नेनुआ की अच्छी पैदावार के लिए करें उचित खाद प्रबंधन | Fertilizer Management in Sponge Gourd
नेनुआ कद्दू वर्गीय फसलों में शामिल, भारतीय रसोई की एक प्रमुख सब्जी है। इसे तोरई के नाम से भी जाना जाता है। यह पौष्टिकता से भरपूर यह पौष्टिकता से भरपूर होती है और इसे उगाना भी सरल है। नेनुआ की खेती देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है, और इसकी खेती के लिए उचित खाद प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। अगर आप भी कर रहे हैं नेनुआ की खेती तो इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उर्वरक प्रबंधन की सम्पूर्ण जानकारी यहां से प्राप्त करें।
नेनुआ की फसल में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभ | Benefits of Using Fertilizers in Sponge Gourd
- वृद्धि में तेजी: उर्वरकों के इस्तेमाल से पौधों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी दूर होती है, जिससे पौधों की पत्तियों और जड़ों का विकास तेजी से होता है।
- जड़ों की मजबूती: फॉस्फोरस जैसे उर्वरक पौधों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, जिससे पौधों में जल और पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है।
- फूल और फलों की संख्या में वृद्धि: उचित खाद प्रबंधन से पौधों में फूल और फलों की संख्या बढ़ती है, जिससे फसल के उत्पादन में सुधार होता है।
- बेहतर गुणवत्ता: पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की उचित मात्रा मिलने से फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है। अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के कारण बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: उर्वरकों का सही उपयोग पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे पौधे रोगों और कीटों के हमलों से सुरक्षित रहते हैं।
खेत तैयार करने समय उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management While Preparing the Field
- खेत की जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 8-10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद का प्रयोग करना चाहिए।
- इसके साथ ही प्रति एकड़ 2-3 टन वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करें।
- खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में बेसल डोज के तौर पर 70 किलोग्राम एनपीके 10:26:26 खाद के साथ 25 किलोग्राम यूरिया, 12 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करें।
- इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का भी प्रयोग करें।
फसलों के विकास की अवस्था में उर्वरकों का प्रयोग | Use of Fertilizers at Different Stages of Crop Growth
- बुवाई के 10-15 दिनों बाद प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात अकिलिस जीए का प्रयोग करें।
- पौधों में फूल आने के समय 5 ग्राम एमकेपी 00.52.34 (देहात न्यूट्रीवन- मोनो पोटैशियम फॉस्फेट) + 1 ग्राम चिलेटेड बोरोन का छिड़काव करें।
- पौधों के विकास के समय प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात बूस्ट मास्टर का छिड़काव करें।
- नेनुआ के फलों की गुणवत्ता में वृद्धि लाने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम चिलेटेड कैल्शियम + 1 ग्राम बोरोन 20% का छिड़काव करें।
फसलों में उर्वरकों के प्रयोग के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | Things to Keep in Mind While Using Fertilizers for Crops
- उर्वरकों की मात्रा: नेनुआ की फसल में उर्वरकों का प्रयोग करते समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें। अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरता कम हो सकती है और पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं कम मात्रा में इसके प्रयोग से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे उनकी वृद्धि प्रभावित होती है।
- जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग: जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग जरूरी है। केवल रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए जैविक खादों का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
- सिंचाई का उचित प्रबंधन: उर्वरक डालने के बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है। इससे उर्वरक पौधों की जड़ों तक पहुंचते हैं। ऐसे में सिंचाई का उचित प्रबंधन आवश्यक है, विशेष रूप से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के समय। अधिक पानी देने से उर्वरक बह सकते हैं और फसल को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते। ड्रिप सिंचाई प्रणाली के साथ उर्वरकों का प्रयोग करने से पोषक तत्व सीधे जड़ों तक पहुंचते हैं और उनकी बर्बादी कम होती है।
- मिट्टी की जांच: उर्वरकों के उपयोग से पहले मिट्टी की जांच कर लेनी चाहिए, इससे यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है। इससे उर्वरकों का सही चयन और उनका उचित मात्रा में प्रयोग निर्धारित किया जा सकता है।
- सही समय पर उर्वरकों का प्रयोग: फसलों में उर्वरकों का प्रयोग सही समय पर करना आवश्यक है। पौधों की वृद्धि के साथ पोषक तत्वों की आवश्यकताएं भी बदलती हैं। बुवाई के तुरंत बाद, वृद्धि की प्रारंभिक अवस्था, फूल आने की अवस्था और फल बनने की अवस्था में उर्वरकों का प्रयोग अलग-अलग मात्रा और प्रकार से करना चाहिए।
नेनुआ की बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए आप किन उर्वरकों का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: तोरई में कौन सा खाद डालना चाहिए?
A: तोरई में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की संतुलित मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा कम्पोस्ट खाद, गोबर की खाद या केंचुआ खाद के इस्तेमाल से भी पौधों का उचित विकास होता है और फसलों की उपज एवं गुणवत्ता बेहतर होती है।
Q: सब्जी के लिए कौन सी खाद सबसे अच्छी है?
A: सब्जियों वाली फसलों के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर खाद को सबसे अच्छा माना जाता है। हरे और भूरे रंग की सामग्री के मिश्रण जिनमें घास, पत्तियां, फल एवं सब्जियों के छिलके, फसलों के अवशेष, आदि से तैयार किए गए कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करने से बेहतर पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।
Q: एनपीके 19 19 19 का प्रयोग कब करना चाहिए?
A: एनपीके 19:19:19 का इस्तेमाल पौधे के विकास की अवस्था में और पौधों में फूल आने के दौरान किया जा सकता है। यह फल, फूल और सब्जियों जैसी फसलों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनके लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की आवश्यकता अधिक होती है।
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