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15 July
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ड्रैगन फ्रूट: कीट, लक्षण, बचाव एवं उपचार | Dragon Fruit: Pests, Symptoms, Prevention and Treatment

ड्रैगन फ्रूट की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में इसकी व्यावसायिक रूप से खेती की जाती है। इन राज्यों के अलावा, ड्रैगन फ्रूट गोवा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी उगाया जाता है। इसके लाजवाब स्वाद और गुणों के कारण इसकी मांग बढ़ती जा रही है। लेकिन कई बार कुछ कीटों के कारण फसल की उपज और गुणवत्ता में कमी आ जाती है। ड्रैगन फ्रूट के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीटों से होने वाले नुकसान एवं इन पर नियंत्रण की विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

ड्रैगन फ्रूट के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट | Some major pests affecting dragon fruit plant

फल मक्खी से होने वाले नुकसान: इस कीट का सुंडी अधिक हानि पहुंचाती है, प्रौढ़ मक्खी गहरे भूरे रंग की होती है। यह कीट छोटे, मुलायम फल में छेद करके उसमें अंडे देती है। इसके अंडे से सुंडी निकलकर फलों के अंदर का भाग को खराब करती है। कीट फल के जिस भाग में अंडा देती है, वहां से टेढ़ा होकर सड़ जाता है।

फल मक्खी पर नियंत्रण के तरीके:

  • इस कीट पर नियंत्रण के लिए पीले स्टिकी ट्रैप 10-12 प्रति एकड़ प्रयोग करें।
  • फल मक्खी पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 100 मिलीलीटर फ्लुबेंडियामाइड 90 + डेल्टामेथ्रिन 60 एससी (8.33% w/w + 5.56% w/w) (बायर फेनोस क्विक) का प्रयोग करें।
  • 150  मिलीलीटर डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% w/w ओडी (एफएमसी बेनेविया) की 300 मिलीलीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

दीमक से होने वाले नुकसान: समूह में रहने वाले यह कीट ज्यादातर समय मिट्टी के अंदर रहते हैं। दीमक आकार में छोटे और चमकीले होते हैं। हल्के पीले से भूरे रंग के ये कीट मिट्टी की सतह के पास से तने को काट कर फसल को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। यह कीट अंकुरित बीज के साथ पौधों की जड़ों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यह जड़ों का रस चूस का फसल को कमजोर बना देते हैं। जिससे कुछ ही दिनों में पौधा सूखने लगता है।

दीमक पर नियंत्रण के तरीके:

  • कच्ची गोबर में दीमक जल्दी पनपते हैं। इसलिए खेत में कच्ची गोबर का प्रयोग न करें।
  • फसलों को दीमक के प्रकोप से बचाने के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ भूमि में 200 किलोग्राम नीम की खली डाल कर खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
  • दीमक पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 6.67-13 किलोग्राम फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जीआर (देहात सलेमाइट) का प्रयोग करें।
  • प्रति किलोग्राम बीज को 1.32-4 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 30% एफ.एस. (देहात एसीयर एफएस, अदामा तलैया, यूपीएल रेनो) से उपचारित करें।
  • प्रति किलोग्राम बीज को 1-3 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 48% एफएस (कात्यायनी आक्रोश, बायर गौचो) से उपचारित कर के भी दीमक के प्रकोप से बचा जा सकता है।
  • खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप दिखने पर प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी (श्रीराम क्लोरो, सिल्वर क्रॉप क्लोरोसिल 20, हाईफील्ड दरबान) का प्रयोग करें।

लीफ हॉपर से होने वाले नुकसान: इस कीट को फुदका कीट के नाम से भी जाना जाता है। केसर के पौधों में इस कीट प्रकोप अधिक होता है। पौधों में फूल आने के समय इस कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। यह पौधों की पत्तियों को खुरच कर खाते हैं। जिससे पौधों में हरे पदार्थ की कमी हो जाती है। जिससे केसर की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होती है।

लीफ हॉपर पर नियंत्रण के तरीके:

नीचे दी गई दवाओं में से किसी भी एक दवा के प्रयोग से इस कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है।

  • 200 लीटर पानी में 160 मिलीलीटर फ्लक्समेटामाइड 10% ईसी (गोदरेज ग्रासिया) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी (देहात एंटोकिल) का 80 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • 200 लीटर पानी में 400-560 मिलीलीटर क्विनलफॉस 25% ईसी (धानुका धानुलक्स)  मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) का 300 मिलीलीटर दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

मिलीबग कीट से होने वाले नुकसान: मिलीबग कीट पौधे के पत्तियों के पीछे या गांठों पर सफेद रंग के अंडाकार कीट दिखाई देते हैं, इन्हें मिलीबग कीट के नाम से जाना जाता है। ये कीट हनी ड्यू का स्राव करते हैं। हनीड्यू पर फफूंद विकसित हो जाती है। जिससे फल काले रंग के हो जाते हैं, जो काली चींटी को आकर्षित करते हैं। पौधों की पत्ती पीले होने लगती है। फल भी छोटे हो जाते हैं।

मिलीबग कीट पर नियंत्रण के तरीके:

  • खेत में ज्यादा नमी ना दें, एवं जल-जमाव न हो।
  • ज्यादा प्रभावित पौधे को उखाड़ कर फेक देनी चाहिए।
  • बुप्रोफेज़िन 25% एससी (बेयर फ्लोटिस) दवा का 300-400 मिलीलीटर 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 400 मिलीलीटर बिफेन्थ्रिन 8% + क्लॉथियानिडिन 10% एससी (एफएमसी टैलस्टार प्लस) का प्रयोग करें।
  • डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा रैलिस- टैफगोर) दवा का 300 मिलीलीटर 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे छिड़काव करें।

आपके ड्रैगन फ्रूट के पौधों में किस कीट का प्रकोप अधिक होता है और इन पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके अलावा, 'किसान डॉक्टर' चैनल को फॉलो करके आप फसलों के सही देखभाल और सुरक्षा के लिए और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करके आप इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: ड्रैगन फ्रूट का पौधा कितने दिन में फल देता है?

A: ड्रैगन फ्रूट का पौधा आमतौर पर रोपाई के 1-2 साल के अंदर फल देना शुरू कर देता है। हालांकि, पौधे को फल देने में लगने वाला सही समय विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि पौधे की आयु, बढ़ती स्थिति और पौधे की विविधता। भारत में, ड्रैगन फ्रूट का पौधा ज्यादातर महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक राज्यों में उगाया जाता है।

Q: ड्रैगन फ्रूट के लिए कौन सी खाद चाहिए?

A: ड्रैगन फ्रूट के पौधों को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है। खाद कार्बनिक पदार्थों के साथ मिट्टी को समृद्ध करने का एक शानदार तरीका है। कम्पोस्ट गाय की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और नारियल कॉयर का मिश्रण ड्रैगन फ्रूट के पौधों के लिए एक आदर्श खाद है। ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाने से पहले खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए।

Q: ड्रैगन फ्रूट कौन से महीने में लगाया जाता है?

A: ड्रैगन फ्रूट आमतौर पर भारत में गर्मियों के महीनों के दौरान मई और जून के बीच लगाया जाता है। ड्रैगन फ्रूट लगाने के लिए आदर्श तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। पौधे को बढ़ने और फल पैदा करने के लिए गर्म मौसम और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ड्रैगन फ्रूट लगाने से पहले मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो।

Q: ड्रैगन फ्रूट के लिए सबसे अच्छा कवकनाशी कौन सा है?

A: ड्रैगन फ्रूट के लिए सबसे अच्छे कवकनाशी का चयन उसमें लगने वाले रोगों के आधार पर किया जाता है। कवकनाशी का प्रयोग करते समय उसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें। रासायनिक कवकनाशी के प्रयोग से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करें।

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