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किसान डॉक्टर
13 July
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जैविक खेती में कीट प्रबंधन कैसे करें? | Effective Pest Management in Organic Farming

विभिन्न फसलों में कई तरह के कीटों पर नियंत्रण के लिए किसान धड़ल्ले से रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों पर तो नियंत्रण हो जाता है लेकिन इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। ऐसे में जैविक तरीके से कीटों पर नियंत्रण करना एक बेहतर विकल्प बन कर सामने आ रहा है। अगर आप भी पाना चाहते हैं जैविक तरीके से कीटों से छुटकारा तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़िए। यहां से आप जैविक जैविक खेती में कीट प्रबंधन की जानकारी प्राप्त कसकते हैं।

जैविक विधि से कीटों पर नियंत्रण करने के फायदे | Benefits of Using Organic Methods for Pest Control

    • पर्यावरण के अनुकूल: जैविक विधि से कीटों पर नियंत्रण करने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव नष्ट नहीं होते हैं। इसके साथ ही हानिकारक रसायनों का प्रयोग नहीं करने से फसलों एवं खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता में भी कमी आती है।
    • लागत में कमी: बाजार में मिलने वाले रासायनिक कीटनाशकों की कीमत अधिक होती है। इसके विपरीत जैविक कीटनाशकों को बहुत कम लागत में घर में आसानी से तैयार किया जा सकता है।  इसके प्रयोग से कृषि में होने वाली लागत में कमी आती है।
    • उपज एवं गुणवत्ता: जैविक कीटनाशकों के इस्तेमाल से फसलों की उपज एवं गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
    • सुरक्षित: जैविक कीट नाशक फसलों और किसानों दोनों के लिए सुरक्षित है। इससे फसलों या मिट्टी में रसायनों का हानिकारक अवशेष नहीं रहता है।
    • मिट्टी की उपजाऊ क्षमता: हानिकारक रसायनों का प्रयोग नहीं करने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।
    • आसानी से तैयार: जैविक कीटनाशकों को घर में उपलब्ध सामग्रियों के द्वारा आसानी से तैयार किया जा सकता है।

  • लम्बे समय तक असरदार: जैविक कीटनाशकों का असर लंबे समय तक बना रहता है।

जैविक कीटनाशकों का प्रयोग | Use of organic pesticides

  • ब्रह्मास्त्र का प्रयोग: इसे तैयार करने के लिए 10 लीटर देसी गाय के मूत्र, 5 किलोग्राम पिसे हुए नीम के पत्ते, 2 किलोग्राम पिसे हुए सफेद धतूरे के पत्ते, 2 किलोग्राम पिसे हुए सीताफल के पत्ते, 2 किलोग्राम करंज, 2 किलोग्राम अमरूद के पत्ते, 2 किलोग्राम आरंडी के पत्ते, 2 किलोग्राम पपीते के पत्ते की आवश्यकता होती है। यहां बताई गई किसी भी 5 पौधों की पत्तियों को गोमूत्र में मिलाकर अच्छी तरह उबालें। करीब 4 उबाल आने के बाद इस मिश्रण को ठंडा होने दें। 48 घंटे रखने के बाद उबले हुए मिश्रण को किसी साफ कपड़े से छान लें। जैविक कीटनाशक 'ब्रह्मास्त्र' तैयार है। कीटों पर नियंत्रण के लिए 100 लीटर पानी में 2-3 लीटर 'ब्रह्मास्त्र' मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें।
  • दशपर्णी अर्क का प्रयोग: 10 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर दशपर्णी अर्क मिला कर फसलों पर छिड़काव करें। इसे देशी गाय के मूत्र, गाय के गोबर, नीम, अरंडी, कस्टर्ड, पपीता, नीचे, अदरक, लहसुन, हरी, मिर्च आदि पत्तियों के प्रयोग से तैयार किया जाता है। दशपर्णी अर्क को आप बाजार से खरीद सकते हैं।
  • नीमास्त्र का प्रयोग: नीमास्त्र बनाने के लिए 5 किलोग्राम नीम के पत्ते और सूखे फलों को कूट कर पानी में मिलाएं। इसके बाद इसमें 5 लीटर गोमूत्र और 1 किलोग्राम गोबर मिला कर बोरे से ढक कर छांव वाले स्थान पर रखें। प्रति दिन सुबह एवं शाम के समय इस मिश्रण को लकड़ी से चलाएं। 48 घंटों बाद इस मिश्रण को किसी साफ कपड़े से अच्छी तरह छानें और फसलों में प्रयोग करें।
  • अग्नि अस्त्र का प्रयोग: इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले 20 लीटर गोमूत्र में 5 किलोग्राम नीम के पत्ते, 500 ग्राम पीसी हुई लहसुन, 500 ग्राम पीसी हुई हरी मिर्च और 500 ग्राम तम्बाकू पाउडर मिला कर कम आंच पर उबालें। उबाल आने के बाद इसे आंच से उतारें और किसी छांव वाले स्थान में 48 घंटों तक ढक कर रखें। हर दिन सुबह और शाम के समय इस मिश्रण को 5-10 मिनट तक अच्छी तरह चलाएं। 48 घंटों के बाद इस मिश्रण को कपड़े से छान कर फसलों पर छिड़काव करें।

जैविक विधि से कीटों पर नियंत्रण के कुछ अन्य तरीके | Some other ways to control pests through organic method

  • स्टिकी ट्रैप का प्रयोग: सफेद मक्खी, माहू, थ्रिप्स, जैसे उड़ने वाले रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए खेत में स्टिकी ट्रैप लगान लाभदायक साबित होता है। इसके आकर्षक रंग के कारण आकर्षित हो कर इसकी तरफ आते हैं और चिपचिपे पदार्थ में चिपक जाते हैं। प्रति एकड़ खेत में 4-6 स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें। स्टिकी ट्रैप को फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फीट ऊपर लगाएं। कुछ दिनों के अंतराल पर खेत में लगे हुए स्टिकी ट्रैप का निरीक्षण करते रहें और कीटों से भरे हुए पुराने स्टिकी ट्रैप को बदलते रहें।
  • फेरोमेन ट्रैप का प्रयोग: कीटों पर नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके गंधपाश के नाम से भी जाना जाता है। फेरोमेन ट्रैप में नर कीटों को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरह के ल्योर का इस्तेमाल किया जाता है। नर कीट इसमें लगे ल्योर के गंध की तरफ आकर्षित हो कर फंस जाते हैं। इस तरह कीटों की संख्या में वृद्धि पर आसानी से रोक लगाया जा सकता है।

जैविक खेती में कीटों पर नियंत्रण के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। विभिन्न रोगों एवं कीटों पर नियंत्रण की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: जैविक कीटनाशक क्या हैं?

A: जैविक कीटनाशक प्राकृतिक सामग्री जैसे जानवरों, पौधों, बैक्टीरिया और कुछ खनिजों से प्राप्त पदार्थों से तैयार किए जाते हैं, जिनका उपयोग कृषि में कीटों और रोगों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इन्हें रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में एक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प माना जाता है।

Q: जैविक और सिंथेटिक कीटनाशकों में क्या अंतर है?

A: जैविक कीटनाशक पौधों, बैक्टीरिया और कवक जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं, और कृषि में कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये कुछ विशेष कीटों को नष्ट करते हैं या दूर भगाते हैं। वहीं सिंथेटिक कीटनाशकों को रासायनिक रूप से प्राप्त किया जाता है और कीटों को मारने या नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सिंथेटिक कीटनाशकों से लाभकारी कीट, मधुमक्खियों, पक्षियों और पशुओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। दूसरी तरफ जैविक कीटनाशक सिंथेटिक कीटनाशकों की तुलना में पर्यावरण और लाभकारी कीट, मधुमक्खियों, पक्षियों आदि के लिए कम हानिकारक माने जाते हैं।

Q: घर पर जैविक कीटनाशक कैसे तैयार करें?

A: घर पर आप प्रकृति सामग्रियों जैसे गोबर, गौमूत्र, नीम, करंज, लहसुन, मिर्च, हींग, गेंदा, धतूरा, आदि के द्वारा आप जैविक कीटनाशक तैयार कर सकते हैं।

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