस उर्वरक का उपयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से फास्फोरस प्रदान करता है, जो पौधों की जड़ें मजबूत करने और फूलों की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है।
  • 13:10:13 (NPK): बुवाई के 35 से 40 दिन बाद, इस उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा होती है, जो पौधों की समग्र वृद्धि और दानों के विकास में सहायक है।
  • 13:00:45 (NPK): बुवाई के 45 से 60 दिन बाद इस उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। यह उर्वरक विशेष रूप से पोटाश प्रदान करता है, जो फलियों की गुणवत्ता और बीजों के विकास को बढ़ावा देता है।
  • 0:0:50 (Potash): बुवाई के 55 से 75 दिन बाद, और यदि आवश्यक हो तो 110 दिन के बाद दोबारा इस उर्वरक का प्रयोग किया जा सकता है। यह विशेष रूप से पोटाश का स्रोत है, जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को सुधारने में मदद करता है।

सिंचाई प्रबंधन: सिंचाई मिट्टी की नमी के अनुसार करनी चाहिए। बीज की बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। इसके बाद हर 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। गर्मी के मौसम में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, जबकि ठंडे मौसम में सिंचाई की मात्रा कम की जा सकती है।

खरपतवार प्रबंधन: खेत में खरपतवार की समस्या को नियंत्रित करने के लिए निराई-गुड़ाई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए समय पर उचित उपाय करें ताकि फसल को कोई नुकसान न हो।

रोग एवं कीट प्रबंधन: धनिया की फसल में चोपा, जड़ गलन, पत्तों पर सफेद धब्बे, आर्द्र गलन, जैसे कीटों एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है। इन रोगों के कारण धनिया की पैदावार में भारी कमी हो सकती है। किसी भी रोग या कीट के लक्षण नजर आने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें।

कटाई: धनिया की फसल बीज बोने के 100-150 दिन में पककर तैयार होती है, जो प्रजातियों और जलवायु पर निर्भर करती है। आमतौर पर, हरी पत्तियों की कटाई बोने के 60-75 दिन बाद की जाती है। इस समय, पत्तियाँ ताजगी और गुणवत्ता में सर्वोत्तम होती हैं, जिससे किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

क्या आप धनिया की खेती करते हैं ? अगर हाँ तो अपना जवाब हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: धनिया की खेती कौन से महीने में होती है?

A: धनिया की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय जून-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर होता है। जून-जुलाई में बोई गई फसल को रबी मौसम में अच्छी वृद्धि मिलती है, जबकि अक्टूबर-नवंबर में बोई गई फसल को सर्दियों में ठंडे मौसम का लाभ मिलता है। दोनों समय मौसम की परिस्थितियों के अनुसार फसल का उत्पादन बेहतर होता है।

Q: एक एकड़ में कितना धनिया निकलता है?

A: एक एकड़ भूमि में धनिया का उत्पादन लगभग 10 क्विंटल होता है। यह उत्पादन भूमि की उर्वरा शक्ति, सिंचाई, मौसम की स्थिति, और फसल की देखभाल पर निर्भर करता है। उन्नत कृषि प्रबंधन और तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, जैसे कि सही मात्रा में उर्वरक का उपयोग और उचित सिंचाई की व्यवस्था।

Q: धनिया में कितने दिन में पानी देना चाहिए?

A: धनिया की सिंचाई का अंतराल भूमि की प्रकार और मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यतः, 8-10 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जाती है। गर्मी के मौसम में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है क्योंकि मिट्टी जल्दी सूख जाती है, जबकि ठंडे मौसम में सिंचाई की मात्रा कम की जा सकती है। मिट्टी की नमी की स्थिति को देखते हुए सिंचाई करनी चाहिए ताकि जलभराव से बचा जा सके।

Q: हरी धनिया कितने दिन में तैयार होती है?

A: हरी धनिया आमतौर पर 30-40 दिनों में तैयार हो जाती है। पौधे की अच्छी देखभाल, नियमित सिंचाई और समय पर कटाई से धनिया की गुणवत्ता और बाजार मूल्य में सुधार होता है। कटाई के समय का सही चुनाव फसल की ताजगी और सुगंध बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

Q: धनिया के बीज बोने से पहले कितने समय तक भिगोते हैं?

A: धनिया के बीजों को बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोना चाहिए। यह प्रक्रिया बीजों के अंकुरण को तेज करती है और अंकुरण दर को समान बनाती है। बीजों को भिगोने के बाद छाया में सुखाकर बोना चाहिए, जिससे बीजों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और पौधों का विकास बेहतर होता है।

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