अकरकरा की खेती (Akarkara cultivation)
अकरकरा एक औषधीय फसल है जिसकी जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है। पिछले 400 वर्षों से इसका सफलतापूर्वक उपयोग हो रहा है। अकरकरा के बीज और डंठल की बाजार में काफी मांग है, जो दर्द निवारक दवाइयों, मंजन और तेल बनाने में काम आते हैं। इसकी खेती में कम मेहनत लगती है लेकिन मुनाफा अधिक होता है।
कैसे करें अकरकरा की खेती? (How to cultivate Akarkara?)
जलवायु : अकरकरा की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसके पौधों को धूप की आवश्यकता ज्यादा होती है। इसकी खेती के लिए ज्यादा बारिश की जरूरत नहीं होती। इसके पौधे सर्दियों में पड़ने वाले पाले को भी सहन कर लेते हैं। इसके पौधों को अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तक तापमान की जरूरत होती है। पकने के दौरान तापमान 35 डिग्री के आसपास होना अच्छा होता है।
मिट्टी : अकरकरा की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि की जरूरत होती है। जिसमें काली मिट्टी, लाल मिट्टी, और दोमट मिट्टी शामिल हैं। जलभराव और भारी मिट्टी वाली भूमि में इसकी खेती नहीं की जा सकती। भूमि का पी.एच. मान 6-8 के आसपास होना चाहिए।
बुवाई का समय : अकरकरा के बीज बोने का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान जून और जुलाई के बीच होता है। इस समय में नमी की उपस्थिति बीज अंकुरण को प्रोत्साहित करती है।
किस्में (Varieties) : अकरकरा की कई किस्में हैं, जिनमें हरी और लाल किस्में प्रमुख हैं। दोनों किस्में औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं और समान जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियों में उगाई जा सकती हैं।
खेत की तैयारी : अकरकरा की खेती के लिए खेत की मिट्टी भुरभुरी और नर्म होनी चाहिए। क्योंकि अकरकरा एक कंदवर्गीय फसल है, जिसके फल जमीन के अंदर विकास करते हैं। खेत की तैयारी के लिए गहरी जुताई करनी चाहिए और खाद डालनी चाहिए।
खाद और उर्वरक:
- केंचुआ खाद / वर्मी कंपोस्ट: पौधे के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है।
- नीम की खली: जमीन में उपस्थित कीटों को मारता है।
- जिप्सम पाउडर: जमीन को भुरभुरा रखने में मदद करता है।
- ट्राइकोडर्मा फफूंद नाशक पाउडर: जमीन में उपस्थित हानिकारक फफूंद को मारने में उपयोगी होता है।
- नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम युक्त उर्वरक का उपयोग करें।
पौध रोपण : पौधों को 30 सेमी x 30 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। इससे पौधों को पर्याप्त स्थान और पोषक तत्व मिलते हैं।
पौध तैयार करना। अकरकरा के पौधे को बीज और पौधा दोनों रूप में उगाया जा सकता है। इसकी पौध भी नर्सरी में बीज के माध्यम से ही तैयार की जाती है। बीजों को नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए गोमूत्र और ट्रायकोडर्मा से उपचारित करना चाहिए। बीजों को उपचारित कर प्रो-ट्रे में एक महीने पहले लगा दिया जाता है। बीज के तैयार होने के बाद उन्हें उखाड़कर खेत में तैयार की हुई मेड पर लगाया जाता है। एक एकड़ खेती के लिए 5 किलो बीजों की आवश्यकता होती है जो रु. 4000 प्रति किलो मिलता है।
सिंचाई : अकरकरा के पौधे को खेत में लगाने के तुरंत बाद उनकी सिंचाई कर देनी चाहिए, ताकि पौधे को अंकुरित होने में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। बीज के अंकुरित होने तक हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए।
अकरकरा की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है, इसलिए इसके पौधों को अंकुरित होने के बाद कम सिंचाई की जरूरत होती है। इसके पौधों को पककर तैयार होने के लिए 5 से 6 सिंचाई की ही जरूरत होती है। पौधों को अंकुरित होने के बाद 20 से 25 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण : अकरकरा की खेती में शुरुआत में खरपतवार नियंत्रण काफी अहम होता है। इसकी खेती में खरपतवार नियंत्रण नीलाई गुड़ाई के माध्यम से ही करना चाहिए। रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण करने पर इसके कंदों की गुणवत्ता में कमी आती है। पहली गुड़ाई पौध रोपाई के लगभग 20 दिन बाद करनी चाहिए। बाकी की गुड़ाई पहली गुड़ाई के बाद 20 से 25 दिन के अंतराल में करनी चाहिए। पौधों की तीन गुड़ाई काफी होती है।
रोग और कीट प्रबंधन : अकरकरा को प्रभावित करने वाले सामान्य कीटों में एफिड, थ्रिप्स और माइट शामिल हैं। इन कीटों को जैविक कीटनाशकों का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है। रोगों से बचाव के लिए फसल की नियमित निगरानी करें और उचित रोकथाम के उपाय अपनाएं।
कटाई : बुवाई के 90-100 दिनों के बाद पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फूलों और पत्तियों को तब काटा जाना चाहिए जब वे पूरी तरह से परिपक्व हो जाएं।
अकरकरा की खेती के लाभ (Benefits of Akarkara cultivation)
औषधीय महत्व: अकरकरा की जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है। इसके बीज और डंठल की बाजार में काफी मांग है, जो दर्द निवारक दवाइयों, मंजन और तेल बनाने में काम आते हैं।
उच्च मुनाफा: इसकी खेती में कम मेहनत लगती है लेकिन मुनाफा अधिक होता है।
जलवायु सहिष्णुता: अकरकरा के पौधों पर तेज गर्मी या अधिक सर्दी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता।
समय की बचत: फसल को तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं।
भूमि की अनुकूलता: इसकी खेती के लिए सामान्य पी.एच. मान वाली भूमि चाहिए।
क्या आप अकरकरा की खेती करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इस लेख में आपको खाद एवं उर्वरक की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है और ऐसी ही अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो इसे अभी लाइक करें और अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा जरूर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: अकरकरा की खेती कितने महीने की होती है?
A: अकरकरा की खेती लगभग 8 से 10 महीने लगते हैं। यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है जिसे आमतौर पर वार्षिक फसल के रूप में उगाया जाता है। बीज बोने का सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च के महीनों के दौरान होता है, और फसल आमतौर पर नवंबर से दिसंबर में काटी जाती है।
Q: अकरकरा की खेती कहाँ-कहाँ होती है?
A: अकरकरा मुख्य रूप से भारत के उत्तरी भागों में खेती की जाती है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में।
Q: अकरकरा का पौधा किस मिट्टी में उगाया जाता है?
A: अकरकरा की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली मिट्टी जिसमे कार्बनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में हो उपयुक्त होती है। यह रेतीली दोमट, मिट्टी, लाल दोमट सहित सभी प्रकार की मिट्टी में विकसित हो सकता है।
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