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भिंडी की फसल में उर्वरक प्रबंधन | Manure Management in Okra
भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, आसाम, महाराष्ट्र, में भिंडी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। भिंडी की फसल में बहुत अधिक मात्रा में उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन कई बार कम अंकुरण और पौधों की धीमी बढ़वार होने की स्थिति में फसल में पोषक तत्वों एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। उर्वरक प्रबंधन के द्वारा हम फसलों में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी को दूर कर सकते हैं। भिंडी की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना लाभदायक साबित होता है। इसकी विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
भिंडी की फसल में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभ | Benefits of Using Fertilizers in Okra Crop
- पौधों का विकास: पौधों के उचित विकास के लिए पोषक तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान है।
- उपज में वृद्धि: उर्वरकों के प्रयोग से भिंडी के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। जिससे भिंडी की उपज में वृद्धि होती है।
- फलों की गुणवत्ता: पोषक तत्वों की पूर्ति होने से पौधों में आने वाले फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है। इसके साथ ही फलों के आकार में भी बढ़ोतरी होती है।
- जड़ों का विकास: कुछ उर्वरक पौधों की जड़ों के विकास में सहायक है। जड़ों के बेहतर विकास से पौधों को मजबूती मिलती है और पौधों के गिरने की समस्या में कमी आती है।
- रोग एवं कीटों से बचाव: पोषक तत्वों की पूर्ति से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे पौधों में विभिन्न रोगों एवं कीटों के होने की संभावना कम हो जाती है।
खेत तैयार करने समय उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management While Preparing the Field
- प्रति एकड़ खेत में 100 क्विंटल गोबर की खाद का प्रयोग करें।
- खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 43 किलोग्राम यूरिया, 124 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और 33 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) मिलाएं।
- पौधों एवं जड़ों के बेहतर विकास के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें।
भिंडी की बुवाई के बाद या भिंडी के पौधों में फूल-फल आने के समय उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Usage: After Sowing and at the Time of Flowering and Fruiting
- भिंडी की अच्छी पैदावार के लिए बीज की बुवाई के करीब 10-15 दिनों के बाद प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम एनपीके 19:19:19 (देहात न्यूट्रीवन एनपीके 19:19:19 ) मिला कर छिड़काव करें।
- प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 00:52:34 (देहात न्यूट्रीवन मोनो पोटैशियम फॉस्फेट, जियोलाइफ नैनो फर्ट, कटरा फर्टिलाइजर्स नैनो एनपीके 00:52:34, श्रीराम साथी) का प्रयोग करें।
- पौधों में फूलों एवं फलों की संख्या में वृद्धि के लिए फूल आने से पहले प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 13:00:45 (देहात न्यूट्रीवन पोटैशियम नाइट्रेट 13:00:45, जियोलाइफ पोटेशियम नाइट्रेट, आईएफसी एनपीके 13:00:45) मिला कर प्रयोग करें। इसके छिड़काव से फलों के आकार में भी वृद्धि होती है।
भिंडी की फसल में फलों का आकार बढ़ाने के लिए उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Usage: Increasing the Size of Okra Fruits
- फलों के आकार को बढ़ाने के लिए बायो-स्टीमुलेंट का प्रयोग करना एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए पौधों में फूल-फल आने के समय 15 लीटर पानी में 25-30 मिलीलीटर जिब्रेलिक एसिड 0.001%एल (देहात अकिलिस जीए, बीएसीएफ न्यूट्रीजिब, धानुका मैक्सिल्ड, सुमिटोमो होशी अल्ट्रा) का प्रयोग करें।
- बेहतर परिणाम के लिए प्रति एकड़ खेत में प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 'देहात - कैल्शियम नाइट्रेट विथ बोरोन' मिला कर प्रयोग करें।
- फलों की पहली तुड़ाई के बाद प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें।
फसलों में उर्वरकों के प्रयोग के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | Things to Keep in Mind While Using Fertilizers for Crops
- मृदा परीक्षण: फसलों में किसी भी उर्वरक का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच कराना आवश्यक है। मिट्टी की जांच से हम उसमे मौजूद पोषक तत्वों की सही मात्रा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उसके अनुसार हम फसलों का चयन और पोषक तत्वों की सही मात्रा निर्धारित कर सकते हैं।
- उचित मात्रा: फसलों के बेहतर विकास के लिए पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा का प्रयोग करना बहुत जरूरी है। आवश्यकता से अधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग के भी कई नुकसान होते हैं।
- सही समय: फसल की वृद्धि के लिए सही समय पर पोषक तत्वों का प्रयोग करना आवश्यक है। इससे अधिक उपज के साथ हम गुणवत्तापूर्ण फसल प्राप्त कर सकते हैं।
अधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले नुकसान | Effects of Excessive Use of Fertilizers
- मिट्टी की गुणवत्ता: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी अम्लीय हो सकती है और इसकी उर्वरता कम हो सकती है। जिससे धीरे-धीरे फसल की उपज और गुणवत्ता में भी कमी आ सकती है।
- पर्यावरण पर दुष्प्रभाव: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ती है।
- स्वास्थ्य का खतरा: लम्बे समय तक आवश्यकता से अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी और फसलों में हानिकारक रसायनों का संचय हो सकता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
- लागत में वृद्धि: अधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से कृषि में होने वाली लागत में वृद्धि होती है।
- जैव विविधता में कमी: रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्मजीवों को हानि हो सकती है। जिससे जैव विविधता और मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
भिंडी की फसल में आप किन उर्वरकों का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Question)
Q: उर्वरक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
A: फसलों को पोषक तत्व प्रदान करने की प्रक्रिया को हम उर्वरक प्रबंधन कहा जाता है। उर्वरक प्रबंधन में कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं। जिनमें मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी के लिए मृदा परिक्षण, फसलों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार पोषण प्रदान करना, पोषक तत्वों की उचित मात्रा निर्धारित करना, आदि शामिल है। उर्वरक प्रबंधन के द्वारा हम पौधों के विकास, मिट्टी की उत्पादन क्षमता, फसलों की गुणवत्ता आदि को बढ़ा सकते हैं।
Q: भिंडी में कौन सा खाद देना चाहिए?
A: भिंडी की फसल में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करना चाहिए।
Q: भिंडी की खेती किस मौसम में की जाती है?
A: भारत में भिंडी की खेती रबी और खरीफ दोनों मौसम में सफलतापूर्वक की जाती है।
Q: भिंडी कितने दिन में फल देता है?
A: भिंडी की बुवाई के करीब 45 दिनों के बाद आप फलों की पहली तुड़ाई कर सकते हैं। इसके बाद हर 3 से 4 दिनों के अंतराल पर फलों की तुड़ाई की जा सकती है।
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