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14 June
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मूंग की फसल में उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management in Moong

दलहन फसलों में मूंग की खेती प्रमुखता से की जाती है। इसकी खेती मुख्यतः दाने प्राप्त करने के लिए की जाती है। इसकी खेती मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती है। इसके पौधों को जुताई के द्वारा मिट्टी में दबा कर हरी खाद के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बात करें मूंग की फसल में इस्तेमाल किए जाने वाले उर्वरकों की तो इसमें नाइट्रोजन की आवश्यकता कम होती है। मूंग की फसल में उर्वरक प्रबंधन की विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

मूंग की फसल में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभ | Benefits of Using Fertilizers in Moong Crop

  • पोषक तत्वों की पूर्ति: उर्वरकों के प्रयोग से पौधों को उचित मात्रा में सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
  • फसल की उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि: उचित मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करने से मूंग की उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है।
  • पौधों का विकास: पौधों को पोषक तत्व मिलने से पौधों का बेहतर विकास होता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: पोषक तत्वों की कमी दूर होने से पौधे स्वस्थ होते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे फसल में रोगों और कीटों के प्रकोप की संभावना कम हो जाती है।
  • तनाव का प्रतिरोध: उर्वरक अरहर की फसल को सूखे या वर्षा के कारण होने वाले तनाव से बचाने में मदद कर सकते हैं।
  • लागत प्रभावी: उर्वरकों का उचित उपयोग लंबे समय में लागत प्रभावी हो सकता है, क्योंकि इससे फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ सकती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है।
  • सतत कृषि: उर्वरकों का उपयोग स्थायी कृषि प्रथाओं के एक भाग के रूप में किया जा सकता है, क्योंकि वे मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करने में मदद कर सकते हैं।

खेत तैयार करने समय उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management While Preparing the Field

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 8 से 10 किलोग्राम यूरिया 24 से 25 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 16 से 18 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करें।
  • बुवाई से पहले प्रति एकड़ खेत में 100 किलोग्राम जिप्सम एवं बुवाई के समय 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट खेत में मिलाएं।
  • बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें।
  • यदि खेत की मिट्टी में ज़िंक और सल्फर की कमी है तो प्रति एकड़ खेत में 5 किलोग्राम ज़िंक सलफेट (देहात न्यूट्रीवन ज़िंक सलफेट मोनोहाइड्रेट) का प्रयोग करें।

फसलों के विकास की अवस्था में उर्वरकों का प्रयोग | Use of Fertilizers at Different Stages of Crop Growth

  • पौधों के उगने के करीब 20 से 25 दिनों बाद प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 12:61:00 (देहात न्यूट्रीवन मोनो अमोनियम फॉस्फेट) का प्रयोग करें।
  • प्रति लीटर पानी में 2-3 मिलीलीटर 'देहात बूस्ट मास्टर' का प्रयोग करें।
  • फसल के उगने के करीब 30 से 35 दिनों बाद प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 00:52:34 (देहात न्यूट्रीवन एमकेपी) का प्रयोग करें।

फसलों में उर्वरकों के प्रयोग के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | Things to Keep in Mind While Using Fertilizers for Crops

  • मिट्टी की जांच: खेत में उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों एवं पी.एच स्तर की जानकारी के लिए मिट्टी की जांच करना महत्वपूर्ण है। इससे किसानों को उर्वरक का उचित प्रकार और इसकी मात्रा को निर्धारित करने में मदद मिल सकती है।
  • इस्तेमाल करने का समय: फसल और विकास के चरण के आधार पर उर्वरकों का इस्तेमाल सही समय पर किया जाना चाहिए। सही समय पर उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करने से उसकी प्रभावशीलता में कमी हो सकती है।
  • उर्वरक की मात्रा: उर्वरकों का इस्तेमाल समान रूप से और सही गहराई पर करना चाहिए। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे पौधों की जड़ों तक पहुंचे। उर्वरकों के इस्तेमाल के समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें। आवश्यकता से कम या इससे अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से फसल की उपज एवं गुणवत्ता में कमी हो सकती है।
  • पर्यावरणीय कारक: वर्षा, तापमान और मिट्टी की नमी जैसे पर्यावरणीय कारक उर्वरकों की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं। उर्वरकों का प्रयोग करते समय इन कारकों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।
  • सुरक्षा सावधानियां: उर्वरकों में कई तरह रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं जिसके सीधा संपर्क में आने पर मनुष्यों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है या त्वचा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए किसानों को सुरक्षात्मक कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। उर्वरकों को त्वचा और आंखों के संपर्क में आने से बचाने के लिए सुरक्षा सावधानियों का पालन करना चाहिए।

अधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले नुकसान | Effects of Excessive Use of Fertilizers

  • मृदा क्षरण: आवश्यकता से अधिक मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी का क्षरण हो सकता है, जिससे समय के साथ मिट्टी की उर्वरक क्षमता और उत्पादन क्षमता कम हो सकती है।
  • जल प्रदूषण: उर्वरक भूजल और सतह के पानी में मिल सकते हैं, जिससे जल प्रदूषण हो सकता है। इससे जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है। पानी मनुष्यों के इस्तेमाल के लिए भी असुरक्षित हो सकती है।
  • वायु प्रदूषण: उर्वरक हवा में हानिकारक गैसों को छोड़ कर वायु प्रदूषण बढ़ा सकते हैं और जलवायु परिवर्तन में योगदान कर सकते हैं।
  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग करने से फसलों में हानिकारक रसायनों का संचय हो सकता है। ऐसी फसलों का सेवन करने से मनुष्यों के साथ पशुओं का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है।
  • बढ़ती हुई लागत: उर्वरकों के अधिक उपयोग से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसे में बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए और मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाए रखने के लिए अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना पड़ता है। इससे किसानों के लिए कृषि में होने वाली लागत में वृद्धि हो सकती है।
  • जैव विविधता में कमी: उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से जैव विविधता में कमी हो सकती है, क्योंकि यह लाभकारी सूक्ष्मजीवों और कीड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्या आपने मूंग की फसल में उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच कराई है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: मूंग की खेती में कौन सी खाद डाली जाती है?

A: मूंग की फसल में गोबर की खाद, यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश,आदि उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।

Q: मूंग की अधिक पैदावार के लिए क्या करें?

A: मूंग की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए, किसानों को उचित भूमि की तैयारी, समय पर बुवाई और पर्याप्त सिंचाई सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का भी उपयोग करना चाहिए, संतुलित उर्वरकों को लागू करना चाहिए और उपयुक्त कीट और रोग प्रबंधन प्रथाओं को अपनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, संगत फसलों और फसल चक्रण के साथ इंटरक्रॉपिंग भी मूंग की उपज में सुधार करने में मदद कर सकती है।

Q: मूंग में कितने दिन बाद पानी देना चाहिए?

A: मूंग को उचित वृद्धि और विकास के लिए पर्याप्त मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए नियमित अंतराल पर पानी पिलाया जाना चाहिए। पानी की आवृत्ति मिट्टी के प्रकार, मौसम की स्थिति और फसल के विकास के चरण जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। आमतौर पर, मूंग को वानस्पतिक अवस्था के दौरान हर 4-5 दिनों में और प्रजनन अवस्था के दौरान हर 7-10 दिनों में पानी देना चाहिए।

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