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9 Sep
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पपीता खेती में उर्वरक प्रबंधन | Manure Management in Papaya

पपीता एक बेहद लाभकारी और तेजी से फल देने वाली फसल है, जिसे कम समय में अधिक उत्पादन के लिए जाना जाता है। इसके सफल उत्पादन के लिए पौधों को सही पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। उर्वरक प्रबंधन पपीता की खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करने के साथ ही फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को भी बढ़ाता है। पपीता की बागवानी एक बहु वर्षीय फसल के तौर पर की जाती है। इसलिए पौधों में खाद एवं उर्वरकों का इस्तेमाल उसकी आयु के अनुसार किया जाता है। उच्च गुणवत्ता के फल प्राप्त करने के लिए गोबर की खाद, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी इस्तेमाल किया जाता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से पपीता में कौन सा खाद डालना चाहिए और पपीता में खाद की मात्रा की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

पपीता के पौधों में उर्वरकों की कमी से होने वाले नुकसान | Consequences in Papaya Plants Due to Lack of Fertilizers

  • पोषक तत्वों की कमी: खाद की कमी से पपीते के पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। जिसके परिणामस्वरूप पौधों का विकास प्रभावित हो सकता है।
  • उपज में कमी: उर्वरकों की कमी पपीते के पौधों की उपज को काफी कम कर सकती है, क्योंकि उन्हें स्वस्थ विकास और उच्च उपज के लिए पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
  • फलों की गुणवत्ता में कमी: उर्वरकों के बिना, पपीते के फलों की गुणवत्ता कम होने लगती है। फलों का आकार, रंग और स्वाद में कमी आने लगती है।
  • कार्बनिक पदार्थों में कमी: खाद कार्बनिक पदार्थों का एक स्रोत है जो मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार करने में मदद करता है। खाद के बिना, मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की कमी हो सकती है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है और पौधों की वृद्धि कम हो सकती है।
  • मिट्टी की जल धारण क्षमता में कमी: खाद की कमी मिट्टी की जल-धारण क्षमता को कम कर सकती है, जिससे पपीते के पौधों में पानी का तनाव उत्पन्न हो सकता है।

पपीता के पौधों में खाद एवं उर्वरकों की उचित मात्रा | Appropriate Quantity of Manure & Fertilizers For Papaya Plants

  • प्रति वर्ष प्रत्येक पौधे में 10 किलोग्राम अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद, 1 किलोग्राम बोन मील और 1 किलोग्राम नीम की खली का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें।
  • पौधों की रोपाई के 1 महीने बाद 100 किलोग्राम डीएपी, 77 किलोग्राम यूरिया और 150 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।
  • पौधों की रोपाई के 3 महीने बाद 100 किलोग्राम डीएपी, 77 किलोग्राम यूरिया और 150 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें। इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम माइक्रोन्यूट्रिएंट मिक्सचर का भी प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट (न्यूट्रीवन जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट ZnSo4) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम फेरस सल्फेट (न्यूट्रीवन फेरस सल्फेट FeSo4) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 1-2 किलोग्राम बोरोन 14.5% (न्यूट्रीवन DTB) का प्रयोग करें। पौधों की रोपाई के तीसरे महीने, 5वे महीने और 7वे महीने में इसका प्रयोग करें।
  • अधिक उपज प्राप्त करने के लिए पौधों में फूल और फल आने के समय 200 लीटर पानी में 12.5 ग्राम जिबरेलिक एसिड 40% डब्ल्यूएसजी (न्यूट्रीवन अकिलिस जीए) का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।

पपीता के पौधों में खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग के समय ध्यान में रखने वाली बातें | Things to Keep in Mind While Using Fertilizers for Crops

  • मृदा परीक्षण: पपीते के पौधों में किसी भी खाद या उर्वरक का इस्तेमाल करने से पहले, मिट्टी की पोषक सामग्री और पीएच स्तर की जानकारी प्राप्त करने के लिए मिट्टी का परीक्षण करना महत्वपूर्ण है। यह उपयोग की जाने वाली खाद और उर्वरक की उचित मात्रा और प्रकार निर्धारित करने में मदद करेगा।
  • आवेदन का समय: फसल और विकास के चरण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग सही समय पर किया जाना चाहिए। उर्वरकों को बहुत जल्दी या बहुत देर से इस्तेमाल करने से उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।
  • प्रयोग की मात्रा: उर्वरकों को समान रूप से और सही गहराई पर मिलाना चाहिए। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे पौधों की जड़ों तक पहुंचे। उर्वरकों के इस्तेमाल के समय मात्रा का भी विशेष ध्यान रखें। आवश्यकता से कम या इससे अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से फसल की उपज पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
  • पर्यावरणीय कारक: वर्षा, तापमान और मिट्टी की नमी जैसे पर्यावरणीय कारक उर्वरकों की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं। उर्वरकों का प्रयोग करते समय इन कारकों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।

पपीता के पौधों में आप किन उर्वरकों का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकरी को अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: पपीता में कौन सा खाद डालें?

A: भारत में पपीते की बागवानी करने वाले किसानों को गोबर की खाद के साथ संतुलित मात्रा में एनपीके खाद प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा पपीता के पौधों में जिंक और सल्फर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

Q: पपीता कितने दिन में फल देता है?

A: पपीते के पौधे आमतौर पर रोपण के बाद 6-8 महीनों के अंदर फल देना शुरू कर देते हैं। हालांकि, फलने में लगने वाला समय विभिन्न कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है जैसे कि पपीते की विविधता, बढ़ती परिस्थितियों और प्रबंधन प्रथाओं। कुछ मामलों में, पहला फल दिखाई देने में एक साल तक का समय लग सकता है।

Q: पपीते के पेड़ को कितनी बार खाद देना चाहिए?

A: पौधों के विकास के चरण में प्रति वर्ष 2 से 3 बार पपीता के पौधों में खाद देना चाहिए। इससे पौधों का उचित विकास होता है और पौधों में पोषक तत्वों की कमी भी दूर होती है।

Q: पपीते के पेड़ के लिए सबसे अच्छा जैविक खाद कौन सा है?

A: पपीते के पेड़ों के लिए सबसे अच्छा जैविक उर्वरक अच्छी तरह से सड़ी हुई गाय की खाद या खाद है। ये उर्वरक पोषक तत्वों का संतुलित मिश्रण प्रदान करते हैं और मिट्टी की संरचना में सुधार करते हैं, जो पपीते के पेड़ों के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

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